पत्रकारिता और पत्रकारों के गिरते स्तर को लेकर अक्सर विधवा विलाप होता है. दलाली, चम्मचागीरी, धंधेबाजी करने वालों के ठाठ-बाट देखकर जेन्यूइन पत्रकार भी चिढ़ते-कूढ़ते रहते हैं. पर क्या करिएगा जब, अगंभीर प्रवृत्ति के लोग इस धंधे में मालिक बनकर उतर गए हैं. यहां-वहां से पैसा जुटा नहीं कि सत्ता में हनक और धमक दिखाने के लिए अखबार निकाल लेते हैं और पत्रकारों को जैसे मन करता है, वैसे नाच नचाते हैं. जब अखबार मालिक ही विधानसभा के गलियारों में टहलने के लिए फोटोग्राफर बनने पर भी उतारू हो, तो कोई भी क्या कर सकता है.
बात हो रही है, लखनऊ से प्रकाशित वॉयस आफ मूवमेंट अखबार की. इस अखबार में अक्सर बदलाव होते हैं. अभी कुछ दिन पहले इसके मालिक प्रखर कुमार सिंह ने पूरी टीम ही बदल दी. पुरानी टीम को भगाकर प्रभात रंजन दीन के नेतृत्व में कैनविज टाइम्स की पूरी टीम को अपने यहां बुला लिया. बड़े-बड़े वादे इरादे के साथ आए प्रभात रंजन दीन को प्रखर का लड़कपन जमा नहीं और उन्होंने भी इस्तीफा देकर बाहर का रास्ता पकड़ लिया.
फिलहाल इस अखबार की स्थिति यह है कि काम करने वाले पत्रकारों का कई महीनों का बकाया है. किसी तरह काम चल रहा है. वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी ने अखबार के लुक को बेहतर किया है, लेकिन मालिक की अगंभीर प्रवृत्ति उनको भी बहुत रास आती नहीं दिख रही है. विधानसभा में विधायकों-मंत्रियों को अपना चेहरा दिखाने को व्यग्र प्रखर ने नैतिकता की सारी हदें पार करके फोटोग्राफर पास पर विधानसभा की गैलरी में घुमने का जुगाड़ किया है.
विधान सभा सत्र के दौरान पत्रकारों तथा प्रेस फोटोग्राफरों को कवरेज के लिए पास जारी होता है. इसमें तमाम अखबारों-चैनलों के लोग नियमानुसार पास लेकर सत्र का कवरेज करते हैं. इस दौरान तमाम विधायकों-मंत्रियों से मिलने-मिलाने का मौका भी रहता है. इसी मौके का लाभ उठाने के लिए वॉयस आफ मूवमेंट का मालिक प्रखर अपने अखबार का फोटोग्राफर बनने में भी परहेज नहीं किया. रिपोर्टर के लिए जारी होने वाले पास पूरे हो चुके थे, लिहाजा विधानसभा के गलियारे में घूमने के लिए प्रखर ने प्रेस फोटोग्राफर का पास जारी करवाया.
Dev
December 15, 2014 at 11:57 am
salvar kurti pahan lena chahiye tha milne ka aasan tarika