भोपाल । टेलीविजन समाचार निर्माण से संबंधित नित नई बदलती तकनीक के साथ विद्यार्थियों का परिचित होना बेहद जरूरी है। बीते सालों में टेलीविजन तकनीक का सार्वजनिक जीवन में हस्तक्षेप बढ़ा है। ऐसा सिर्फ टेलीविजन देखने वालों की संख्या में होने वाली वृद्धि के चलते ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा कारण टेलीविजन तकनीकों में तेज गति से हो रहे प्रयोग हैं। यह उद्गार आज तक न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम एंकर श्री सईद अंसारी ने विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा ‘टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किया।
श्री सईद अंसारी ने विद्यार्थियों को बताया कि मनोरंजन से भरपूर वर्तमान दौर में टेलीविजन रोजगार का बेहतर माध्यम बन गया है। टेलीविजन कार्यक्रमों और विभिन्न व्यावसायिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रस्तुतीकरण में टेलीविजन एंकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस हेतु आवश्यक है कि विद्याथियों को हिन्दी व अँगरेजी भाषा पर पूरा अधिकार होना चाहिए। एंकर बनने के लिए अपनी अभिनय प्रतिभा एवं डायलॉग डिलेवरी में निखार के लिए लगातार अभ्यास करते रहें।
श्री सईद अंसारी ने बताया कि नये ट्रेंड में समाचार वाचक की भूमिका न्यूज एंकर के रूप में बदल गयी है जिसके कारण दर्शकों ने पुराने पसंदीदा चेहरे भुला दिए हैं। उन्होंने हिंदी में टेलीविजन समाचार के सरोकारों की बात की तथा आज टेलीविजन पर हो रही पत्रकारिता को एक बहस का मुद्दा मानते हुए चैनलों की कारोबारी मानसिकता पर भी सवाल उठाने की कोशिश की। इस दौरान श्री सईद अंसारी नें टेलीविजन समाचार से जुड़ी प्रत्येक छोटी-बड़ी जानकारी को सरल और मनोरंजक शैली में विद्यार्थियों को समझाया।
एक दिवसीय इस कार्यशाला में भोपाल पॉलिटेक्निक के प्राध्यापक श्री अवधेश सिंह ने टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण के विभिन्न पहलुओं से प्रतिभागियों को परिचित कराया। कार्यशाला के आध्यक्ष प्रो. मोहनलाल छीपा ने बताया कि टेलीविजन समाचार कला तकनीक का अनोखा संगम है। इस कार्यशाला में समाचार लेखन, समाचार बुलेटिन निर्माण, समसामयिकी कार्यक्रम निर्माण टेलीविजन कार्यक्रम संपादन संबंधित विषयों पर चर्चा चर्चा की गयी।
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