शम्भूनाथ शुक्ला-
हिंदी भाषा, साहित्य और पत्रकारिता के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाले साहित्यकारों की पत्नियों पर देश में पहली बार एक किताब प्रकाशित की गई है। हिंदी के वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार विमल कुमार (Vimal Kumar) द्वारा संपादित इस पुस्तक का लोकार्पण गत 21 जनवरी को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सुप्रीम कोर्ट की अवकाश प्राप्त न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा ने किया था। उनकी खुद भी हिंदी साहित्य में गहरी दिलचस्पी रही है।
240 पृष्ठों की इस किताब में 47 लेखकों की पत्नियों के बारे में पहली बार लेख दिए गए हैं जिनमें तुलसीदास,, रवींद्र नाथ टैगोर ,रामचंद्र शुक्ल,मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला शिवपूजन सहाय, विशंभर नाथ शर्मा कौशिक, रामवृक्ष बेनीपुरी राधिका गणेश शंकर विद्यार्थी , हजारी प्रसाद द्विवेदी ,गोपाल सिंह नेपाली , जैनेंद्र कुमार , मुक्तिबोध, रामविलास शर्मा अमरकांत विजयदेव नारायण साही से लेकर को नामवर सिंह और कुंवर नारायण की पत्नियों के बारे में जानकारी दी गई है और उनके चित्र भी प्रकाशित किए गए हैं।
स्त्री दर्पण मंच द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार यह पहला मौका है जब अपने देश में किसी भाषा के लेखकों की पत्नियों के बारे मे कोई किताब लिखी गयी है। श्री कुमार का कहना है कि इस किताब में उन पत्नियों की संघर्षभरी कहानियां हैं जो हाउसवाइफ रहीं और अपने लेखक पतियों के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई लेकिन समाज उनका नाम भी नहीं जानता। इन पत्नियों ने अपने पतियों की किताबों की पांडुलिपि तैयार करने से लेकर उन्हें छपाने तक का भी काम किया और उनके लिए हर तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई ताकि उनके पति साहित्य की रचना कर सकें।
श्री कुमार ने बताया कि कई लेखको की पत्नियों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं मिलती और कई के तो नाम भी नहीं पता। उनकी तसवीरें भी उपलब्ध नहीं हैं। विमल जी इन दिनों “स्त्री- लेखा” पत्रिका के सम्पादक हैं।