मणिपुर की आयरन लेडी इरोम चानू शर्मिला को एक स्थानीय अदालत ने न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है। इरोम सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून हटाने की मांग को लेकर पिछले 14 साल से भूख हड़ताल कर रही हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ खुदकुशी का मामला दर्ज किया था और वह 13 साल से मणिपुर के एक अस्पताल में न्यायिक हिरासत में थीं।
मणिपुर पूर्व की सत्र अदालत ने केएच मणि और वाई देवदत्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इरोम पर आत्महत्या की कोशिश की मंशा का आरोप साबित नहीं होता। अदालत ने इरोम के विरोध को अपराध नहीं मानते हुए अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार उनके स्वास्थ्य को लेकर उचित उपाय कर सकती है।
गौरतलब है कि सन 2000 में मणिपुर में, सेना पर 10 आम नागरिकों को मारने का आरोप लगा था। लेकिन सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून की आड़ में किसी पर कोई कार्यवाई नहीं हुई। इस घटना के विरोध में और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को मणिपुर से हटाने की मांग को लेकर इरोम शर्मिला ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। भूख हड़ताल शुरू करने के तीन दिन बाद ही इरोम को हिरासत में लिया गया था। तब से ले कर आज इरोम को ट्यूब के जरिए जबरदस्ती खाना खिलाया जाता रहा है।
इरोम वक़ील खैदाम मणि ने ने बताया कि आईपीसी की धारा 309 के तहत इरोम के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी लेकिन प्रतिपक्ष के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित किया जा सके कि इरोम ने आत्महत्या को कोशिश की है। राज्य सरकार के पास उच्च न्यायलय में जाने का विकल्प है। ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
इसे भी पढेंः
मैं इरोम हूं, मैं मरना नहीं चाहती, मैं भी खाना चाहती हूं…