राकेश यादव-
लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में तीमारदारों से हुई लूट को लेकर बड़ी बात सामने आई है। मरीज को डिस्चार्ज कराने पर हुए हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने सफाई देते हुए एक प्रेस नोट जारी किया। इसमें कहा गया कि मरीज के इंश्योरेंस की धनराशि खत्म होने और अन्य भुगतान न करना पड़े इसको लेकर परिजनों ने हंगामा काटा। लेखा विभाग के हस्तक्षेप के बाद मामले का निपटारा कर दिया।
वहीं परिजनों का आरोप है कि बगैर वेंटीलेटर लगाए गए दो दिन के चार्ज को हटाकर यह साबित कर दिया कि मरीज को वेंटीलेटर लगाया ही नहीं गया था। उन्होंने आशंका जताई है कि अस्पताल प्रशासन ने जिन दवाइयों का भुगतान लिया है वह मरीज को दी गई या नहीं? परिजनों का आरोप है कि मरीज के भर्ती होने के बाद हालात सुधरने के बजाए बिगड़ती ही चली गई। इसी वजह से उन्हें डिस्चार्ज कराना पड़ा।
आगरा निवासी झम्मन लाल गोयल जिनको फेफड़े और यूरिन में इन्फेक्शन था। परिजन उन्हें बीती 17 दिसंबर को लखनऊ के मेदांता अस्पताल लाए। करीब 15 दिन उपचार के बाद भी मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं होता देख उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पिता (मरीज) को डिस्चार्ज करने को कहा। तो अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को जो बिल दिया, उसमें मरीज के दो दिन वेटिलेटर पर नहीं रहने के बावजूद तीन दिन का पैसा लगा पाया गया। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक हुई।
मरीज झम्मन लाल गोयल के बेटे भगवती प्रसाद गोयल, रिंकू गोयल, मोहिनी का कहना है कि, ‘अस्पताल प्रशासन ने विरोध करने पर 25, 27 दिसंबर और एक जनवरी को तीन दिन लगाए गए वेंटीलर के चार्ज को आनन-फानन में हटा दिया।’
उधर अस्पताल प्रशासन ने जारी प्रेस नोट में कहा है कि, ‘इंशोरेंस की 1.40 प्रतिशत धनराशि खत्म हो गई। शेष धनराशि का भुगतान करना होगा।’
इस पर परिजनों ने हंगामा काटा। इसके बाद अकाउंट सेक्शन में मामला का निपटारा कर दिया गया। मरीज के बेटे रिंकू गोयल ने बताया ‘अस्पताल प्रशासन झूठ बोल रहा है। इलाज के लिए पैसे की कोई कमी थी ही नहीं, हम तो उनसे यह कह रहे थे कि दो लाख लो हमको हमारा मरीज तुरंत दो। हिसाब बाद में हो जायेगा। कम हो तो ले लेना.. ज्यादा हो तो वापस कर देना। इसके बाद भी उन्होंने मरीज को बाहर निकालने में पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया। तीन दिन का वेंटीलेटर का चार्ज जोड़े नहीं लगाने के बावजूद जोड़ दिया। जब वेंटीलेटर नही लगाया तो क्या जिन महंगी दवाओं का पैसा लगाया गया। वह दवाएं मरीज को दी गई कि नहीं इस पर भी संशय की स्थित बनी है। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल मरीजों के परिजनों को सिर्फ लूटता है। मरीज के लिए न तो कोई सुविधाएं हैं और न ही मरीज का ख्याल रखा जाता है।’
जिम्मेदारों ने नहीं उठाया फोन
मरीज को डिस्चार्ज कराने पर हुए हंगामे के संबंध में जब मेदांता अस्पताल के निदेशक राकेश कपूर से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उन्होंने फोन नहीं उठाया। निदेशक के निजी सचिव शैलेंद्र मल्होत्रा ने भी फोन नहीं उठाया। उधर अकाउंट विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ की रिपोर्ट पर बिल जेनरेट किया जाता है। हो सकता है कि कोई भूल हो गई हो।
मूल खबर.. बेरहम अस्पताल : लखनऊ के मेदांता पर डेड बॉडी का इलाज कर बिल वसूली का आरोप, देखें वीडियो