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रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी देने वाला पूर्वांचल का पहला कैंसर अस्पताल बना एमपीएमएमसीसी

सुरेश गांधी-

थायराइड कैंसर, न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा इत्यादि कैंसर के संपूर्ण इलाज में बेहद खास है यह उपचार

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वाराणसी। कैंसर के आधुनिक इलाज के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (एम.पी.एम.एम.सी.सी.) एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एच.बी.सी.एच.) में रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी की शुरुआत हुई है। यह थेरेपी थायरइड कैंसर, न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा सहित इस तरह के कई दूसरे कैंसर (जिनमें सर्जरी की संभावना न हो) में महत्वपूर्ण है। इस सुविधा की शुरुआत एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. में हो जाने से अब उपरोक्त बीमारी से परेशान मरीजों को इस थेरेपी के लिए दूसरे शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश दुनिया में बड़े चकित्सकों ने इस थेरेपी को कैंसर के इलाज में सबसे आधुनिक पाया हैं।

एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि कैंसर किसी के लिए भी विनाशकारी हो सकता है, और जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें अपने जीवन में हर दिन संघर्ष करना पड़ता है लेकिन कई बार कैंसर मरीजों को ठीक होने के लिए चिकित्सा सहायता के लिए दर-दर भटकना पड़ता है, ऐसे में उन्हें सही इलाज और मोरल सपोर्ट दोनों ही इस अस्पताल में मिलेगा, एक ही जगह पर कैंसर का इलाज मरीजों को मिल पाएगा, अस्पताल की ओर से यह एक बड़ी पहल की गई है। एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि “उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। अपनी इसी प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए अस्पताल में हमने रेडियो-न्यूक्लाइड थेरेपी की शुरुआत की है, जो विश्व कैंसर दिवस के मौके पर मरीजों के लिए एक सौगात की तरह है।आने वाले दिनों में भी कैंसर इलाज में सहूलियत के लिए अस्पताल में और भी नई सुविधाओं की शुरुआत की जाएगी।“ गौरतलब है दुनिया में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करना है।

उन्होंने बताया कि पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को इलाज में सहूलियत देने के लिए एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. में समय-समय पर नई सुवधाओं एवं सेवाओं की शुरुआत की जा रही है। इसी के तहत अब अस्पताल में रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी की सुविधा भी मरीजों को मिल सकेगी। एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के डॉ. वरुण शुक्ला ने बताया कि रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी के अंतर्गत कई तरह की थेरेपी आती हैं, इनमें रेडियो-आयोडिन थेरेपी,पीएसएमए थेरेपी, एमआईबीजी,डोटाटेट एवं समेरियम थेरेपी मुख्य रूप से शामिल हैं। रेडियो आयोडिन थेरेपी जहां थायराइड के कैंसर के इलाज के लिए खास है, वहीं डोटाटेट न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर, एमआईबीजी न्यूरोब्लास्टोमा फीयोक्रोमोसाइटोम पैरागैंगलियोमा, जबकि समेरियम हड्डी से जुड़े कैंसर के इलाज में बेहद अहम है और पीएसएमए थेरेपी प्रोस्टेट कैंसर के उन मरीजों में कारगर है, जिनमें हार्मोनल थेरेपी असरदार न हो। रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी देने वाला एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच पूर्वांचल का पहला कैंसर अस्पताल बन गया है।

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थायराइड ग्रंथि से जुड़े कैंसर के इलाज में थेरेपी की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने श्री शुक्ला ने बताया कि जब थायराइड ग्रंथि में कैंसर होता है, तो सर्जरी के जरिए कैंसर को वहां से निकाल दिया जाता है, लेकिन कई बार कैंसर थायराइड ग्रंथि के ऐसे हिस्सों या शरीर के दूसरे हिस्सों में बच जाता है, जिसे सर्जरी के जरिए नहीं निकाला जा सकता। इस तरह के मरीजों में रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी बेहद कारगर होती है। रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी के तहत थायराइड कैंसर के बचे कोशिकाओं को मारने के लिए मरीज को एक दवा दी जाती है, जिससे न केवल थायराइड ग्रंथि, बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों में भी सर्जरी के बाद बचे कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद मिलती है।“

…फिर से न हो कैंसर

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एम.पी.एम.एम.सी.सी के डॉ. मणिकंडन एम. वी. ने बताया कि थायराइड कैंसर कई बार ठीक होने के बाद फिर मरीज को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। इसका कारण सर्जरी के दौरान कुछ कैंसर कोशिकाओं का बच जाना होता है। ऐसे में उन कोशिकाओं को पूरी तरह नष्ट करने के लिए रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी दिया जाता है, ताकि फिर से बीमारी न उत्पन्न हो जाए।

होमी भाभा में शुरू हुई ब्लड इरेडियटर की सुविधा

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कैंसर मरीजों को अत्याधुनिक इलाज मुहैया कराने के लिए नई तकनीकियों की शुरुआत अस्पताल में हो रही है। इसी कड़ी में ब्लड कैंसर और बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए समर्पित लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में ब्लड इरेडिएशन की शुरुआत हुई है। अस्पताल के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अक्षय बत्रा ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के लिए ब्लड इरेडिएटर बेहद महत्वपूर्ण है। इसके जरिए खून में पाए जाने वाले टी सेल्स को निष्क्रिय करने में मदद मिलती है, जिससे ट्रांसप्लांट के मरीजों में रक्त जनित बीमारियों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

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