(यह कहानी उन लोगों के लिए सबक है, जो मानते हैं कि अखबार मालिकों के शक्तिशाली तंत्र के चलते मजीठिया वेज बोर्ड के लिए लड़ी जा रही लड़ाई की सफलता नामुमकिन है। चारों ओर फैली भीतरी नकारात्मकता उनके हौसले तोड़ती है। इस कहानी को पढि़ए और अपने भीतर झांक कर सफलता का मार्ग ढूंढिए, क्योंकि हिम्मत करने वालो की कभी हार नहीं होती…)
सभी में होती है काबिलियत
एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे। सरोवर के बीचोबीच पुराना धातु का खंभा भी था, जिसे सरोवर बनवाने वाले राजा ने लगवाया था। उसकी सतह चिकनी थी। एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों न एक रेस करवाई जाए। प्रतियोगियों को खंभे पर चढऩा होगा और जो पहले ऊपर पहुंच जाएगा, वही विजेता होगा।
रेस का दिन आ पहुंचा। चारों तरफ बहुत भीड़ थी। आस-पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहुंचे। रेस शुरू हुई, लेकिन खंभे को देखकर एकत्र हुए किसी भी मेंढक को यकीन नहीं हुआ कि वह ऊपर तक पहुंच पाएगा। हर तरफ यही सुनाई देता- अरे ये बहुत कठिन है। सफलता का कोई सवाल ही नहीं। इतने चिकने खंभे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता। और यही हो भी रहा था, जो भी मेंढक कोशिश करता, वो थोड़ा ऊपर जाकर गिर जाता।
लेकिन कई मेंढक गिरने के बावजूद प्रयासरत रहे। भीड़ चिल्लाए जा रही थी- ये नहीं हो सकता, असंभव और वो उत्साहित मेंढक भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना प्रयास छोड़ दिया। उन्हीं मेंढकों के बीच एक छोटा सा मेंढक था, जो बार-बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था। लगातार ऊपर बढ़ता रहा और अंतत: रेस का विजेता बना। उसकी जीत पर सभी को आश्चर्य हुआ।
सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे- तुमने असंभव काम कैसे कर दिखाया, भला तुझे अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहां से मिली, जरा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ? तभी पीछे से आवाज़ आई- अरे उससे क्या पूछते हो, वो तो बहरा है। अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबिलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं, उन्हें पूरा किए बिना ही अपनी जिंदगी गुजार देते हैं।
mm
March 18, 2015 at 4:39 pm
बीलकुल सत्य है । मित्रो,कैसी भी स्थिती हो हार न माने, बस मन में यह विचार ही पाले की जीत हमारी है। मजिठीया मिलेगा ही किसी भी सुरत में.. यह न सोचे कब और कैसे वो उपर वाले पर छोड़़ दे , बस हम हमारा संधर्ष करे,कर्म करें।