“द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला खरसावां” में ऑल इज नॉट वेल! झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले में कोरोना काल के दूसरे लहर से पूर्व दो दो प्रेस क्लब गठित किए गए. इन दोनों जिला स्तरीय प्रेस क्लबों में आपसी द्वंद्व चल रहा है. एक का नाम है ‘द प्रेस क्लब’. इसमें अधिकांश पोर्टल और सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकार हैं.
दूसरे का नाम है- द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला खरसावां. इसमें अधिकांश प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकार हैं.
गठन के साथ ही दोनों प्रेस क्लब में लगातार द्वंद चलता रहा है. 25 जुलाई को “द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला खरसावां” के शपथ ग्रहण समारोह के दिन ही क्लब के मुख्य संरक्षक और वरिष्ठ पत्रकार बसंत साहू ने तथास्तु का आशीर्वाद देखकर इस्तीफा और कमेटी भंग की अनुशंसा की है.
क्लब के मुख्य संरक्षक बसंत साहू ने सोशल मीडिया के माध्यम से घोषणा की है कि वह इस क्लब से मोहभंग के चलते इस्तीफा दे रहे हैं. क्लब गठन के समय बने नियम के अनुसार इन्होंने कमेटी भंग करने की भी घोषणा की है.
द प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला खरसावां के मुख्य संरक्षक बसंत साहू द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किए गए इस्तीफे की सूचना में कहा गया है-
इस सगंठन से मैं इस्तीफा दे रहा हूँ। ये सगंठन केवल एक आदमी का सगंठन रह गया है। किसी पदाधिकारी एवं सदस्यों से बात नहीं करता है। केवल एक आदमी जैसा बोलते हैं, उसी को हमारे अध्यक्ष मानते हैं। इसलिए मैं इस सगंठन से आज इस्तीफा दे रहा हूँ और सगंठन को भंग कर रहा हूँ।
इससे पूर्व मुख्य संरक्षक का विवाद हाल के दिनों में उत्पन्न हुआ था, जो शपथ ग्रहण समारोह के दिन इस्तीफे के साथ समाप्त हो गया.
मुख्य संरक्षक ने लिखित आरोप लगाया है कि क्लब के पदाधिकारी केवल एक ही व्यक्ति के इशारे पर नाच रहे हैं. सूत्रों के अनुसार वह व्यक्ति पूर्ण रूप से पत्रकार नहीं है और वह एक निजी बीमा कंपनी से जुड़ा हुआ है. बीमा कंपनी भी विवादों के घेरे में है. कंपनी द्वारा लोगों के पैसे को वापस नहीं किया जा रहा है.
ज़िले के कुछ पत्रकार संगठनों द्वारा जिला प्रशासन से मांग की जा रही है कि प्रशासन के देखरेख में जिला स्तरीय प्रेस क्लब गठन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए और जरूरत पड़ने पर चुनाव भी संपन्न कराया जाए. इसे लेकर पत्रकारों द्वारा जल्द ही जिले में एक व्यापक अभियान चलाए जाने का भी निर्णय लिया गया है.