गिरीश मालवीय-
अहा ! बिलकुल दिव्य दृश्य होगा दशहरे पर
नीम अँधेरे में रावण को जलता हुआ देखेंगे
और दीवाली में अमावस की रात, घुप्प अँधेरे में घर घर में लगे मिटटी के दिए की दीपमालिका की नयनाभिराम छवि को निहारेंगे ! अदभुत ! अदभुत !…….
देश मे भयानक बिजली संकट मुँह बाए खड़ा है और कल खबर आती है कि सरकार कोयले की 40 नये खदानों की नीलामी करने जा रही है इसे कहते है ‘प्यास लगे तो कुआं खोदने की तैयारी करना’।
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कल बयान दिया है कि दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाले थर्मल पावर प्लांट में कोयले का केवल एक दिन का स्टॉक बचा है, राजस्थान में, उत्तर प्रदेश में, यहाँ तक कि झारखंड में भी कटौती शुरू हो गयी है।
आपको याद होगा कि 25 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौभाग्य ( प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना) की शुरुआत की थी। उस समय दावा किया गया कि 4 करोड़ घरों में बिजली नहीं है, जहां 31 दिसंबर 2018 तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।
अगर आप कह रहे हैं कि हम हर घर मे बिजली पुहचाएँगे तो लाज़िम है कि बिजली की डिमांड तेजी से बढ़ेगी।
अब सरकार कह रही है कि कोरोना काल बिजली की डिमांड अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयी ! हद है जैसे कोई अनोखी बात हो। एक बात बताइये। आपके बड़े बड़े मंत्री आईएएस अफसर क्या भाड़ झोंकने के लिए रखे है आपने क्या इतना सा अनुमान नही लगा सकते थे, कि जब सब ओपन करोगे तो डिमांड बढ़ेगी ? यह तो दसवीं क्लास का बच्चा भी बता देगा कि ऐसा होगा।
फिर बहाना मारते है कि सितंबर मे बारिश हो गयी ,कोल इंडिया की कोयला खदानो में पानी भर गया इसलिए सप्लाई कम हो गयी ! 70 सालो में क्या पहली बार सितंबर में बारिश हुई है बारिश का सीजन है तो बारिश तो होगी ही !
मतलब कुछ तो भी बहाने बनाए जा रहे है
असली वजह यह है कि पिछले एक साल में वैश्विक स्तर पर कोयले के रेट तेजी से बढ़े है एक साल में लगभग ढाई गुना की वृद्धि हुई है।
इस पॉवर कट से पब्लिक का माइंड मेकअप किया जाएगा कि बिजली चाहिए तो आपको ज्यादा दाम चुकाने ही होंगे तर्क दिया जाएगा कि पावर सप्लाई करने वाली कंपनियां महंगे दाम पर कोयले की खरीदारी करेंगी तो उसकी वसूली का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा।
इस संकट का सीधा परिणाम यह निकलेगा कि सबसे पहले कोल इंडिया का निजीकरण किया जाएगा खदान कर्मियों ओर कोल इंडिया के कर्मचारियों को कामचोर बताया जाएगा और एक एक कर के तमाम पावर प्लान्ट ओर देश की पूरी विद्युत वितरण प्रणाली प्राइवेट हाथो में सौप दी जाएगी पूरे देश की जनता को अम्बानी अडानी वेदांता के हाथों लुटने के लिए खुला छोड़ दिया जाएगा।
मीडिया के द्वारा अभी से जनता की फीडिंग शुरू कर दी गयी है कि राज्य सरकारें एक्सचेंज से 10 से 14 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद कर व्यवस्था करने में लगी है।
साफ है कि आने वाले छह महीने में बिजली के दाम महंगे हो सकते हैं। आपको प्रति यूनिट बिजली इस्तेमाल करने के लिए पहले के मुकाबले लगभग दोगुना शुल्क भरना होगा।
देश को अभूतपूर्व बिजली संकट में डालने के लिए ‘धन्यवाद मोदी जी’ बोलना ही पड़ेगा। 70 सालो में ऐसा संकट कभी नही आया और यह संकट मोदी सरकार की अक्षमता का सीधा उदाहरण है, आप पूछेंगे कैसे ? तो वह हम आपको आगे बताएंगे! पहले आप देश मे बिजली की उपलब्धता की वास्तविक स्थिति को ठीक से जान लीजिए।
देश में कुल 135 बिजलीघरों में से 108 में सात दिन से भी कम का कोयला बचा है। इनमें 16 बिजलीघर कोयला खत्म होने के कारण बंद हो चुके हैं। देश में 25 पावर प्लांट ऐसे हैं, जिनमें महज एक दिन का कोयला बचा है। देश में 18 प्लांटों में 2 दिन, 14 में 3 दिन, 20 में 4 दिन और 7 पावर प्लांट में 5 दिन का कोयला बचा है…यानी ये सभी सुपर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके।
राजस्थान में दो पॉवर प्लांट ( छबड़ा और सूरतगढ़ ) बंद हो गए हैं और बचे दो प्लांट (कोटा व अडानी के कवाई) में 4 दिन से भी कम का कोयला बचा है, झालावाड़ की काली सिंध पावर प्लांट 20 दिन बंद हो गया था।
हरियाणा के पांच में से तीन पावर प्लांट के पास बिल्कुल भी काेयला नहीं है। दो प्लांट में 5 दिन का कोयला शेष है।
कर्नाटक के चार पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का ही कोयला बचा है। झारखंड के पावर प्लांट के कुल 7 प्लांटों में से पांच के पास में एक ही दिन का कोयला है।
ओवरऑल स्थिति यह है कि देश के कुल 135 प्लांट में 165066 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। इन प्लांट में रोज 1822.6 हजार टन कोयला की खपत है। इस समय केवल 7717.5 हजार टन कोयला बचा है, जो कि सिर्फ 4 दिन तक चल सकता है।
कटौती शुरू भी हो गयी है, यूपी के ग्रामीण इलाकों में 4 से 5 घंटे की कटौती की जा रही है राजस्थान में तो स्थिति और भी बुरी है।
यह स्थिति तब की है जब हम अपनी जरूरत का 75 फीसदी कोयला खुद ही निकालते है, भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. और कोल इंडिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है.
अब मजे की बात सुनिए कि कोल इंडिया ने सितंबर 2021 में रिकॉर्ड उत्पादन किया है ओर रेलवे ने साल 2021 में सबसे अधिक ढुलाई की है जिसमे सबसे बड़ा हिस्सा कोयले का ही है।
तो फिर गड़बड़ी कहा हुई ? सारी गड़बड़ी प्लानिंग की है अब सरकार कह रही है कि खपत बढ़ गई है 2019 अगस्त सितंबर में बिजली कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ रूपए यूनिट थी और 2021 में यह आंकड़ा 12 हजार 420 करोड़ प्रति यूनिट पहुंच चुका है।
देश मे हर साल बिजली की माँग 7 से 10 प्रतिशत की बीच बढ़ती है यह पिछले बीस सालों से देखने मे आ रहा है इसलिए यह कोई अनोखी बात नही है जो आज मोदी सरकार को पता चल रही हैं अगर सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था सुधरी है तो स्वाभाविक है कि देश में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ेगी !
इसलिए बिजली की मांग बढ़ना कोई बहाना नही हो सकता ? दरअसल दिक्कत यह है कि कोल इंडिया को कई राज्य नियमित भुगतान नही कर रहे थे, इसकी वजह से समय रहते प्रोडक्शन नही हो पाया और हालात बिगड़ते चले गए, दूसरी बात यह है कि कोल इंडिया जो कोल भेज रही है वो रद्दी क्वालिटी का है जो कोयला पॉवर प्लांट को मिल रहा है उसमे करीब 40 प्रतिशत राख मिला है , पॉवर प्लांट इससे परेशान है।
इसके अलावा आस्ट्रेलिया से आने वाला अच्छी क्वालिटी का आयातित कोयला चीन के बंदरगाह पर अटका हुआ है, चीन उसे रिलीज नही कर रहा 56 इंच की सरकार इस मसले पर चुप्पी साध कर बैठ गई है। बारिश के कारण भी कोल इंडिया की खदानों में फिलहाल पानी भर गया है।
सरकारी एजेंसी का ही अनुमान है कि यह कोयला का उत्पादन छह महीने तक सामान्य नही हो पाएगा इसलिए यह संकट छह महीने तक चलेगा, ओर यह सिर्फ कटौती से ही जुड़ी बात नही है इससे देश के ओवरऑल इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर भी इफेक्ट् पड़ेगा।
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सब वजहो से आने वाले छह महीने में घरेलू बिजली की कीमतों में भी अनाप शनाप वृद्धि होने वाली है इसके संकेत हमे मिल चुके हैं। पावर कॉरपोरेशन अभी से 15 से 20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीद रहा है। इसलिए इसका असर नए टैरिफ में भी देखने को मिल सकता है।
खैर आगे जो होगा वो तो होगा ही पर फिलहाल आप कैंडल लाइट में रोमांटिक डिनर प्लान कर लीजिए और ऐसे सुअवसर के लिए ‘धन्यवाद मोदी जी’ भी बोल दीजिए।