मयंक सक्सेना
Mayank Saxena : एक ऐसी पोस्ट है, जो मैं लिखना नहीं चाहता था…अब ज़रूरी है…ये पोस्ट Ravish Kumar के बारे में है…आप में से कई उनसे प्रेम करते होंगे और कई लोग नफ़रत…पर इग्नोर तो नहीं ही करते होंगे…जो इग्नोर करते होंगे, उनके अंदर की चिंताओं पर मुझे चिंता है…
ये पोस्ट इसलिए ज़रूरी है कि रवीश कुमार की चिंता, अब हर सहज और ईमानदार मनुष्य को करनी चाहिए…इसलिए नहीं कि रवीश परेशान हैं…इसलिए कि आप भी कभी इसके शिकार हो सकते हैं…या हमारी तरह हो चुके हों…
3 साल पहले, जब रवीश ने सोशल मीडिया छोड़ी, तो मैंने भी उनसे कहा कि गाली-गलौज से भागिए मत…पर वह सोशल मीडिया से चले गए…फिर वह लौटे…और ज़्यादा असर-ताक़त और उतने ही ज़्यादा ख़तरों के साथ लौटे…और अब जब उनके बारे में तमाम बातें चल रही हैं…उनके फ़र्ज़ी स्क्रीनशॉट्स के साथ, उनका नम्बर भी साझा किया जा रहा है…जिससे कि उनके इनबॉक्स में जाकर भाजपा और संघ के नीच-कुत्सित मानसिकता के समर्थक गाली-गलौज करें…तो ये बात लिखनी बेहद ज़रूरी हो गई है…
घटना 1.
ये बात सिर्फ 3 दिन पहले की है, मैं मोर्चे पर कवि – मुंबई के लिए मुंबई के कोलाबा से निकला…मेरी कैब के एक ड्राइवर थे…प्रमोद…प्रमोद गुजरात के रहने वाले हैं…गुजरात मॉडल के बारे में बात करते-करते, तमाम सच उन्होंने जो कहे, सो अलग…उन्होंने मुझसे कहा कि वो रवीश कुमार के फ़ैन हैं…उन्होंने बताया कि वो टीवी पर न्यूज़ नहीं देखते लेकिन प्राइम टाइम नहीं छोड़ते…वह बोले कि कई बार रवीश को सुनकर वह भावुक हो जाते हैं…मुझे ज़्यादा कुछ समझ नहीं आया…मैंने रवीश को फोन लगाया और कहा कि मेरी कैब के चालक, प्रमोद आपसे बात करेंगे…रवीश ने जिस आत्मीयता से प्रमोद जी से बात की…वह मैं यहां नहीं बता सकता…बस ये कि वह बात करते-करते भावुक हो गए और फोन रखने के बाद, उनकी आंखों से आंसू बह निकले…वह बोले कि मुझे लगा कि जैसे मैं अपने किसी रिश्तेदार से बात कर रहा था…रवीश क्या ऐसे बात कर लेते हैं?
घटना 2.
ये बात डेढ़ साल से कुछ ज़्यादा पुरानी है…मैं लखनऊ में महानगर आरटीओ के बाहर बैठा, ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण की अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था…ये एक चाय की दुकान थी…जहां तीन नौजवान मेरे बगल में बैठे रवीश के बारे में बात कर रहे थे…तीनों अलग-अलग धर्म और क्लास से थे…वो तीनों ही दोस्त थे…तीनों रवीश के प्रशंसक थे…उनमें से एक भाजपा समर्थक ज़रूर था पर रवीश की तारीफ करता जा रहा था…वो चिंतित थे कि सोशल मीडिया पर रवीश को किस कदर बदनाम किया जा रहा है…वो प्राइम टाइम के एपीसोड्स की बात कर रहे थे…मैंने मुस्कुरा कर चुपचाप रवीश को फोन लगाया…और रवीश को ये बता कर, उन लड़कों के हाथ में अचानक फोन थमा दिया…रवीश ने आधे घंटे उन लड़कों से बात की…जो भौचक्के थे…वो हैरान थे कि चाय की दुकान पर उनकी बात सुनकर कोई आदमी रवीश को फोन लगा दे और उनसे रवीश आधे घंटे तक बात करते रहे…वो भावुक थे…उनका अभी भी मेरे पास संदेश आता रहता है…आगे कुछ कहना नहीं है, उन लड़कों की जगह ख़ुद को रख कर देख लीजिए…
घटना 3.
हम उत्तराखंड में आपदाग्रस्त इलाके में काम कर रहे थे…टीम थकी और परेशान थी…निराश भी हो रही थी…अचानक रवीश का मेरे पास फोन आता है…हाल-चाल लेने के लिए….मैं हाल देता हूं और वो कहते हैं कि टीम से बात कराओ…और फिर रवीश टीम के लगभग 15 सदस्यों से अलग-अलग बात करते हैं…उनके सवालों के जवाब देते हैं…उनको हंसाते हैं…और फोन रखने के बाद टीम की हिम्मत अलग ही होती है…
घटना 4.
