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खुले कोर्ट की कार्यवाही का प्रकाशन मीडिया का मौलिक अधिकार

ग्वालियर। पीएमटी मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश सतीषचन्द्र शर्मा ने फर्जीवाड़े के आरोपी राहुल यादव द्वारा कोर्ट में चलने वाली कार्यवाही के अखबारों में प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि खबरों का प्रकाशन करना समाचार पत्रों का मौलिक अधिकार है, इस पर रोक उचित नही हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान की गई है, जिससे समाचार पत्रों के जरिये भी लोग अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।

<p>ग्वालियर। पीएमटी मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश सतीषचन्द्र शर्मा ने फर्जीवाड़े के आरोपी राहुल यादव द्वारा कोर्ट में चलने वाली कार्यवाही के अखबारों में प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि खबरों का प्रकाशन करना समाचार पत्रों का मौलिक अधिकार है, इस पर रोक उचित नही हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान की गई है, जिससे समाचार पत्रों के जरिये भी लोग अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।</p>

ग्वालियर। पीएमटी मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश सतीषचन्द्र शर्मा ने फर्जीवाड़े के आरोपी राहुल यादव द्वारा कोर्ट में चलने वाली कार्यवाही के अखबारों में प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि खबरों का प्रकाशन करना समाचार पत्रों का मौलिक अधिकार है, इस पर रोक उचित नही हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान की गई है, जिससे समाचार पत्रों के जरिये भी लोग अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।

यदि समाचार पत्र खुले न्यायालय में हो रही कार्यवाही को प्रकाशित करते हैं तो कोई गलत नही हैं। विशेष न्यायालय ने कहा कि खुले कोर्ट में सुनवाई होने से गवाही के दौरान आमजन की उपस्थिति भी रहती है, इन लोगों में पत्रकार भी हो सकते हैं, ऐसे में मामले की जांच की कोई जरूरत नही हैं। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देने वाले इस महाघोटाले के सरगना दीपक यादव के भाई राहुल यादव ने आवेदन में कहा था कि प्रतिदिन होने वाली न्यायालयीन कार्यवाही के अखबारों में प्रकाशन पर रोक लगाई जाये। उनकी बदनामी हो रही है।

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