पहले भी एक कंपनी के लोन को किया जा चुका है एनपीए घोषित
मुंबई। उद्योगपति अनिल अंबानी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेहरबान है । गौरतलब है कि विजया बैंक ने अनिल अंबानी समूह के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के 9000 करोड़ लोन (कर्ज) को मार्च तिमाही से गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया है, जो कानूनी दायरे में रहते हुए लोन माफ करने की चाल मानी जा रही है। इस कंपनी पर आर्थिक तंगी से जूझ रहे आईडीबीआई की अगुवाई वाले दो दर्जन से अधिक बैंकों का करीब 9,000 करोड़ रुपए का लोन है। ज्ञात हो कि इससे पहले भी अनिल अंबानी की एक फ्लैगशिप कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) के लोन को एनपीए घोषित किया जा चुका है।
किसी पूंजीपति के लोन के एनपीए घोषित करने पर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। माना जाता है कि इस तरह एनपीए घोषित होने से कानून दायरे में रहकर ही लोन को एक तरह से माफ कर दिया जाता है। वहीं इसके बाद कंपनी बंद कर कोई भी पूंजीपति अब नीरव मोदी की तरह बाहर निकल सकने के लायक हो सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि एनपीए घोषित होने के बाद पूंजीपति आसानी से एक कंपनी बंद कर दूसरी कंपनी खोल सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि अनिल अंबानी की दूसरी कंपनी के एनपीए घोषित होने के बाद उन्हें कितना फायदा हो सकता है।
साजिश से देश का नुकसान
किसी पूंजीपति के करोड़ों-अरबों रुपए के लोन के एनपीए घोषित होने के बाद देश को बहुत नुकसान होता है। इस तरह यह एक बड़ी साजिश मानी जा सकती है। आम जनता के खून-पसीने की कमाई की लूट से बैंकिंग व्यवस्था भी चरमरा जाती है।
एक कंपनी दिवालिया, तो दूसरी कंपनी से वसूली हो
जब अनिल अंबानी की एक कंपनी दिवालिया हो गई तो उनकी उनकी अन्य कंपनी तो ठीक-ठाक चल रही है। फिर अनिल द्वारा लिए गए लोन को एनपीए घोषित किए जाने के बदले उनकी अन्य कंपनियों से लोन वसूली क्यों नहीं की गई। अनिल अंबानी का रिलायंस इतना बड़ा समूह है कि उसकी कोई एक कंपनी से आसानी से लोन की वसूली की जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं कर उल्टे उन्हें राहत देकर एक तरह से 9000 करोड़ रुपए को डूबा देने की राह चुन ली गई। इससे मोदी सरकार की नीयत पर संदेह होता है।
लोन के सहारे मुनाफाखोरी
ज्ञात हो कि रिलायंस कम्युनिकेशन का मामला पहले से ही एनसीएलटी के पास है। वहीं आरकॉम के पास चीन विकास बैंक के अतिरिक्त 31 बैंकों का 45,000 करोड़ से ज्यादा का लोन है। सवाल यह उठता है कि क्या लोन लेने और उसे नहीं चुकाने से कंपनी को मुनाफाखोरी का मौका मिल जाता है? या कंपनी यह पहले ही तय कर लेती है कि केवल लोन लेना है और बाद में उसे चुकाना तो है ही नहीं। मार्च 2017 तक रिलायंस नेवल का बकाया उधार 8,753.19 करोड़ रुपए था। मार्च 2018 तिमाही में, पिछले 12 महीनों की अवधि में इसका कुल घाटा 139.92 करोड़ रुपए से तीन गुना बढ़कर 408.68 करोड़ रुपए हो गया। मार्च 2018 तक पूरे वर्ष के लिए, पिछले साल के 523.43 करोड़ रुपए से बढ़कर इसका कुल घाटा लगभग दोगुना होकर 956.09 करोड़ रुपए हो गया।
पासपोर्ट जब्त हो
लोन के एनपीए घोषित हो जाने के बाद सबसे पहले तो पूंजीपतियों के विदेश भाग जाने का संदेह उभरता है। इसलिए पूंजीपतियों के पासपोर्ट जब्त कर उनके विदेश जाने पर रोक लगाया जाना चाहिए। वहीं लोन की रकम की वसूली पूंजिपतियों की व्यक्तिगत संपत्ति से भी की जानी चाहिए। नीरव मोदी के फरार हो जाने के बाद मोदी सरकार हाथ मल रही है, तो उसे तुरंत अनिल अंबानी के विदेश जाने पर रोक लगानी चाहिए, नहीं तो वे फिर हाथ मलती दिखाई देगी।
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया, मुंबई के स्थानीय संपादक हैं.