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शर्म करो ऐसी पत्रकारिता पर!

Vishal Chaddha : मंगलवार को अधिकांश न्यूज़ पोर्टल व पत्रकारिता के अन्य संसाधनों पर संजय दत्त को लेकर खबर बन रही थी कि संजय दत्त अब तक 300 से अधिक महिलाओं के साथ हमबिस्तर हुए हैं. खबर लिखने वाले यह भी लिख रहे थे कि यह आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है?

खबर के दूसरे भाग में लिखा जा रहा था कि कैसे संजय दत्त कब्र के पास ले जाकर लड़कियों को इमोशनल करते हुए हम बिस्तर बनाते थे.

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यह खबर एक गौरव के रूप में प्रस्तुत की जा रही थी , जैसे मानो संजय दत्त ने बहुत उद्धारक कार्य किया हो! एक मीडिया पोर्टल समाचार फॉर मीडिया ने तो संजय दत्त की इस बेशर्म घटना को विस्तार से छापते हुए आख़िरी पंक्ति में उन्हें फिल्म प्रमोशन के लिए हार्दिक बधाई भी दी है.

संजय दत्त पहले से ही विवादों में घिरे रहे हैं, फिल्म प्रमोशन के लिए इस तरह की बातों को उछाल कर अपना उल्लू सीधा करना इन फिल्मी हस्तियों की आदत बन चुका है. निश्चित रूप से संजय दत्त के जीवन से जुड़ी इस खबर व पहलू को जानकर प्रिया दत्त गर्व महसूस कर रही होंगी. प्रिया दत्त एक नारी होकर भी उन 300 से अधिक छली गई लड़कियों महिलाओं का दर्द नहीं समझ सकती.

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जिस तरह से इस खबर में 300 से अधिक महिलाओं के साथ संजय दत्त के हमबिस्तर होने का भाव प्रकट किया गया है, उस बात से स्पष्ट हो रहा है कि सुनील दत्त और नरगिस अपने बिगड़ैल लड़के को किसी भी प्रकार का संस्कार नहीं दे पाए.

संजय दत्त की अपनी खुद की कहानी हो सकती है, लेकिन पत्रकारिता करते समय घटना के भाव को किस स्तर तक महिमामंडित किया जाए, इसका भान तो पत्रकारों को होना ही चाहिए।

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300 से अधिक महिलाओं के साथ हमबिस्तर होना अय्याशी की एकमात्र निशानी है। इस का महिमामंडन कितना उचित है यह आप तय करें। लेकिन मुझे तो इस तरह की पत्रकारिता पर अफसोस होता है।

सीनियर रिसर्च एडिटर रहे विशाल चड्ढा की एफबी वॉल से.

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https://www.youtube.com/watch?v=TrP1u30Ks-E

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1 Comment

1 Comment

  1. AshokK Sharma

    June 29, 2018 at 8:32 am

    मानसिक रोग और वैचारिक दिवालियेपन की पत्रकारिता का आगाज़ है ये। इस गन्द में एंकर से लेकर रिपोर्टर तक लोटपोट हो रहे हैं।

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