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सुख-दुख

निधीश त्यागी ने आते ही अपनी रंगत दिखा दी…

निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा देकर नेटवर्क18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन करते ही अपनी रंगत दिखा दी. सुना है जहां जाते हैं लोगों को फायर करते हैं, तो लो भाई कर दिया फायर यहां भी. 3 अक्टूबर को एक मीटिंग हुई. फिर अगले दिन यानि 4 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. इसके अगले दिन 5 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. मीटिंग में प्रदेश18.कॉम के ट्रेनी थे. इनकी स्पेशल मीटिंग ली गई. आखिर क्यों हुई ये मीटिंग… ये सवाल तीनों के मन में था. इसका जवाब भी मिल गया. सिर्फ 2 दिन बाद. 7 अक्टूबर को. दो लोगों को काम अच्छा न होने के कारण जाना होगा. तीनों के पास कई सवाल थे पर कोई जवाब न था.

<p>निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा देकर नेटवर्क18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन करते ही अपनी रंगत दिखा दी. सुना है जहां जाते हैं लोगों को फायर करते हैं, तो लो भाई कर दिया फायर यहां भी. 3 अक्टूबर को एक मीटिंग हुई. फिर अगले दिन यानि 4 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. इसके अगले दिन 5 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. मीटिंग में प्रदेश18.कॉम के ट्रेनी थे. इनकी स्पेशल मीटिंग ली गई. आखिर क्यों हुई ये मीटिंग... ये सवाल तीनों के मन में था. इसका जवाब भी मिल गया. सिर्फ 2 दिन बाद. 7 अक्टूबर को. दो लोगों को काम अच्छा न होने के कारण जाना होगा. तीनों के पास कई सवाल थे पर कोई जवाब न था.</p>

निधीश त्यागी ने बीबीसी हिंदी के संपादक पद से इस्तीफा देकर नेटवर्क18 के डिजिटल वेंचर में एडिटर लैंग्वजेज के पद पर ज्वाइन करते ही अपनी रंगत दिखा दी. सुना है जहां जाते हैं लोगों को फायर करते हैं, तो लो भाई कर दिया फायर यहां भी. 3 अक्टूबर को एक मीटिंग हुई. फिर अगले दिन यानि 4 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. इसके अगले दिन 5 अक्टूबर को फिर एक मीटिंग. मीटिंग में प्रदेश18.कॉम के ट्रेनी थे. इनकी स्पेशल मीटिंग ली गई. आखिर क्यों हुई ये मीटिंग… ये सवाल तीनों के मन में था. इसका जवाब भी मिल गया. सिर्फ 2 दिन बाद. 7 अक्टूबर को. दो लोगों को काम अच्छा न होने के कारण जाना होगा. तीनों के पास कई सवाल थे पर कोई जवाब न था.

मेरे पास इसका जवाब है, क्योंकि हम ट्रेनी हैं. हमारा कोई माई-बाप नहीं है. हां, तो सर जी, इसका मतलब है अब इन दो ट्रेनी के पास दो ऑप्शन हैं. एक- नौकरी ढूंढो और निकलो. वरना 2 महीने हैं,  अपने काम में सुधार करो. फिर इसे लेकर मेल होगा. पेपर साइन होंगे. और, पता नहीं क्या-क्या. मेरा सवाल तीनों ट्रेनियों की तरफ से है. इस सबसे निधीश त्यागी, आपको क्या मिला? वैसे ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है. पिच्चर अभी बाकी है दोस्त. बस देखिये कितने लोग बीबीसी से आते हैं और कितने लोगों का काम मिस्टर त्यागी सिर्फ दो-चार दिन में ही देख कर उन पर फैसला सुना देते हैं.

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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