किसी भी अखबार का सर्कुलेशन और पूरा विवरण सिर्फ एक क्लिक पर

आप भी जानिए भारत के किसी भी अखबार का सर्कुलेशन और पूरा विवरण सिर्फ एक क्लिक पर… भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयन कार्यालय नई दिल्ली ने एक जानकारी आरटीआई के जरिए मांगी गई सूचना में मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह को उपलब्ध कराई है। इस सूचना में समाचार पत्रों के पंजीयन कार्यालय ने बताया है कि कोई भी नागरिक समाचार पत्रों के पंजीयन कार्यालय की वेबसाइट www.rni.nic.in पर जाकर रजिस्टर्ड टाइटल पर क्लिक करके किसी भी समाचार पत्र के बारे में पूरी जानकारी, उसकी प्रसार संख्या से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकता है।

स्टेट अथारिटीज को अखबारों का सरकुलेशन जांचने के आदेश पर कोर्ट ने जारी किया नोटिस

याचिका के जरिए डीएवीपी की मीडिया पॉलिसी को चुनौती दी गई है… सर्कुलेशन जांच का अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार को दिया जाए, किसी दूसरी एजेन्सी को नहीं…

जोधपुर । ऑल इण्डिया स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर फेडरेशन द्वारा डीएवीपी की मीडिय पॉलिसी 2016 एवं सर्कुलेशन जांच के अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार के अलावा किसी दूसरी एजेन्सी को दिये जाने के मामले में दायर की गई चुनौती याचिका पर सुनवाई के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं। याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, डीएवपी, प्रेस पंजीयक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एवं डीआईपीआर को भी पार्टी बनाया गया हैं। याचिका फेडरेशन के जिलाध्यक्ष खरथाराम द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज भंडारी, एस.पी. शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड़ ने पैरवी की।

मोदी सरकार ने गिराई गाज : 269556 पत्र-पत्रिकाओं के टाइटिल निरस्त, 804 अखबार डीएवीपी विज्ञापन सूची से बाहर

नरेंद्र मोदी सरकार की सख्ती की गाज छोटे अखबारों और पत्रिकाओं पर पड़ी है. इससे दूर दराज की आवाज उठाने वाली पत्र-पत्रिकाओं का संचालन ठप पड़ गया है, साथ ही इससे जुड़े लाखों लोग बेरोजगार भी हो गए हैं. ऐसे दौर में जब बड़े मीडिया घराने पूरी तरह कारपोरेट के चंगुल में आ चुके हैं और असल मुद्दों को दरकिनार कर नकली खबरों को हाईलाइट करने में लगे हैं, मोदी सरकार उन छोटे अखबारों और पत्रिकाओं की गर्दन दबोचने में लगी है जो अपने साहस के बल पर असली खबरों को प्रकाशित कर भंडाफोड़ किया करते थे. हालांकि दूसरा पक्ष यह है कि उन हजारों लोगों की अकल ठिकाने आ गई है जो अखबारों पत्रिकाओं की आड़ में सिर्फ और सिर्फ सरकारी विज्ञापन हासिल करने की जुगत में लगे रहते थे और उनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं हुआ करता था. वो अखबार पत्रिका के जरिए ब्लैकमेलिंग और उगाही के धंधे में लिप्त थे.

आरएएनआई में इस समय कुल 1,05,443 पत्र-पत्रिकाएं पंजीकृत : राठौड़

दिल्ली : केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लोकसभा में बताया है कि 31 मार्च 2015 तक के आंकड़े के अनुसार देश भर में आरएनआई (रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर्स फॉर इंडिया) के पास 1,05,443 अखबार और पत्रिकाएं पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि आरएनआई ने 2014-15 में रिकॉर्ड 13,374 नामों को अनुमति दी और 6114 नामों को अस्वीकार कर दिया।