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स्टेट अथारिटीज को अखबारों का सरकुलेशन जांचने के आदेश पर कोर्ट ने जारी किया नोटिस

याचिका के जरिए डीएवीपी की मीडिया पॉलिसी को चुनौती दी गई है… सर्कुलेशन जांच का अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार को दिया जाए, किसी दूसरी एजेन्सी को नहीं…

जोधपुर । ऑल इण्डिया स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर फेडरेशन द्वारा डीएवीपी की मीडिय पॉलिसी 2016 एवं सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अलावा किसी दूसरी एजेन्सी को दिये जाने के मामले में दायर की गई चुनौती याचिका पर सुनवाई के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं। याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, डीएवपी, प्रेस पंजीयक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एवं डीआईपीआर को भी पार्टी बनाया गया हैं। याचिका फेडरेशन के जिलाध्यक्ष खरथाराम द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज भंडारी, एस.पी. शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड़ ने पैरवी की।

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याचिका के जरिए डीएवीपी की मीडिया पॉलिसी को चुनौती दी गई है… सर्कुलेशन जांच का अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार को दिया जाए, किसी दूसरी एजेन्सी को नहीं…

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जोधपुर । ऑल इण्डिया स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर फेडरेशन द्वारा डीएवीपी की मीडिय पॉलिसी 2016 एवं सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अलावा किसी दूसरी एजेन्सी को दिये जाने के मामले में दायर की गई चुनौती याचिका पर सुनवाई के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं। याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, डीएवपी, प्रेस पंजीयक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एवं डीआईपीआर को भी पार्टी बनाया गया हैं। याचिका फेडरेशन के जिलाध्यक्ष खरथाराम द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज भंडारी, एस.पी. शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड़ ने पैरवी की।

एडवोकेट दलपतसिंह राठौड़ ने बताया कि डीएवीपी की विज्ञापन पॉलिसी 2016 मे प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 के प्रावधानों को दरकिनार कर महानिदेशक ने समाचार पत्रों के सर्कुलेशन की जांच का अधिकार न केवल स्वयं ले लिया बल्कि बाद में एक आदेश जारी कर राजस्थान के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी को भी जिला स्तरीय जन सम्पर्क अधिकारियों से जांच करवाने के निर्देश जारी कर दिये। दिल्ली हाईकोर्ट इससे पूर्व सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग के अधिकारी या निजी एजेन्सी को देने संबंधित आदेश को अवैध ठहराते हुए रद्द कर चुका है। यहां तक प्रेस काउंसिंल ऑफ इण्डिया ने भी विभिन्न मामलों में माना है कि स्टेट अथारटिज को समाचार पत्र के सर्कुलेशन जांच का अधिकार नही है।

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याचिका में कहा गया है कि डीएवीपी से अनुमोदित चल रहे मौजूदा अखबारों को 1 जनवरी 16 से 31 दिसंबर 18 तक की 3 साल की अवधि की विज्ञापन दर का अनुबंध दिया जा चुका है जो पूर्व में प्रभावी विज्ञापन नीति 2007 के तहत दिया गया था। उक्त पॉलिसी में प्रावधान था कि महानिदेशक द्वारा किया गया अनुबंध आखिरी अवधि तक वैध रहेगा, लेकिन डीएवीपी ने 5 मई 17 को एक एडवाइजरी जारी कर निर्देश दिये हैं कि 45000 से अधिक के सर्कुलेशन वाले अखबारों को आरएनआई अथवा एबीसी से सरकुलेशन वेरीफीकेशन प्रमाण पत्र लाकर प्रस्तुत करना होगा, अन्यथा 1 जून 17 से विज्ञापन दर जारी नहीं की जायेगी।

इस याचिका में राजस्थान के सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के सेक्रेटरी एवं निदेशक के उस आदेश को भी चुनौती दी गई हैं जिसमें जिला स्तर के पीआरओ के माध्यम से अनुमोदित अखबारों के सर्कुलेशन की जांच के निर्देश दिये गये हैं। हाईकोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश संगीत लोढा ने याचिका पर सुनवाई के बाद संबंधित पक्षकारों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 25 मई तक जवाब तलब किया है।

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