पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हुड्डा सरकार के समय भर्ती हुए सहायक लोक संपर्क अधिकारियों (APRO) के अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को यह जांच रिपोर्ट तीन माह यानी 90 दिनों के भीतर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को हाई कोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने यह आदेश हिसार निवासी अनिल असीजा की एक याचिका का निपटारा करते हुए दिया है।
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा की हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2008 में 26 सहायक लोक संपर्क अधिकारियों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने इन भर्तियों के लिए साक्षात्कार लिया, जिसके बाद 18 अभ्यर्थियों को नौकरी पर रखा गया था। वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थी ने कुछ चयनित लोगों के अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए याचिका दायर की थी। इस केस की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को प्रमाण पत्रों की जांच करनी थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने कोर्ट को दिए जवाब में कहा कि उनसे तो सरकार ने सहायक लोक संपर्क अधिकारियों से पद की जानकारी मांगी थी, लेकिन अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्र की जांच नहीं कराई थी। इस मामले में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि कुछ अभ्यर्थियों ने मीडिया संस्थानों के नाम से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र हासिल कर नौकरी हासिल की है।
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा है कि, ‘तथ्यों के अवलोकन से पता चलता है कि न तो चयन एजेंसी और न ही नियुक्ति प्राधिकारी ने चयनित उम्मीदवारों के प्रस्तुत प्रासंगिक दस्तावेजों का अध्ययन किया कि चयनित उम्मीदवार विज्ञापन के अनुसार पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं। चयनित उम्मीदवारों के प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच कर तीन माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गये हैं।’