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छत्तीसगढ़

पत्रकार अनिल पुसदकर लड़ेंगे महापौर का चुनाव!

रायपुर वासियों के लिए खुशखबरी है। हमारे आदरणीय बड़े भैया श्री अनिल पुसदकर जी ने महापौर पद के लिए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। हमने उन्हें जिताने का ठान लिया है। पिछले 5 सालो में रायपुर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जो बुरा दौर गुजरा है, उसे भुलाया नहीं जा सकता। शासन और निगम की लड़ाई, मंत्री-और महापौर की तू-तू मैं-मैं याद होगा। राजधानी में अंतर्राष्ट्रीय तरणताल के लोकार्पण के समय मंच से नगरीय प्रशासन विभाग संभालने वाले दो मंत्रियो और महापौर का अपना-अपना पक्ष लेकर भिड़ना। तीनों ने शहर के बेहतर विकास के लिए काम करने का खुद क्रेडिट लिया और दोष दूसरे पक्ष को दिया।

<p>रायपुर वासियों के लिए खुशखबरी है। हमारे आदरणीय बड़े भैया श्री अनिल पुसदकर जी ने महापौर पद के लिए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। हमने उन्हें जिताने का ठान लिया है। पिछले 5 सालो में रायपुर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जो बुरा दौर गुजरा है, उसे भुलाया नहीं जा सकता। शासन और निगम की लड़ाई, मंत्री-और महापौर की तू-तू मैं-मैं याद होगा। राजधानी में अंतर्राष्ट्रीय तरणताल के लोकार्पण के समय मंच से नगरीय प्रशासन विभाग संभालने वाले दो मंत्रियो और महापौर का अपना-अपना पक्ष लेकर भिड़ना। तीनों ने शहर के बेहतर विकास के लिए काम करने का खुद क्रेडिट लिया और दोष दूसरे पक्ष को दिया।</p>

रायपुर वासियों के लिए खुशखबरी है। हमारे आदरणीय बड़े भैया श्री अनिल पुसदकर जी ने महापौर पद के लिए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। हमने उन्हें जिताने का ठान लिया है। पिछले 5 सालो में रायपुर निगम क्षेत्र के अंतर्गत जो बुरा दौर गुजरा है, उसे भुलाया नहीं जा सकता। शासन और निगम की लड़ाई, मंत्री-और महापौर की तू-तू मैं-मैं याद होगा। राजधानी में अंतर्राष्ट्रीय तरणताल के लोकार्पण के समय मंच से नगरीय प्रशासन विभाग संभालने वाले दो मंत्रियो और महापौर का अपना-अपना पक्ष लेकर भिड़ना। तीनों ने शहर के बेहतर विकास के लिए काम करने का खुद क्रेडिट लिया और दोष दूसरे पक्ष को दिया।

गलती उनकी नहीं थी। गलती तो हमसे हो गई थी जो हमने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुन लिया था। अपना वोट देकर और हम रायपुर के लोगों को सहनी पड़ी जगह-जगह गंदगी, बजबजाती बदबू मारती नालियां, पीलिया के रूप में महामारी जिसने कई जिंदगी ले ली। जहां अव्यवस्था के चलते शहर के कुत्ते भी आम नागरिको को नोचने लगे थे। जो गुजर गया उस पर कुछ किया नहीं जा सकता। हां, मगर आने वाले कल को सुधारा जा सकता है। शहर की व्यवस्था और विकास को राजनीतिक मंच से अलग रख के जहां सिर्फ जनता का ख्याल रखा जाएगा और जनहित में ही निर्णय लिया जायेगा ताकि अवाम को मूलभूत अधिकारों से वंचित न होना पड़े। इसलिए अब बेहतर विकल्प इस चुनाव में हमारे पास है जिसे अपना समर्थन और अपना मत दे कर हमें विजयी बनाना है ताकि शहर विकास की पहचान बने, राजनीति का अखाड़ा नहीं। इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि अपना बहुमूल्य मत झंडा आदि का रंग देखकर नहीं, सिर्फ नाम पढ़कर दीजियेगा-“अनिल पुसदकर”

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विनीत

+91 7354666365

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