Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

तमिलनाडु नरसंहार : स्नाइपरों ने जीने का हक मांगने वालों को चुन-चुन कर गोलियाों से उड़ाया था!

प्रेम अगम : स्नाईपरों का इस्तेमाल युद्ध के दौरान किया जाता है । ये अचूक निशानेबाज होते हैं । स्नाईपर का मतलब है, “एक दुश्मन – एक गोली। तमिलनाडु में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ स्नाईपरों का इस्तेमाल किया गया । उदेश्य था भीड़ में से कुछ खास लोगों को निशाना बनाना और आंदोलन को समाप्त कर देना । तमिलनाडु सरकार अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध कर रही है जो पर्यावरण को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे थे। संसाधनों की लूट के सरकारी संरक्षण का यह जीता जागता उदाहरण है जिसमें कारपोरेट, नौकरशाह और मीडिया सब शामिल हैं।

Lal Bahadur Singh : ये किसका लहू है कौन मरा, ऐ रहबर-ए-मुल्क ओ कौम बता! आँखे तो उठा, नज़रें तो मिला!! तूतीकोरिन में 11 मासूमों को क़त्ल कर दिया गया और सैकड़ों घायल है, जिनमें से अनेक नाजुक हालत में हैं। उनका अपराध यह था कि भयानक जहर उगलते प्लांट से वे अपने बच्चों का जीवन बचाना चाहते थे और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में जीने का हक़ मांग रहे थे ! आंदोलनकारियों के धैर्य का इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि कल उनके आंदोलन का 100वां दिन था !! बहरहाल, असली अपराध उनका शायद यह था कि उन्होंने यह ध्यान नहीं रखा कि कंपनी का मालिक सत्ताधारी पार्टियों के सबसे बड़े दानदाताओं में है, कि उसके सर पर राज्य के मुख्यमंत्री का हाथ है, और मुख्यमंत्री के सर पर साक्षात् मोदीजी का ! और अगर यह सब जानते हुए भी उन्होंने यह हिमाकत इस गुमान में की कि एक लोकतान्त्रिक, आज़ाद देश में अपने नागरिक अधिकार के लिए लड़ना उनका संवैधानिक हक़ है, तब तो यह जुर्म अक्षम्य है और इस जुर्रत की सजा केवल और केवल गोली ही हो सकती है!

Satyam Varma : तूतीकोरिन में वेदान्‍ता के इशारे पर 15 लोगों को सीधे निशाना साधकर गोली से उड़ाया गया। न तो हवाई फ़ायर किये गये, और न ”आख़िरी रास्‍ते” के तौर पर‍, ”आत्‍मरक्षा के लिए”, चेतावनी के तौर पर पैरों पर गोलियाँ मारी गयीं। युद्ध में इस्‍तेमाल किये जाने वाले स्‍नाइपरों का आन्‍दोलनों के विरुद्ध इस्‍तेमाल इज़रायल ने सबसे पहले शुरू किया था। अब ज़रा तूतीकोरिन में लाठीचार्ज से भाग रहे लोगों पर बस की छत से गोली चलाने वाले इस वीर स्‍नाइपर की प्रोफ़ाइल देखि‍ये – जी हाँ! ये भी इज़रायल में ट्रेनिंग लेकर आया है! फासिस्‍टों के इज़रायल प्रेम का एक पहलू ये भी है। वैसे इस मामले में कांग्रेस भी उतनी ही गुनहगार है। मोस्‍साद के एक्‍सपर्ट एंटी-इन्‍सरजेंसी के नाम पर भारतीय पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों को जो ट्रेनिंग देते रहे हैं, उसका असली निशाना जनान्‍दोलन ही रहे हैं। इज़रायल के राजनीतिक विरोधियों की चुन-चुनकर हत्‍या करने में मोस्‍साद को महारत हासिल है। आश्‍चर्य नहीं कि आने वाले दिनों में भारत के फ़ासिस्‍टों को उसकी इस विशेषज्ञता का लाभ भी मिलने लगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Saroj Kumar : यह तो एकदम जाहिर है कि तूतिकोरीन में पुलिस ने पहले से योजना बनाकर सुनियोजित रूप से प्रदर्शनकारियों की हत्या की है. जब पुलिसवाला वैन की छत पर चढ़कर निशाना साध रहा था तो वीडियो में भी पुलिस कहती सुनी जा सकती है कि कम से कम एक तो मरना ही चाहिए. अब पुलिस को वेदांता ने खुद सीधे आदेश दिया मारने का या फिर सरकार के थ्रू दिया! यह कार्पोरेट और सरकार प्रायोजित नरसंहार है. यह इससे भी स्पष्ट है कि राज्य और केंद्र दोनों सरकार के लोग इन हत्याओं को जायज ठहराते नजर आ रहे हैं. हत्यारे सरकार चला रहे हैं!

Chandra Bhushan : विडियो में तमिलनाडु पुलिस स्टर्लाइट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर निशाना बांधकर गोली चलाती दिख रही है। यह कोई आम बात नहीं है।

Naresh Goswami : भारत में अंग्रेजी-राज के दौरान पुलिस ने इतने लोग नहीं मारे, जितने लोगों की हत्या आज़ाद भारत की पुलिस कर चुकी है …. शासन, सत्ता और सरकार सिर्फ़ इसलिए हमारी नहीं हो जाती क्योंकि उसे चलाने वाले देखने-भालने में हमारे जैसे ही दिखाई देते हैं !

Advertisement. Scroll to continue reading.

Yashwant Singh : दर्जन भर से ज्यादा किसानों के खून के छींटे इस आदमी के दामन पर भी गिरे हैं। स्नाइपर्स के जरिए चुन चुन कर उन आंदोलनकारियों को मारा गया जिनके चलते ग्रामीणों का आंदोलन सौ दिन से जारी था। इन हत्याओं पर हर एक भारतवासी का खून खौलना चाहिए। जय किसान और ऋषि-कृषि परम्परा की बात करने वाले दरअसल झूठे लोग हैं। इस देश मे कम्पनी राज चल रहा है जिसके अधीन pm मोदी जी भी हैं, इसीलिए वे गोली चलवाकर आंदोलन खत्म करवाते हैं, इस बहाने कम्पनियों को लूटने की खुली छूट मुहैया कराते हैं। ये संघिये तब भी कम्पनी राज के दलाल थे और आज भी हैं। जै जै

सौजन्य : फेसबुक

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसे भी पढ़ें…

तमिलनाडु नरसंहार : कौन अखबार और टीवी चैनल इसे कितना महत्व दे रहा, ज़रूर नज़र रखें

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement