Ambrish Kumar : वर्ष 2000 की बात है. इंडियन एक्सप्रेस ने मुझे छतीसगढ़ ब्यूरो की जिम्मेदारी देकर रायपुर भेज दिया. नया राज्य बन रहा था. कहा गया जबतक छतीसगढ़ राज्य नहीं बन जाता आपको भोपाल में योगेश वाजपेयी और दिल्ली में राजकमल झा को रिपोर्ट करना है. रायपुर पहुंच कर सरकार के छतीसगढ़ होटल में एक दिन रुका. फिर योगेश जी से पूछा, क्या स्टोरी भेजी जाए.
योगश जी बोले, ऐसा है पहले एक महीने समूचे राज्य का दौरा करिए. तब तक राज्य बन जायेगा. फिर आप खुद फैसला ले सकेंगे. जो भी होटल टैक्सी का खर्च आए, उसे मुझे ईमेल कर दें. ये ईमेल सुनकर कुछ खटका.
इससे पहले कभी किसी को ईमेल भेजा भी नहीं था. खैर बस्तर गए तो रुके और इमली आंदोलन पर अच्छी स्टोरी मिली. राजकमल को फोन किया कि भेज दूं, तो बोले ईमेल कर दो. साथ में जनसत्ता के डीएनई अरविंद उप्रेती थे. मैंने कहा, यार ये सब ईमेल करने को कह रहे हैं, जनसत्ता में क्या कोई करता था. उप्रेती बोले, देखो भाई जनसत्ता में मेल हैं, फीमेल हैं पर ये ईमेल नहीं है.
अब माथा ठनका. अब तक फैक्स फोन या टेलीप्रिंटर से खबरें भेजी थी, यह नया लफड़ा आ गया. शाम को जगदलपुर की बाजार गए और बहुत तलाशा पर मेल की कोई व्यवस्था नहीं हुई. दो दिन बाद रायपुर लौटे तो रम्मू भय्या से पूछा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस दफ्तर के सामने एक नई बिल्डिंग में साइबर कैफे खुला है, वहां से भेज दो. वहां पहुंचे तो एक मोहतरमा मिलीं. मैंने चार पन्ना पकड़ा दिया और कहा, इसे मेल कर दें. वे बोली आप इसे कम्पोज कर दें. मैंने बताया कि हमें टाइप करना नहीं आता है, आप कर दें, जो पैसा लगेगा दे देंगे. वे मान गईं.
इस बीच राजीव दीक्षित जो बड़े समाज सुधारक बन चुके थे, उनका फोन आया. पुराने मित्र थे और उन पर कई खबरें जनसत्ता में लिखी थी. वे बात करने लगे और देर रात मिलने के बारे में कहा. मोहतरमा अपनी यह बातचीत सुन रह थीं. हैरान होकर बोलीं, आप राजीव दीक्षित को जानते हैं. मैंने बताया कि पुराने मित्र हैं. वे बोलीं हमारे पास उनके भाषण का कैसेट है. खैर स्टोरी टाइप हो गई तो वे बोलीं, अपना मेल आईडी दें. इसे भेज दूं. मैंने कहा, मेरा कोई मेल आईडी नहीं है. आप अपने से भेज दें.
तब उन्होंने राजीव दीक्षित की वजह से प्रभावित होकर कहा कि वे मेल एकाउंट बना देंगी. मैं कुछ सकपकाया और बोला, पर मेरे पास इस समय ज्यादा कैश नहीं है. तो हंसकर बोलीं कि आप मजाक करते हैं, इसमें पैसा नहीं लगता.
खैर उन्होंने मेरा याहू पर मेल आईडी बनाया जिसमें वर्ष 2000 बीच में है. उसके कुछ समय बाद टाइम्स के लव कुमार मिश्र, डेक्कन हेरल्ड के अमिताभ और हिंदू की आरती भी साथ खबरें भेजने लगीं. टाइम्स में एक बार लव कुमार मिश्र की स्टोरी इस वजह से नहीं लग पाई क्योंकि डेस्क पर उस दिन कोई मेल खोलने वाला नहीं था. कई बार इस मेल के चक्कर में हमारी स्टोरी हिंदू में पहुंच जाती तो टाइम्स वाली एक्सप्रेस में. यह वर्ष 2000 की बात है जब दिल्ली का जनसत्ता रंगीन नहीं हुआ था और उसमें मेल से कोई काम नहीं होता था.
पर अपने मोदी तो 87-88 से ही मेल करते रहे हैं. हैं न अदभुत व्यक्ति. ज़माने से आगे के!
वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कूमार की एफबी वॉल से.