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दिल्ली

सरकारी गवाह बने न्यूज़क्लिक के HR हेड अमित चक्रवर्ती ने SC में वापस ली याचिका

न्यूज़क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने अपने खिलाफ UAPA मामले में गिरफ्तारी और पुलिस रिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका वापस ले ली.

न्यायमुर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मामले में सुनवाई 30 जनवरी तक स्थगित करते हुए सरकारी गवाह बन चुके चक्रवर्ती को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. 

समाचार पोर्टल के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और चक्रवर्ती ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेजने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. दोनों को न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में लगाए गये आरोपों के बाद सिलसिलेवार छापा अभियान में गिर्फतार किया गया था. आरोप था कि पोर्टल को चीनी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए भुगतान किया जा रहा है. उनकी गिरफ्तारी 3 अक्टूबर, 2023 को हुई थी. 

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19 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने UAPA  मामले में उनकी पुलिस रिमांड के खिलाफ न्यूज़क्लिक के संस्थापक और एचआर हेड चक्रवर्ती द्वारा दायर याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था. 

प्रबीर पुरकायस्थ ने इसके बाद अंतरिम चिकित्सा जमानत के लिए शीर्ष अदालत में आवेदन दिया था. 

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दायर प्राथमिकी में कहा गया है कि, आरोपियों ने अवैध रूप से करोड़ों रूपये विदेशी धन प्राप्त किए और भारत की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा को बाधित करने के इरादे से इसका इस्तेमाल किया. प्राथमिकी के अनुसार, करोड़ों रूपये की ये धनराशि न्यूज़क्लिक द्वारा पांच वर्षों की अवधि में अवैध तरीकों से प्राप्त की गई थी. 

आरोप है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग के कथित सक्रिय सदस्य नेविल रॉय सिंघम ने फर्जी तरीके से धन का इस्तेमाल किया. 

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अंतत: आरोपियों ने अपनी गिरफ्तारी, रिमांड और यूएपीए के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया. 

याचिकाकर्ताओं ने उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध ठहराने का तर्क देकर कहा कि, क्योंकि उन्हें पंकज बंसल बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के उल्लंघन में गिरफ्तारी के आदार के साथ आपूर्ति नहीं की गई थी. हालांकि, गिरफ्तारी का आधार प्रस्तुत न करने पर उच्च न्यायालय ने उनका तर्क खारिज कर दिया. 

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यह माना गया कि सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला UAPA के तहत की गई गिरफ्तारियों पर पूरी तरह से लागू नहीं होता. जिसके बाद शीर्ष अदालत के समक्ष तत्काल एक अपील दायर की गई. 

प्रबीर पुरकायस्थ बनाम एनसीटी दिल्ली स्टेट केस में प्रबीर पुरकायस्थ की तरप से वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए. वहीं, दिल्ली पुलिस का पक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने किया. 

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