ऋषिकेश राजोरिया-
प्रवीण चंद्र छाबड़ा, विजय भंडारी, मिलाप चंद डांडिया और सीताराम झालानी किए गए सम्मानित, पांचवें पत्रकार श्याम आचार्य दिवंगत होने के कारण उनके पुत्र शैलेश और परिवार के लोग पुरस्कार ग्रहण किए
रविवार 10 जुलाई, 2022 का दिन सचमुच यादगार रहा। यह देव शयनी एकादशी का दिन था, जिसे वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने जयपुर के वरिष्ठतम 5 पत्रकारों का सम्मान करने के लिए चुना। सोशल मीडिया पर सूचना थी और फोन पर भी सुबह 11 बजे महाराणा प्रताप सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थिति होने का अनुरोध किया गया। मैं बारिश की संभावनाओं के बीच वहां पहुंचने के लिए 11 बजे स्कूटर से रवाना हुआ। रास्ते में रिमझिम शुरू हो गई और गांधी नगर स्टेशन से आगे पानी की बड़ी-बड़ी बूंदें आसमान से टपकने लगी, जो किसी को भी अच्छी तरह भिगो देने के लिए पर्याप्त थीं।
दैनिक भास्कर के कार्यालय के सामने पहुंचा तो स्थिति काफी विकट थीं। सैकड़ों की संख्या में कारों का जमावड़ा था। दोपहिया वाहन को रखने की भी जगह नहीं दिख रही थी। बारिश अलग तेज हो रही थी। ऐसे में ही स्कूटर को सुरक्षित खड़ा करना था और पैदल भागते हुए महाराणा प्रताप सभागार तक पहुंचना था, जो वहां से करीब 500 मीटर दूर था। मैं वासु की थड़ी के पास रुका। वासु और उसके भाई आदि पुराने परिचित हैं। दैनिक भास्कर में काम करते समय चाय-सिगरेट के साथ इसी थड़ी पर मंडली जमती थी। मैंने थड़ी के किनारे स्कूटर खड़ा कर दिया और वहां मौजूद लड़को से ध्यान रखने को कहा।
कार्यक्रम में राज्यपाल, मंत्री, सांसद आदि पहुंचने वाले थे, इसलिए पुलिस भी बड़ी संख्या में तैनात थी। मैं लगभग भागते हुए प्रवेश द्वार पर पहुंचा तो गोपाल शर्मा स्वागत करने के लिए द्वार पर मौजूद थे। उन्हें देखकर और उनसे हाथ मिलाकर तबीयत खुश हो गई। उनके एक सहायक ने केसरिया रंग का महीन उत्तरीय पहना दिया। हाल में जाते समय रास्ते में महानगर टाइम्स के पत्रकार और कर्मचारी स्वागत करने के लिए कतारबद्ध खड़े थे। हाल में प्रवेश किया तो जगह तलाशनी पड़ी। नब्बे फीसदी से ज्यादा कुर्सियां भर चुकी थीं।
सभागार के दाईं तरफ के द्वार से कुछ सीढि़यां ऊपर चढ़कर देखा तो सामने प्रेस फोटोग्राफरों और टीवी कैमरामेनों ने अपना मोर्चा संभाला हुआ था। उनके सामने की लगभग सभी कुर्सियां भर गई थीं। पीछे भी कुर्सियां खाली नहीं दिख रही थी। दाईं तरफ कुछ कुर्सियां खाली दिखीं तो वहां बैठ गया। थोड़ी देर बाद समझ में आया कि लोग इन कुर्सियों पर क्यों नहीं बैठे हैं। टीवी के कैमरामैनों की कतार के कारण वहां से मंच आंशिक रूप से ही दिखाई देता था। मैं इधर उधर नजरें फिराने लगा कि कहीं कोई कुर्सी खाली दिख जाए। सौभाग्य से दाईं ओर आगे की तरफ खाली कुर्सी पर नजर पड़ी और मैं बगैर देर किए वहां जाकर बैठ गया।
मंच से उद्घोषणा हो रही थी। स्लाइडें चल रही थीं। सभाकार में बैठे सभी लोग पीला या केसरिया उत्तरीय पहने हुए थे। इससे पूरे सभागार की अलग ही छवि बन रही थी। मंच पर मां शारदा की वंदना हुई और राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रवेश किया। उनके साथ ही मंत्री बीडी कल्ला, जयपुर ग्रामीण के सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह और कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश भी मंच पर पहुंचे। बगल में अलग पांच कुर्सियों पर चार वरिष्ठतम पत्रकार बैठे थे, जिनका सम्मान करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। राष्ट्रगान के बाद कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।
वरिष्ठतम पत्रकारों में सर्वश्री प्रवीण चंद्र छाबड़ा, विजय भंडारी, मिलाप चंद डांडिया और सीताराम झालानी शामिल थे। पांचवें वरिष्ठतम पत्रकार श्याम आचार्य दिवंगत होने के कारण उपस्थित नहीं थे। उनके पुत्र शैलेश और परिवार के अन्य लोग सभागार में मंच के सामने अगली कतार में बैठे थे। कार्यक्रम गरिमापूर्ण रहा। शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए सभी अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया। राज्यपाल ने कुछ बातें अपने मन से कहने के बाद लिखित भाषण पढ़ा। बीडी कल्ला, मोहन प्रकाश और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी संबोधित किया।
गोपाल शर्मा ने महानगर टाइम्स की स्थापना से लेकर अपनी अब तक की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वह इस समय जो कुछ भी हैं, उन वरिष्ठ पत्रकारों के कारण हैं, जो सार्वजनिक सम्मान के अधिकारी हैं। प्रवीण चंद्र छाबड़ा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का सानिध्य प्राप्त कर चुके हैं। विजय भंडारी के मार्गदर्शन में पत्रकारों की एक पीढ़ी तैयार हुई है। मिलाप चंद डांडिया सक्रिय और निर्भीक पत्रकारिता के प्रतीक हैं। सीताराम झालानी एनसाइक्लोपीडिया हैं। इन चार बुजुर्ग पत्रकारों के अलावा और कोई इतना वरिष्ठ पत्रकार जयपुर में है भी नहीं। इन सभी की उम्र नब्बे के आसपास है। दिवंगत श्याम आचार्य का भी पत्रकारिता का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
स्वागत, अभिनंदन और भाषण के बाद वरिष्ठतम पत्रकारों का सम्मान किया गया। शाल, स्मृति चिन्ह और एक लाख रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई। विजय भंडारी ने सम्मान राशि का उपयोग कोविड के कारण पीडि़त पत्रकारों की सहायता में खर्च करने की घोषणा की। कार्यक्रम का समापन होते-होते हाल इतना भर चुका था कि पैर रखने की जगह नहीं बची थी। जितने लोग सभागार में बैठे थे। उतने ही लोग सभागार में खड़े हुए थे। मैंने बारिश के बावजूद समय पर पहुंचकर बैठने की तलाश कर ली थी। मैंने वहां बैठे-बैठे देखा कि जयपुर के कई दिग्गज पत्रकार खड़े-खड़े कार्यक्रम देख रहे थे। कई लोगों को निश्चित तौर पर बारिश के कारण महाराणा प्रताप सभागार पहुंचने में देर हुई होगी।
गोपाल शर्मा के पुत्र जिज्ञासु ने आभार प्रदर्शन किया। उनके छोते पुत्र ऐश्वर्य भी मंच पर दिखे। यह उनके जीवन का अब तक का सबसे यादगार कार्यक्रम था। कार्यक्रम के बाद एक पत्रिका और स्वल्पाहार के पैकेट का वितरण किया गया। इस तरह करीब 11.20 बजे शुरू हुआ कार्यक्रम करीब 2 बजे संपन्न हुआ। मैं अपना स्कूटर उठाकर घर पहुंच गया।