नितिन त्रिपाठी-
इस होली में हमने एक प्रयोग किया. यद्यपि फ़ेस बुक का आधिकारिक बयान है कि वह आपकी बातें रिकॉर्ड नहीं करता, पर इसमें दोराय नहीं कि वह आपकी बात सुनता ज़रूर है.
होली से पूर्व मैंने अपना और पत्नी का फ़ोन जेब में डाला, मेरा आईफ़ोन है पत्नी का एंड्राइड. हम टहलते हुवे आपस में बात करने लगे होली के मेनू की. लंबी बात चल गई दाल पकवान पर. बाक़ी सब मेनू फाइनल हो गया पर विभिन्न वजहों से दाल पकवान फाइनल नहीं हो पा रहा था.
ब्रेक लिया पाँच मिनट का. फ़ेस बुक चेक किया. पत्नी के फ़ेसबुक अकाउंट में लाइन से वीडियो / न्यूज़ आर्टिकल थे दाल पकवान रेसिपी, होली के मेनू और दाल पकवान क्यों रखें टाइप से.
ध्यान देने वाली बात यह है कि हमने ज़िंदगी में कभी दाल पकवान न गूगल किया होगा न कोई वीडियो देखा होगा. पहली बार आपस में बात की और पूरी वाल दाल पकवान से भरी थी. ऐसा केवल एंड्राइड में था.
होली के बाद हम चर्चा कर रहे थे कि अब एज हो रही है, होली के टाइम सब स्टाफ़ छुट्टी ले लेता है, ज्यादा मेहनत पड़ जाती है. अगले साल से कुछ कट डाउन करेंगे. पुनः फ़ेस बुक पर अब सारे ऐड थे होली में कैटरर हायर करें, क्लीनिंग सर्विस आदि के.
मुझे चोट लग गई थी, डॉक्टर को दिखाना था. पत्नी ने कई बार ड्राइवर को फ़ोन किया पर होली के अगले दिन उसने फ़ोन न उठाया. मुझे ख़ुद कार चला कर हॉस्पिटल जाना पड़ा. पत्नी बहुत नाराज़ हो रही थी ड्राइवर पर. गेस व्हाट – फ़ेस बुक पर अब ऐड थे एक दिन के लिए / होली पर ड्राइवर हायरिंग पर.
जैसे कैम्ब्रिज अनलिटिका वाले केस में हुआ था भविष्य में देखियेगा खुलेगा कि फ़ेस बुक आपको सुन कर विज्ञापन दिखाता था. आईओएस के पिछले अपडेट से ऐपल में यह समस्या समाप्त हो गई है पर एंड्राइड में अभी भी यह तगड़ी समस्या है. और आश्चर्य न होगा कि यह सब भारत जैसे देशों में ही किया जा रहा हो क्योंकि यहाँ प्राइवेसी, पेनल्टी आदि का कोई प्रावधान नहीं है.