Krishan Yadav : ये बात एकदम सही कही है सुधीर जी ने. परमाणु हमले के दौरान अगर आप घर से बाहर निकले तो परमाणु के फटने पर एक आध अणु आपको भी उछट कर लग सकता है. ऐसे में कोशिश करें कि जब तक भुड़ुम भुड़ुम की आवाज आती रहे, तब तक घर में ही कोई इंटरेस्टिंग सा काम करते रहें. अगर आप शादीशुदा हैं तो टीवी पर न्यूज़ लगा लें ताकि बीवी दूसरे कमरे में चली जाए. अगर कंवारे हैं तो कोई फिल्म भी देख सकते हैं. घर में बच्चे हों तो उनके सामने चैनल चेंज करने की कोशिश ना करें, क्यूंकि उनके मतलब का चैनल दिखते ही वे शोर मचाना शुरू कर देते हैं. फिर जब भुड़ुम भुड़ुम की आवाज एकदम बंद हो जाए तो भी बाहर ना निकलें, क्यूंकि कई बार कुछ अणु लेट फटते हैं. कुछ अणु फुस्सी भी निकलते हैं. लेकिन उनमे कुछ देर सवेर फट जाते हैं, इसलिए सावधान रहे. फिर जब मदद वाला आ जाए तो उससे मदद लेकर पेमेंट कर दें. लेकिन ध्यान रहे की अगर वो सही समय पर सही मदद लेकर आया हो तभी उसे 5 स्टार रेटिंग दें, वरना तो 4 स्टार बहुत रहती है.
Subhash Chandra Kushwaha : हिरोशिमा और नागासाकी में गिरे परमाणु बमों से हजारों गुना शक्तिशाली परमाणु बम बन चुके हैं। ऐसे बम गिरने के चंद सेकेंड में धरती का तापमान 4000 सेंटीग्रेड हो जाता है । यानी सब कुछ सेकेण्डों में जल, पिघल कर राख। जब धरती के अन्दर , बैरकों में सुरक्षा सम्भव नहीं हो तो ऐसा मूर्खतापूर्ण समाचार कि परमाणु हमले की स्थिति में आप क्या करें? अक्ल के शातिर और समाज को मूर्ख समझ, खौफ़जदा रखने वाला ऐसा एंकर, बेशर्मी की हद तक जाकर घर में रहने की सलाह दे रहा? गोया परमाणु हमले पर घर सुरक्षित रहेगा? यह शातिर, फोकट में सलाह बांट रहा या समाज पर अपनी मूर्खता लाद रहा?
Deepankar Patel : परमाणु युद्ध हुआ तो ना चिप बचेगी ना चमचे, ना स्टूडियो बचेगा ना स्टेज. परमाणु युद्ध है भाई वायरल बुखार नहीं जो बचने की सलाह दी जा रही है. दिल्ली का PM 2.5 तो खिड़की दरवाजे के रास्ते घर में घुस ही आता है. और इन अनपढ़ एंकरों को लगता है कि रेडियोधर्मी विकिरण इनके घर की 9 इंची दीवार नहीं भेद पाएगी. दसवीं क्लास की अल्फा, बीटा, गामा किरणों की प्रकृति याद होती तो ये बेवकूफी देखने से देश बच जाता. नेशनल टीवी पर देश को परमाणु युद्ध से निपटने के गुर सिखाए जा रहे हैं. क्रोमा पर वार रूम बनाते-बनाते ये यहां तक पहुंच जाएंगे, सोचा ना था.
DrRakesh Pathak : सुनो चौधरी साब… ये कैसे भी नहीं झिल रही… भौत ज्यादा उंची हो गई। काहे से कि अपन ने इसी सबजेक्ट में पीएचडी कर रख्खी है। लेकिन “परमाणु बम से हमले की स्थिति में बचने के उपाय” वाला हिस्सा हमारे गाइड प्रोफेसर साब ने नहीं बताया। अब हम उनसे पूछने जायेंगे तो वे हमें दौड़ा दौड़ा के मारेंगे। फिलहाल तो हम अपने “कपार” पर दुहत्थड़ मार रहे हैं कि काहे को मिलिट्री साइन्स पढ़े थे। हा भारत दुर्दशा!
Rakesh Kayasth : हर भारतीय को परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। प्रशिक्षण के लिए विशेष प्रबंध किये गये हैं। नोएडा फिल्म सिटी के किसी भी पान वाले से मांगिये, वह आपको परमाणु की पुड़िया निकालकर देगा। पुड़िया लेकर सीधे किसी भी न्यूज़ चैनल के दफ्तर में जाइये। एंकर आपको बम बनाना सिखा देगा। बम बनाकर जेब में रख लीजिये। किस मोड़ पर कोई पाकिस्तानी मिल जाये, इसका क्या ठिकाना। नोट– परमाणु की पुड़िया रजनीगंधा की तरह दिखती है। कनफ्यूजन में निगल मत जाइयेगा। इससे आपका भी नुकसान होगा और देश का भी।
Rajiv Nayan Bahuguna : बहुत दूर की कौड़ी समेट लाये हो बउआ। मालूम भी है कि परमाणु हमला क्या होता है? यह कोई छुरे बाज़ी या पत्थर बाज़ी नहीं, कि इससे कोई बच सके। परमाणु विकिरण घर तो क्या, सात पाताल के तले भी किसी को नहीं छोड़ता। इस विश्व मे जब कोई सत्तर साल पहले, प्रथम और अंतिम बार परमाणु बम चला, तो उसने एक सेकंड के करोड़वें हिस्से में भूमि के एक हिस्से को वास्तविकता से मिटा कर नक्शे में समेट दिया। जीवित मनुष्य की सिर्फ छाप रह गयी, और नदी रौखड़ बन गयी। जब कि वह एक अर्ध विकसित बम था, और विमान से गिराया गया था। तब भी उसे गिराने वाला पायलट धरती पर तबाही के दृश्य देख पागल हो गया था। आज का बम गिरेगा, तो तीनों लोकों को भस्मीभूत कर देगा। तब न तुम बचोगे, न नवीन जिंदल। फिर दलाली किससे मांगोगे? तिहाड़ कैसे जाओगे?
शेखचिल्लियों जैसी बातें न किया करो। तुम्हे तो क्या याद होगा, पर मुझे है। कोई तीस साल पहले तत्कालीन सोवियत संघ के एक सयंत्र से हल्का परमाणु रिसाव हुआ, जैसे तुम जैसे कम ज़र्फ़ों के वैचारिक धात गिरती है। उतने भर से तीन हज़ार मील तक नदी का हुलिया बदल गया। इसीलिए कहता हूं, कुछ पढ़ लिया करो, गुन लिया करो। तब दिमाग़ में ऐसे शेखचिल्ली के सपने न आएंगे। खाली दिमाग़, शैतान का घर।
Nadim S. Akhter : एक न्यूज चैनल के संपादक, एंकर और मेरे गुरुभाई कल टीवी पर बता रहे थे कि एटमी हमला होने की स्थिति में क्या करें? सलाह दी जा रही थी कि घरों से बाहर ना निकलें। भाई साब! ज़िंदा बचोगे तब तो घर से बाहर निकलोगे? अपने प्रोग्राम को लिखने वाला प्रोड्यूसर बदलिए। आपकी टीम को पता भी है कि एटम बम का धमाका क्या होता है? उसके बाद किस तादाद में एनर्जी का ज्वार उठता है जो रास्ते में आने वाले मकान-घर सब को नेस्तनाबूद कर देता है! इंसानों का शरीर पल भर में जलकर खाक हो जाता है। समझ लीजिए कि जैसे समुद्र की सूनामी होती है, वैसे ही ये आग, एनर्जी और रेडिएशन की सूनामी होती है जो बम गिरने वाली जगह से चारों तरफ फैलती है, ठीक वैसे ही जैसे भूकम्प के केंद्र से एनर्जी चारों तरफ फैलकर एक बड़े इलाके की ज़मीन हिला देती है। जापान में जो बम गिरा था, उस पुरानी तकनीक के एटम बम ने वो तबाही मचाई कि उसके रेडिएशन के असर से आज भी वहां विकलांग बच्चे पैदा होते हैं। एटम बम ने वहां के लोगों के डीएनए को ही विकृत कर दिया। सोचिए कितना घातक और मारक असर होता है परमाणु बम का! और आज जो परमाणु बम हैं वो हिरोशिमा और नागासाकी पे गिरे बमों के बाप नहीं, परदादा हैं। इनसे जो तबाही होगी, उसका तो अंदाज़ा भी अभी तक वैज्ञानिक और मानव सभ्यता नहीं लगा पाई है। समझिए कि अलग-अलग जगहों पे गिराए एटम बम एक झटके में पूरे हिंदुस्तान को और पूरे पाकिस्तान को खत्म कर सकते हैं। मिनटों में। सोचने का भी वक़्त नहीं मिलेगा संपादक जी। किस दुनिया में हैं आप?
और ये तो अभी मैं एटम बम यानी nuclear fission तकनीक वाले बम की बात कर रहा हूँ, जहां चेन रिएक्शन में कई सारे एटम के न्यूक्लिएस तोड़े जाते हैं और उससे जो अपरम्पार एनर्जी निकलती है, वह अलौकिक तबाही लाती है। यानी वो तबाही जो उससे पहले मानव सभ्यता ने देखी नहीं होती। यही है आइंस्टीन का E=MC स्क्वायर समीकरण।
इसके बाद एक और advance बम है जिसे हाइड्रोजन बम कहते हैं। इसके सामने इतनी तबाही लाने वाला एटम बम भी बच्चा है। यह बम physics के nuclear fusion सिद्धांत पे काम करता है यानी इसमें दो परमाणुओं के न्यूक्लियस को जोड़ा जाता है और उससे जो एनर्जी निकलती है वह वही है जो हमारे सूरज के अंदर हो रहा है और जो एनर्जी इतनी ताकतवर होती है कि करोड़ों मील दूर के सूरज की रोशनी और उसकी तपिश हमारी धरती पे महज़ 8 मिनट में पहुंच जाती है। दरअसल सूरज nuclear fission का एक बड़ा गोला है जहां हाइड्रोजन परमाणु के चार अलग-अलग न्यूक्लियस आपस में जुटकर हीलियम का एक परमाणु बनाता है जिससे असीमित-अपरम्पार ऊर्जा निकलती है। इसी ईंधन के सहारे हमारा सूरज करोड़ों साल से दहक रहा है और आगे करोड़ों साल अभी और दहकेगा। तो मैं कह रहा था कि हाइड्रोजन बम फोड़ने से पहले एटम बम फोड़ा जाता है क्योंकि दो न्यूक्लिएस को जोड़ने के लिए बहुत ज्यादा एनर्जी की ज़रूरत होती है। सो सूरज वाली इसी nuclear fusion की तकनीक का हाइड्रोजन बम, एटम बम का परदादा है, जिससे इतनी एनर्जी निकलेगी कि जिस देश पे ये गिराया जाएगा, उसके आसपास वाले देश भी इससे प्रभावित होंगे। ठीक अपने केंद्र से भूकम्प के फैलाव की तरह। इसे ऐसे समझ लीजिए कि हाइड्रोजन बम छोड़कर हम सूरज का एक अंश धरती पर लाएंगे और जलभुन जाएंगे। मिनटों में।
भारत-पाकिस्तान ने nuclear fission यानी एटम बम का टेस्ट तो किया है पर भारत के पास हाइड्रोजन बम भी है और हमारा देश इसके टेस्ट का दावा करता है। दुनिया में सिर्फ पांच देशों के पास हाइड्रोजन बम है, जिसमें भारत भी एक है। वैसे पाकिस्तान हाइड्रोजन बम के टेस्ट का दावा नहीं करता पर चीन के पास ये बम है तो समझ लीजिए कि पाकिस्तान के पास भी चोरी-छुपे है जो वह दुनिया को नहीं बताना चाहता। एक बात और। चीन के हाइड्रोजन बम भारत से काफी उन्नत हैं क्योंकि उसने करीब 45-47 nuclear test किए हैं। भारत उसके सामने अभी बच्चा है क्योंकि हमने सिर्फ 3 nuclear test किए हैं और पाकिस्तान ने हमसे एक कम यानी सिर्फ 2 टेस्ट किए हैं। आपको हैरत होगी कि अमरीका पूरी दुनिया से मीलों आगे है क्योंकि उसने 1000 से ज्यादा nuclear tests किये हैं और उनकी तकनीक क्या होगी, ये सोचकर दिमाग घूम जाता है। मतलब ये समझ लीजिए कि अगर अमरीका चाह जाए तो मिनटों में पूरी धरती को उड़ा सकता है यानी तबाह कर सकता है। ठीक वैसे ही जैसे अंतरिक्ष से आई चट्टान के धरती से टकराने पे लाखों साल पहले डाइनासोर खत्म हुए थे और गर्द-गुबार का ऐसा बादल पृथ्वी पे छाया कि हजारों साल तक ज़मीन पे सूरज का प्रकाश ही नहीं पहुंचा और पृथ्वी पे हिम युग आ गया। यानी सब कुछ पहले आग से तबाह हुआ फिर हिम युग में जम गया। कहते हैं कि धरती पे सिर्फ कॉकरोच बच पाए जिन्हें छोटे रूप में आज हम देखते हैं क्योंकि डायनासोर काल के कॉकरोच भी काफी विशाल होते होंगे।