एक नौजवान रिपोर्टर, रवीश को दूर से देखता है…कि क्या ये वही रवीश हैं…वो रवीश को कई रोज़ विजय चौक पर देखता है…तब रवीश एंकर नहीं थे, लेकिन रिपोर्टिंग के सबसे सम्मानित नामों में से एक थे…वो रवीश का ब्लॉग लगातार पढ़ता है…एक रोज़ वो देखता है कि रवीश आकर घास पर ओबी के पास बैठ जाते हैं…टिफिन खोल कर, उसकी ओर देखते हैं और पूछते हैं…’का जी…भोजन कीजिएगा…आ जाइए..’ वो लड़का हैरानी से भर कर उनके साथ बैठ जाता है…खूब बात करते हैं…उसके बाद, जब भी मिलते हैं, रिपोर्टिंग की बारीकियां समझाते हैं…ख़बर के अलग-अलग एंगल समझने की तरकीबें बताते हैं…स्क्रिप्ट लिखने की कला बताते हैं…और न जाने क्या-क्या…उस लड़के का आज रवीश से भावनात्मक रिश्ता एक दशक पुराना हो गया है…वो लड़का मैं हूं….
आपको पता है कि रवीश अपने गांव और घर जाना छोड़ चुके हैं, क्योंकि उनको लगता है कि कोई कभी ये न कह पाए कि वह अपने भाई के केस में (जो क्या है, वहां के तमाम लोग जानते हैं) दबाव डालना चाहते हैं…वह किसी राजनैतिक पार्टी के कार्यक्रम में जाने से साफ मना कर देते हैं…किसी भी राजनैतिक विचार की ओर झुके कार्यक्रम में बोलने से मना कर देते हैं…जबकि वह आम लोगों के कार्यक्रम में मुरारी बापू के आश्रम में, मोदी के गढ़ में जाकर बोलते हैं…और आप को वह राजनैतिक दल के समर्थक लगते हैं…वे दो बार लगातार मेरे कार्यक्रम में आने के लिए साफ मना कर चुके हैं, क्योंकि मेरी एक राजनैतिक विचारधारा है…
ख़ैर अब तक ये पोस्ट न लिखने की वजह सिर्फ ये थी कि मैं किसी से अपने निजी सम्बंधों के बारे में फेसबुक पर एक भी शब्द नहीं लिखना चाहता था…पर अब लिख रहा हूं, क्योंकि अब ये समय नहीं रहा कि और चुप रहा जाए…रवीश के ही तमाम और करीबी मित्रों की तरह, कई बार मुझे भी लगा कि वह अब कभी-कभी क्रिब करते हैं…पर हम सब ये भी जानते रहे हैं कि कई बार, निजी जीवन में आवेश में आ जाने वाले इस शख्स ने टीवी स्क्रीन पर तमाम उकसावों के बावजूद अमूमन आपा नहीं खोया…न ही उस व्यक्ति ने कभी अपने सम्पर्कों का इस्तेमाल अपने किसी फायदे के लिए किया…हम सब जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों से जब पूरे देश का मीडिया, साम्प्रदायिक मुद्दों को ही अहम मुद्दा बनाए है…रवीश क्या कर रहे हैं…ऐसे में अगर किसी को लगता है कि अभी रवीश क्रिब कर रहे हैं या अपना प्रचार कर रहे हैं…तो आप बताइए कि उनको क्या करना चाहिए? पुलिस में जाना चाहिए??? कितने साल में सज़ा मिलेगी, उनको जो आज जैसी सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं…पुलिस का रवैया क्या होगा, भाजपा और संघ के लोगों के प्रति…अदालत का रवैया देखा है आपने…??? रवीश केवल कोर्ट में उलझ कर रह जाएं…और ये सब ऐसे ही चलता रहे…क्यों आखिर रवीश को सोशल मीडिया पर ये सब साझा नहीं करना चाहिए…कि लोगों को पता चले कि वे किस राजनैतिक दल और किन लोगों का समर्थन कर रहे हैं…और जो उनका नम्बर सार्वजनिक कर रहे हैं और उनको फोन-मैसेज कर के गाली गलौज कर रहे हैं…उन लोगों का नम्बर क्यों नहीं सार्वजनिक हो जाना चाहिए…क्यों नहीं…
आप लोगों की समस्या क्या है? क्यों नहीं बोलना चाहिए, अब उनको…बोलना चाहिए…लिखना चाहिए…आज के समय में रवीश जैसे किसी भी की रक्षा और ताक़त की ज़िम्मेदारी जनता पर है…जनता के पास ये सच जाना चाहिए…ढंग से जाना चाहिए…
आप को देखना है और समझना है…मैं तमाम सालों तक कभी भी अपने निजी सम्बंधों को फेसबुक पर लाने से बचता रहा…लेकिन बहुत कुछ ऐसा है, जो आपको जानना चाहिए…क्योंकि आपको रवीश को जानना चाहिए…
पत्रकार, रंगकर्मी और सोशल एक्टिविस्ट मयंक सक्सेना की एफबी वॉल से.