Connect with us

Hi, what are you looking for?

महाराष्ट्र

आखिर किसकी ताकत पर सवार कंगना?

शिवसेना को उसी की भाषा में पहली बार किसी फिल्मी सितारे ने कड़ी चुनौती दी है। शिवसेना सन्न है। क्योंकि उसकी ताकतवर छवि को कंगना की तरफ से जबरदस्त झटका मिला है। लेकिन कंगना न केवल उद्धव ठाकरे, बल्कि शरद पवार और यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी निशाने पर रखे हुए हैं। इसी से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कंगना किसके बूते पर हर किसी से भिड़ने पर उतारू है।

-निरंजन परिहार

Advertisement. Scroll to continue reading.

शिवसेना और भले ही कुछ भी सोच सकती थी, लेकिन यह तो उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक अकेली कंगना रणौत उसे इतनी बड़ी चुनौती दे देगी। वह शिवसेना से लोहा लेने को मैदान में खड़ी है। क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और क्या उनकी शिवसेना, क्या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और क्या शरद पवार, हर किसी को वह अपने निशाने पर रखे हुए हैं। सीधी लड़ाई देखें, तो एक तरफ कंगना रणौत अपने दम पर अकेली मोर्चा संभाले हुए है, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, मुंबई पुलिस, महानगरपालिका, महाराष्ट्र सरकार, और शिवसेना है। वैसे, महानगरपालिका द्वारा कंगना के दफ्तर में अवैध निर्माण बताकर वहां तोड़फोड़ करने से माना जा रहा है कि शिवसेना, उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार के छवि पूरे देश भर में खराब हुई है। लेकिन मुंबई के लोग जानते हैं कि शिवसेना की ऐसे मामलों से जो वास्तविक छवि है, वह उल्टे मजबूत हुई है। शिवसेना को विवादों और चर्चित विषयों में बने रहने का शौक है और कंगना से ताजा विवाद उसकी छवि को मजबूत ही कर रहा है। लेकिन शिवसेना के उसके राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी फिल्मी सितारे से सीधी चुनौती मिल रही है, और इसमें भी खास बात यह है कि कंगना शिवसेना पर उसी के आक्रामक लहजे में हमले कर रही है। वह अब वह उद्धव ठाकरे सहित शरद पवार और सोनिया गाधी पर भी हमले कर रही है। इस बीच केंद्र सरकार में मंत्री रामदास आठवले का कंगना के घर जाकर उनसे मिले हैं। ऐसे में, सबसे बड़ा सवाल यही है कि कंगना के पीछे आखिर है कौन ?

यह अपने आप में बहुत आश्चर्यजनक सत्य है कि शिवसेना के 55 साल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ठाकरे परिवार और शिवसेना को मुंबई में फिल्म कलाकार से सीधी चुनौती मिल रही है। वरना, अब तक तो सारे कलाकार ठाकरे परिवार और उनकी शिवसेना के सामने नतमस्तक ही देखे गए हैं। कोई संबंधों की खातिर, कोई सम्मान की खातिर, तो कोई मन के किसी कोने में बैठे डर के मारे शिवसेना के सामने चूं तक नहीं कर पाता था। लेकिन कंगना के रूप में पहली बार शिवसेना को सीधे चुनौती मिलते देखना राजनीति के जानकारों को भी कुछ खास लग रहा है। यह संभभवतया इसलिए है कि महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजां बदली हुई है। हर बार बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़नेवाली शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ सरकार बनाकर अब पहले जैसी अपनी राजनीतिक विचार धारा को लगभग छोड़ सा दिया है, ऐसा माना जा रहा है। महाराष्ट्र में चाहे कोई माने या ना माने, और शिवसेना की महाराष्ट्रीयन समाज के बीच सामाजिक छवि को भले ही कोई आघात लगा हो या नहीं, लेकिन देश भर में एक राजनीतिक दल के रूप में उसकी छवि को एक बहुत बड़ा झटका तो जरूर लगा है। क्योंकि कंगना ने शिवसेना पर उसी के अंदाज में जवाबी हमले भी किए हैं। कंगना रणौत की मां आशा रणौत की इस बात को इसीलिए देश भर में समर्थन मिल रहा है जिसमें उन्होंने यह कहा है कि ये वो बाल ठाकरे की शिवसेना नहीं है, जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे है। शिवसेना ने मेरी बेटी के साथ अन्याय किया हैं और पूरे भारत वर्ष की जनता इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कंगना अपने इस पूरे मामले को राष्ट्रीय स्तर पर भी ले पहुंची है। इसीलिए शिवसेना और शरद पवार के बाद कंगना ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी इस मामले में लपेटा है। शिवसेना के साथ अपने विवाद पर कंगना ने सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए। कंगना ने सोनिया गांधी से सवाल किया है कि एक महिला होने के नाते क्या जिस तरह आपकी महाराष्ट्र की सरकार ने मेरे साथ बर्ताव किया, उससे आपको दुख नहीं हुआ। कंगना ने बहुत चालाकी से सोनिया गांधी को उनके विदेशी मूल का होना याद दिलाते हुए कहा है कि आप पश्चिम में पली बढ़ी हैं, और भारत में रहती हैं। इसलिए आपको महिलाओं के संघर्ष की जानकारी होगी। लेकिन आपकी खुद की सरकार महिलाओं का उत्पीड़न कर रही है और कानून-व्यवस्था का मजाक उड़ा रही है, तो इतिहास आपकी चुप्पी का भी न्याय करेगा। कंगना के इस ट्वीट की गहरी भाषा की शब्दावली भी बहुत कुछ कहती है।

हालांकि कोई नहीं मान रहा, फिर भी बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्मंत्री देवेंद्र फडणवीस सफाई की मुद्रा में कह रहे हैं कि कंगना का मुद्दा बीजेपी ने नहीं उठाया। बीजेपी से इस मुद्दे का कोई संबंध नहीं है। उल्टे शिवसेना ने कंगना पर बयान देकर उसे बड़ा किया है। दाऊद के घर को तोड़ने के कोर्ट के आदेश हैं, वह तो वे तोड़ नहीं सकते, लेकिन कंगना का निर्माण को तोड़ रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने भी कहा कि शिवसेना और सरकार एक अकेली महिला के पीछे जिस तरह से पड़े हैं, वह ठीक नहीं है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि फडणवीस और पाटिल के बयानों का मतलब साफ है कि बीजेपी इस पूरे मामले को बहुत सोच समझकर हेंडल कर रही है। पाटिल, फडणवीस और कंगना के सोनिया गांधी पर बयान को देखकर राजनीति के जानकार बताते हैं कि उद्धव ठाकरे और उनकी शिवसेना के सामने दिखने में भले ही कंगना रणौत अकेली हो, लेकिन कंगना को जो राजनीतिक समर्थन हासिल है, वह तो उन्हें मिली वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा में साफ दिख रहा है। फिर भी हर कोई जानना चाहता है कि कंगना के कंधे पर आखिर हाथ किसका है ? वैसे कहते हैं कि सिंध्दातों की लडाई केवल सिध्दांतों से लडी जाती है और बंदूक के जवाब में बंदूक ही चलाई जाती है। लेकिन अपने साथ मिलकर सरकार न बनाने का बदला किसी अबला को अकेला मोर्चे पर खड़ा करके भी लिया जा सकता है, यह सब समझ ही नहीं आए, हमारा हिंदुस्तान इतना भी मतिमंद भी नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक निरंजन परिहार राजनीतिक विश्लेषक हैं।

संपर्क – 9821226894

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement