‘बहुत मजबूत हूं मैं। सारी जिंदगी मेहनत की। संघर्ष किया। हर परेशानी से पार पाने की कोशिश करते-करते यहां तक पहुंची लेकिन आज बहुत मजबूर महसूस कर रही हूं। अपने सपनों को टूटते देखना, जिंदगी को एक ही झटके में सड़क पर देखना इतना भी आसां नहीं होता। जो लोग सारी जिंदगी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मेहनत करते है और जो जान लगा देते है उनके लिए एक सुबह अपने बिखरे सपनों के साथ उठना मौत से कम नहीं। इंडिया टीवी ने जो कुछ किया मेरे साथ वो एक भयानक सपने से कम नहीं। प्रसाद सर, मैं आपको कभी माफ नहीं करूंगी। अनीता शर्मा, आपके लिए तो शब्द ही नहीं है। एक औरत होकर भी आप ऐसा कर सकती है। अफसोस रहेगा कि मैंने इंडिया टीवी ज्वाइन किया और ऐसे लोगों के साथ काम किया जो विश्वासघात करते हैं, षड्यंत्र करते हैं।’ इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखे गए सुसाइड नोट में अपने साथ हुए मानसिक उत्पीड़न की दास्तान को कुछ इस तरह बयां किया। वह चैनल में दो वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को लेकर तनाव में थी। उसने 22 जून को इंडिया टीवी कार्यालय के बाहर नशीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। हालांकि समय रहते अस्पताल पहुंचाने के कारण उसकी जान बचा ली गई।
देश के एक राष्ट्रीय समाचार चैनल की एक एंकर का खुद खबर बन जाना दुखदायी है और सोचनीय भी। चैनल के सामने ही उसने आत्महत्या की कोशिश की और चैनल प्रबंधन पर सवाल खड़े किए। चैनल प्रबंधन के आपराधिक, गैर जिम्मेदाराना और उत्पीड़नकारी रुख के चलते तनु शर्मा को खुदकुशी की कोशिश के लिए मजबूर होना पड़ा। घटना के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जगह चैनल प्रबंधन उन्हें बचाने में जुट गया है। चैनल की तरफ से तनु शर्मा पर ही आत्महत्या की कोशिश का मामला दर्ज करवा दिया गया जिसके बाद तनु ने भी 26 जून को पुलिस को लिखित में अपना बयान दिया।
बयान के मुताबिक 5 फरवरी 2014 को चैनल ज्वाइन करने के बाद से ही तनु के वरिष्ठों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। तनु शर्मा ने पुलिस को दिए चार पेज लंबे स्वहस्ताक्षरित बयान में लिखा है कि फरवरी में नियुक्ति के बाद पहले तो अनीता शर्मा ने उसकी तारीफ करते हुए उसे अपने जाल में फंसाना चाहा। वो उसकी तारीफ में उसके अंगों के बारे में टिप्पणी करती थी। कहती थी कि उसका शरीर बहुत खुबसूरत है और इसे वो अपने आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। तनु शर्मा को कार्यस्थल पर लगातार बेईज्जत और प्रताड़ित किया जा रहा था। साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर आगे बढ़ने जैसे तरीके बताए जाते थे। तनु शर्मा ने अपने साथ हो रहे मानसिक उत्पीड़न के बारे में कई बार चैनल प्रबंधक को लिखित में शिकायत की लेकिन इसके बावजूद उसकी कोई मदद नहीं की।
अपने बयान में तनु शर्मा ने कई जगह लिखा है कि उसकी जिंदगी इन लोगों ने मिलकर नरक बना दी है। आखिरकार तंग आकर तनु शर्मा ने आत्महत्या का प्रयास किया। इस मामले में सबसे संदेहास्पद भूमिका पुलिस की रही है और किसी भी तरह की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। तनु शर्मा के बयान की कॉपी में स्पष्ट दिख जाता है कि उसने किन-किन लोगों के नाम लिए हैं और किन-किन पर आरोप लगाया है। तीन लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताते हुए आत्महत्या का प्रयास करने के पूर्व लिखे गए सुसाइड नोट में लिखा है कि रितु धवन, अनीता शर्मा विष्ट और एमएन प्रसाद के उत्पीड़न और असहयोग से क्षुब्ध होकर वो आत्महत्या कर रही है।
बाद में पुलिस को दिए बयान में भी उसने इन्हीं तीनों पर असहयोग, प्रताडि़त करने और कार्यस्थल पर गरिमापूर्ण व्यवहार न करने का आरोप लगाया है। कानूनन ये किसी के खिलाफ एफआईआर करने के लिए काफी होता है, लेकिन पुलिस के लिए शायद ये पर्याप्त नहीं था इसलिए उसने रितु धवन को ऊंची पहुंच और रसूख का लाभ देते हुए एफआईआर की जद से बाहर रखा। इतना ही नहीं, इसके बाद पीड़िता तनु शर्मा पर ही धाराएं लगाकर उसे जेल भेजे जाने की साजिश होने लगी है।
अब तक इस घटनाक्रम में राजनीतिक संरक्षण, पुलिस की लापरवाही, लीपापोती और कानूनी कार्यवाही का डर दिखा कर मामले को पूरी तरह से जनता की पहुंच से दूर रखा गया है ताकि ये संवेदनशील मुद्दा जनाक्रोश से दूर रहे। यहां तक कि इस मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी उदासीनता बरत रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ से अब तक इस खबर को प्रसारित ही नहीं किया गया है। प्रिंट मीडिया में जरूर कुछ समाचार पत्रों ने इस मामले से जुड़ी खबरें प्रकाशित की हैं। इस मामले में मीडिया की खुद की चुप्पी सवाल खड़े करती है। लगता है इस मामले में प्रतिद्वंदिता को दरकिनार करते हुए एक आपसी सहमति की स्थिति में दिख रहे हैं, जिसमें एक दूसरे की गलतियां छिपाने का अलिखित समझौता किया गया है।
हालांकि सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ वरिष्ठ मीडियाकर्मियों ने तनु शर्मा को न्याय दिलाने की मुहिम छेड़ी है। इस मुहिम में समाज सेवी, छात्र, मजदूर यूनियन से जुड़े कार्यकर्ता और अनेक लोग शामिल हो रहे हैं। सोशल मीडिया और न्यूज पोर्टल के माध्यम से इस मसले से जुड़ी खबरें लगातार आ रही हैं। जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) ने तनु शर्मा के साथ हुए मानसिक उत्पीड़न और दुव्र्यवहार की निंदा की है। कहा है तनु शर्मा ने पुलिस को जो बयान दिया वह लोकतंत्र के चैथे स्तंभ के पीछे की छिपी हुई गंदगी को उजागर करता है। जेयूसीएस ने इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की गई ताकि यह साफ हो जाए कि आखिर वे कौन से राजनेता और उद्योगपति है जिनके पास इंडिया टीवी अपने महिला पत्रकारों को भेजने की कोशिश करता था। जेयूसीएस ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से मांग की है कि वह इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मीडिया संस्थानों में महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न पर एक उच्चस्तरीय जांच आयोग बनाए और इस पर निश्चित समयावधि के अंदर अपनी रिपोर्ट रखे।
बहरहाल, मीडिया में काम की जगह पर प्रताड़ना के आरोपों से जुड़ा ये पहला मामला नहीं है। साल 2013 में इंटरनेशनल न्यूज सेफ्टी इंस्टीट्यूट’ और ‘इंटरनेशनल वीमेंस मीडिया फाउंडेशन’ ने दुनियाभर की 875 महिला पत्रकारों के साथ एक सर्वे किया। सर्वे के मुताबिक करीब दो-तिहाई महिला मीडियाकर्मियों ने काम के सिलसिले में धमकी और बदसलूकी झेली है। ज्यादातर मामलों में जिम्मेदार पुरुष सहकर्मी थे। तनु शर्मा मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि मीडिया संस्थानों में युवा महिला पत्रकार कितनी सुरक्षित हैं और उन्हें किस माहौल में काम करना पड़ता है।
लेखक बाबूलाल नागा विविधा फीचर्स के संपादक हैं। संपर्कः- 335, महावीर नगर, महारानी फार्म, दुर्गापुरा, जयपुर मोबाइल नंबर- 9829165513