टाइम्स मेल ने 10 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर पूरे कर लिए हैं. कुल मिलाकर 11 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हमारे पास है. अब टाइम्स मेल भी वन मिलियन सब्सक्राइबर वाला डिजिटल चैनल बन चुका है.
हम अपनी आलोचनात्मक स्क्रिप्ट और बेबाक एंकरिंग के लिए जाने जाते हैं. हमने अपनी पत्रकारिता से बिल्कुल भी समझौता नहीं किया. वरना आज के दौर में सत्ता से कड़े सवाल पूछने का मतलब बदल जाता है. क्योंकि एक धारणा बन चुकी है कि यदि कोई चैनल सत्ता से सवाल करता है तो ज़रूर किसी न किसी गैर भाजपाई पार्टी का समर्थक होगा. किन्तु टाइम्स मेल पर अभी तक किसी भी राजनैतिक दल के समर्थन का आरोप नहीं लगा.
हमने समाज में हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज़ बुलंद की है. किसी भी जाति, किसी भी धर्म और किसी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखा. हमने अगर सत्ता में बैठी बीजेपी से सवाल किया है तो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा, जेडीयू जदयू, एम.आई.एम से भी कड़े सवाल पूछे. साफ तौर कहा जा सकता है कि ऐसी कोई सियासी पार्टी बच नहीं सकी है जो टाइम्स मेल के सख़्त और कड़े सवालों से बच सके. बीते साल हमारा चैनल एक मिलियन पूरा करने वाला ही था, तभी हमारे चैनल को साइबर अटैक का सामना करना पड़ा. दिल्ली पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई.
बहुत ही कोशिशों के बाद चैनल को बचाने में कामयाब रहे. पर पत्रकारिता को जीवित रखना ही हमारा धर्म है. हम अपने तमाम दर्शकों के शुक्रगुज़ार है. उम्मीद है ये सफर आगे अभी जारी रहेगा.
संपादक
(Times Mail)