Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

हालात ए यूपी जेल : गलत रिहाई हो या वसूली मर्डर, जेल प्रशासन कार्रवाई से बेखौफ रहता है

आर के यादव-

शासन और जेल मुख्यालय में बैठे अधिकारी जेल अफसरों पर कार्यवाही करने से घबराते है। यह हम नहीं कारागार विभाग के कर्मियों का कहना है। विभागीय कर्मियों की माने तो जेल मुख्यालय और शासन में सेटिंग गेटिंग रखने वाले अफसरों के खिलाफ इस विभाग में कार्यवाही ही नहीं होती है। यही वजह है प्रदेश की राजधानी समेत आधा दर्जन जेलों में गंभीर घटनाएं होने के बाद भी दोषी अफसरों के खिलाफ आजतक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। दिलचस्प बात यह है कि शासन और मुख्यालय ने कई गंभीर मामलों की जांच तक नही कराई। अब अधिकारी इन मसलों पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रदेश की जेलों में लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी शासन व जेल मुख्यालय में बैठे आला अफसर किसी भी दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते है। कार्यवाही नहीं होने की वजह से कारागार विभाग के अफसर बेलगाम हो गए हैं। शासन और जेल मुख्यालय के अफसरों का जेल अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। यही वजह है कि प्रदेश की जेलों में घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उधर दूसरी ओर विभाग के आला अफसर इन गंभीर मसलों पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

इसी प्रकार बीते दिनों राजधानी से सटे सीतापुर जनपद की जिला जेल में महिला डिप्टी जेलर विजया लक्ष्मी के उत्पीडऩ और अवैध वसूली से तंग आकर एक विचाराधीन बंदी की जान चली गई। बंदी के परिजनों ने जमकर बवाल मचाया। इस बवाल के बाद परिजनों ने जेल में तैनात महिला डिप्टी जेलर समेत चार अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। परिजनों का आरोप है वसूली का विरोध करने पर बंदी की हत्या कर दी गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस मामले में अभी तक शासन और मुख्यालय के अफसरों ने कोई सुध तक नहीं ली है। विभागीय अफसरों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी कड़ी में मैनपुरी जेल में एक कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक कोमल मंगलानी ने कार्यक्रम में मौजूद जेल सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता करते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। मामला सुर्खियों में बना। अधीक्षक ने आरोप लगाया कि बंदियों से वसूली करने में सुरक्षाकर्मी बाज नहीं आते हैं, वहीं कार्यक्रम में सहयोग देने से कतराते हैं। सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता और अपशब्दों के इस्तेमाल के बाद भी शासन व जेल मुख्यालय के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी। मामला आज भी फाइलों में कैद है।

इसी प्रकार प्रदेश के जेलमंत्री के गृहजनपद की आगरा जेल में बीते दिनों अधिकारियों ने एक विचाराधीन बंदी की गलत रिहाई कर दी। मामला जेलमंत्री से जुड़ा होने की वजह से कार्रवाई करने के बजाए लीपापोती कर दी गई। दूसरी ओर राजधानी की जिला जेल में एक विदेशी बंदी समेत तीन बंदियों की गलत रिहाई और प्रदेश के बहुचर्चित सनसाइन सिटी मामले में लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल ने जांच की। तब जब हाईकोर्ट से निर्देश हुआ। इस जांच में अधीक्षक समेत कई अधिकारियों को दोषी भी ठहराया गया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी किसी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि गलत रिहाई, अधिकारियों के सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता करने और पावर ऑफ अटार्नी जैसे गंभीर मामले होने के बाद शासन व जेल मुख्यालय स्तर से किसी भी दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं। हकीकत यह है कि कार्रवाई नहीं होने से बेलगाम हुए अधिकारियों को अब घटना के बाद भी शासन और जेल मुख्यालय के अफसरों का कोई खौफ नहीं रह गया है। इस बाबत जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने उनके व्यस्त होने की बात कहकर बात कराने से ही इनकार कर दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement