दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को पत्रकारों पर हुए हमले के विरोध में कई जाने-माने पत्रकार आज प्रदर्शन कर रहे हैं। पत्रकारों ने प्रेस क्लब से सुप्रीम कोर्ट तक मार्च निकाला है। आरोप है कि सोमवार को कोर्ट परिसर में जब वकील कुछ पत्रकारों को पीट रहे थे तो पुलिस तमाशबीन बनी खड़ी रही। जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगाए जाने के आरोपों के बीच सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में छात्र नेता कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान रिपोर्टिंग करने पहुंचे कई पत्रकारों के साथ बदसलूकी की गई। कोर्ट में पहने जाने वाली काली जैकेट पहने कुछ वकीलों ने कैमरे के सामने ही कई पत्रकारों के साथ मारपीट की।
एनडीटीवी रिपोर्टर सोनल मेहरोत्रा का कहना है कि वह कोर्ट के अंदर जेएनयू के सीनियर प्रोफेसरों के साथ बैठी हुई थी, तभी वकीलों का एक गुट वहां पहुंचा और उनसे उलझने लगा। उन्हें तुरंत कोर्ट से निकल जाने की धमकी दी गई। सोनल ने जब बताया कि वह एनडीटीवी से हैं तो उनसे कहा गया कि हमें यहां आपकी कोई जरूरत नहीं है, यहां से निकलिए वरना आपको नुकसान झेलना पड़ेगा। वहां पांच पुलिसकर्मी भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने इस बीच दखल नहीं दिया।
सोनल का कहना है कि इसके बाद वह कोर्ट के बाहर हो रहे उत्पात को फिल्माने के लिए बाहर आ गईं। 10-15 वकील वहां लोगों से पूछ रहे थे, ‘क्या आप जेएनयू से हैं?’ और फिर पत्रकारों के साथ मारपीट शुरू कर दी। उनका मोबाइल भी लूट लिया गया, लेकिन बाद में सोनल ने इसे वापस छीन लिया। उन्हें कहा गया कि या तो वीडियो डिलीट करो या नुकसान झेलो… सोनल ने जो वीडियो वहां शूट किया उसे एनडीटीवी पर दिखाया जा रहा है।
पिछले हफ्ते जेएनयू छात्र यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया ने कहा कि उन्हें राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जो कि गलत है। बता दें कि आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में जेएनयू में हुई एक सभा में राष्ट्रविरोधी नारे लगे थे। तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मामले में पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की है।
कोर्ट परिसर में आईबीएऩ7 पत्रकार अमित पांडे सहित कई पत्रकारों को वकीलों ने पीटा था। मारपीट में अमित पांडे सहित 9 पत्रकारों को चोट आई थी। मार्च में शामिल आईबीएन7 के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने कहा कि ये हमला सुनियोजित था। ऐसी खबर है कि बार एसोसिएशन के बीच एसएमएस सर्कुलेट हुए थे कि यहां पहुंचना है। खुद को न्याय का पुजारी कहने वाले वकीलों ने इस घटना को अंजाम दिया। इन लोगों पर मुकदमा होना चाहिए। पुलिस पर सवाल उठते हैं जो अपने मंत्री का ख्याल रख रही थी, पिटाई हो रही थी लेकिन उन्हें परवाह नहीं थी।
सीसीटीवी में वकीलों की शक्लें आई हैं, उन्हें क्यों बख्शा जा रहा है। पत्रकार घायल हो जाते, छात्र बुरी तरह घायल हो जाते, क्या तब पुलिस को लगता कि ये घटना बड़ी है। कई पत्रकार कोर्ट परिसर में पीटे गए बावजूद इसके पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। महान है दिल्ली पुलिस। इस मार्च में कई बड़े पत्रकार शामिल हुए। बता दें कि कल कोर्ट में कन्हैया की पेशी से पहले वकीलों की पत्रकारों और छात्रों से झड़प हो गई थी। वकीलों ने कुछ छात्रों को तो पीटा ही पत्रकारों पर भी हमला बोला। आईबीएन7 के रिपोर्टर अमित पांडे को भी वकीलों ने पीटा इसके अलावा सीएनएन-आईबीएऩ की रिपोर्टर मीनाक्षी उप्रेती से भी बदसलूकी की।
दो FIR दर्ज
जेएनयू कैंपस में हुई देशद्रोही नारेबाजी को लेकर देश में सियासी माहौल गर्माया हुआ है। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज कर ली गई है। सीपीआई कार्यकर्ता के साथ मारपीट को लेकर बीजेपी विधायक ओ पी शर्मा भी सवालों के घेरे में है। कल पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान सीपीआई कार्यकर्ता अमीक जामई से मारपीट हुई थी। बीजेपी विधायक ओपी शर्मा पर मारपीट के आरोप हैं। अपने बचाव में ओ पी शर्मा सफाई दे रहे हैं। ओ पी शर्मा का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में युवक से हाथापाई की। ओपी शर्मा का आरोप है कि अमीक जामई देश विरोधी नारे लगा रहा था। मना करने पर भी वो नहीं माना।
दूसरी तरफ अमीक का कहना है कि वो देश विरोधी नारे नहीं लगा रहा था उसे जानबूझ कर निशाना बनाया गया और मारपीट की गई है। इस मामले को लेकर ओ पी शर्मा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की जा रही है। गिरफ्तारी तक की मांग की जा रही है। वहीं, मंगलवार तड़के डीयू के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी को अरेस्ट कर लिया गया। उस पर प्रेस क्लब में अफजल के सपोर्ट में प्रोग्राम करने का आरोप है।