इसलिए भारत और पाकिस्तान, दोनों तरफ के नेताओं को मेरी सलाह है कि एटम बम के बारे में अपनी चोंच ज़रा बंद रखें और बयानबाजी से बचें। आप लोगों को पता भी है कि एटम बम और फिर हाइड्रोजन बम चीज़ क्या है?! ना तो ये दीवाली पे फोड़ने के लिए बने हैं और ना ही ईद पे। क्योंकि परमाणु जंग में कोई नहीं जीतता। दोनों तरफ बराबर तबाही आती है और ये तबाही सीमाओं को पार कर जाती है। फिर आपकी आने वाली कई नस्लें इससे विकलांग हो जाएंगी और अब के बम तो एक पूरी सभ्यता और उसका इतिहास नष्ट करने की ताकत रखते हैं। सो राजनीति करिए पर एटम बम से दूर रहिए। और मीडिया वाले जो PrimeTime पे एटम बम से लोगों को बचने का ज्ञान बांटते घूम रहे हैं, आप लोग भी थोड़ा पढ़ लिख लो यार। काहे पत्रकारिता की भद्द पिटवाने पे तुले हो?
सौजन्य : फेसबुक
Harman
August 31, 2019 at 9:32 pm
Chutiye jab Puri detail na pata ho to faltu bakawas mat kiya kar ek ache deshbakt ko nicha dikhane ki koshish mat kar trips ke liye
Myth
August 31, 2019 at 11:01 pm
दो हज़ार का चिप वाला नोट भी बचा कर रखें
बचाव टीम द्वारा लोकेशन प्राप्त करने के काम आएगा
प्रभंजन कुमार सिंह, मसौढ़ी पटना
September 1, 2019 at 6:59 am
सुधीर चौधरी जी ने यह नहीं कहा था कि आपके शहर में हमला होने पर घर मे रहे….बल्कि उनका कहना था कि अगर आपको कही हमले की सूचना मिले तो इस दौरान घर मे रहे और नार्मल रेडियो पर प्रसारित होने वाले खबरों पर निगाह रखे।जिनमे सरकार द्वारा जारी सही सूचना की जानकारी आपको मिल सके।कृपा करके उनका मजाक न बनाए।।
सत्यभान राजपूत
September 1, 2019 at 4:50 pm
एक दम सही
हमारे देश में कुछ लोगो को रस्सी का सांप बनना बहुत अच्छी तरह से आता है
कोई कितना भी सही बोले उनको मालूम है कि इसे कैसे सोशल मीडिया में पेश करना है
Ritesh Kumar
September 1, 2019 at 10:16 am
Agar koi bachav ki baat karta hai to isme burai kya hai.
Filhal aisa to hona nahi hai,
Sfoorti
September 1, 2019 at 4:14 pm
Nadim S Akhter’s comment is highly enlightening and educating.
आशीष श्रीवास्तव सहारा सिवनी
September 1, 2019 at 9:38 pm
ये बात वहाँ के लिए नहीं जहां पर बम का प्रभाव हुआ हैं, वल्कि ये ज्ञान वहां से लगे दूरस्थ स्थान के लिए था,
mansingh
September 2, 2019 at 7:45 am
एंकर सुधीर चौधरी जी ने कोई गलत नहीं था इसको ऐसे ही राजनीतिक बतंगड़ ना बनाएं
Khan
September 2, 2019 at 7:19 pm
Tum jass0 k kared ki BJP jo mane me aate hai wo karta hai. Qo ki tum jasse log kewal fake fallate ho. Sale MC, BC usne ye kab KAha fake news sale , kab Tak pappu ki catega
Jagdish Kumar
September 2, 2019 at 9:54 pm
अभी कुछ लोग ये भी सलाह देंगे कि परमाणु हमले से बचने के लिए घर के बाहर गोबर से लीप लें।