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सियासत

नाबालिग की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले दीपक चौरसिया को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?

सोशल साइट एक्स पर लोग सवाल कर रहे हैं कि नाबालिग की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले पत्रकार दीपक चौरसिया को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?

डॉ संदीप यादव नाम के यूजर ने लिखा है, “गुरुग्राम की एक विशेष अदालत ने आठ मीडियाकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए थे, जिनमें एंकर “दीपक चौरसिया” और अन्य शामिल हैं. उन पर एक 10 वर्षीय लड़की और उसके परिवार के ‘संपादित’ और ‘अश्लील’ वीडियो प्रसारित करने का आरोप है, जो उन्हें स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले से जोड़ते हैं. आरोपों में आपराधिक साजिश, जालसाजी, बच्चों को ऑनलाइन प्रताड़ित करना, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना और एक बच्चे का अभद्र या अश्लील चित्रण शामिल है. आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया है और न्याय की मांग की है.”

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बता दें कि, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत पत्रकार दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, अजीत अंजुम और राशिद हाशमी समेत आठ पत्रकारों पर गुरुग्राम की एक विशेष अदालत ने आरोप तय किए थे. मामला साल 2013 का है.

इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 469, 471 (जालसाजी), सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी (बच्चे को ऑनलाइन उत्पीड़ित करना) एवं 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) और पॉक्सो एक्ट की धारा 23 (मीडिया द्वारा पीड़ित बच्चे की पहचान जाहिर करना) एवं 13सी (अश्लील प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग) के तहत मामला दर्ज हुआ था.

क्या है पूरा मामला?

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दरअसल, नाबालिग बच्ची के एक रिश्तेदार ने इस मामले की शिकायत दी थी. शिकायत में तीन समाचार चैनलों न्यूज़ 24, इंडिया न्यूज़ और न्यूज़ नेशन के खिलाफ रूपांतरित (Edited) वीडियो प्रसारित करने के आरोप लगाए गए थे.

शिकायत में कहा गया था कि, 2 जुलाई 2013 को आसाराम बापू और उनके तीन चार अनुयायी हमारे घर आए. मेरी पत्नी, उनकी सहेलियां और बच्ची भी वहां पर थे. हमने उनकी पूजा की और उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया. एक अनुयायी ने भविष्य के लिए इसका वीडियो बनाया था.

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13 अगस्त 2013 को, एक नाबालिग पर यौन उत्पीड़न के आरोप में जोधपुर से आसाराम बापू की गिरफ्तारी से दो महीने पहले यह घटना हुई थी. 2018 में आसाराम पर आरोप साबित हुए और उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई.

यह शिकायत 15 दिसंबर, 2013 को दी गई और एफआईआर भी उसी दिन दर्ज हो गई. यह FIR जीरो एफआईआर थी, जो कहीं भी दर्ज कराई जा सकती हैं भले ही कथित अपराध कहीं भी किया गया हो.

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शिकायत में कहा गया कि यह वीडियो किसी तरह मीडिया के पास पहुंच गया. बच्ची के रिश्तेदार का कहना था कि इस वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई थी और उसे न्यूज़ चैनलों पर पत्नी को “सेक्स रैकेट की सरगना” दिखाते हुए प्रसारित किया गया. इसके साथ-साथ “आसाराम का एमएमएस” और “आसाराम की डर्टी पिक्चर” जैसी हेडलाइन भी चलाई गईं. ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान हाशमी ने कहा, “अगर बच्ची आसाराम बापू के साथ अकेली होती तो उसका क्या हुआ होता?”

शिकायत कहती है, “परिवार को बदनाम करने के उद्देश्य से, आसाराम को बच्ची के कंधे पर एक हाथ रखे दिखाया गया था.”

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इस मामले में पॉक्सो अधिनियम की धारा 23 के तहत आरोप तय करते हुए जज ने कहा, “आरोपी ने वीडियो को संपादित और रूपांतरित कर पीड़िता को बहुत ही अश्लील और अभद्र तरीके से दिखाया.”

जब वीडियो प्रसारित किया था तब आरोपियों में से तीन लोग- अजीत अंजुम, मोहम्मद सोहेल और जोधपुर के रिपोर्टर सुनिल दत्त न्यूज़24 में काम कर रहे थे.

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अन्य पांच आरोपी इंडिया न्यूज़ से जुड़े थे. जिसमें मुख्य संपादक दीपक चौरसिया, एंकर चित्रा त्रिपाठी, राशिद हाशमी, जोधपुर के रिपोर्टर ललित सिंह बड़गुर्जर और प्रोड्यूसर अभिनव राज शामिल हैं. चौरसिया अब ज़ी न्यूज़ के बाद अपना खुद का यूट्यूब चैनल चला रहे हैं. वहीं, चित्रा त्रिपाठी आज तक से जुड़ी हुई हैं.

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