संजय कुमार सिंह
बिहार में नमक रोटी खायेंगे, मोदी को जितायेंगे कहने वाले बिनोद ठाकुर से पांच साल बाद फिर मुलाकात और खबर, बिहार में मोदी को घटाओ का हिन्दी अनुवाद पढ़िये। छठे चरण का मतदान कल यानी शनिवार 25 मई को निर्धारित है। इस दिन आठ राज्यों की 58 सीटों में दिल्ली की सातों सीटों के लिए मतदान होना है। बगल के गाजियाबाद में एक महीना पहले 26 अप्रैल को मतदान हो चुका है। एक देश एक चुनाव के प्रचार और प्रयास के बाद कल की सीटों के लिए चुनाव प्रचार कल बंद हो गया और आज की खबरें ज्यादातर उन्हीं रैलियों और तैयारियों से संबंधित हैं तथा जो नहीं भी हैं वो चुनाव पर असर डाल सकती हैं। इसलिए संभव है हेडलाइन मैनेजमेंट का भाग हो। आइये इस लिहाज से देखने समझने की कोशिश करते हैं।
आज पहले पन्ने की खास खबरों में शामिल है – 1) हिन्दुस्तान टाइम्स के पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर अखिलेश यादव का इंटरव्यू। पहले पन्ने पर लीड, भारतीय रिजर्व बैंक के रिकार्ड लाभांश के बाद चुनाव के बीच बाजार तेज। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का इंटरव्यू। इंडियन एक्सप्रेस में भी लीड है। 2) मल्लिकार्जुन खरगे का इंटरव्यू और प्रज्वल रेवन्ना का मामला (हिन्दुस्तान टाइम्स) 3) पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या के बाद हिन्सा-हंगामा 4) नमक रोटी खायेंगे, मोदी को जितायेंगे कहने वाले बिनोद ठाकुर से पांच साल बाद मुलाकात और खबर (द टेलीग्राफ) 5) सोनिया गांधी का वीडियो संदेश – यह चुनाव संविधान बचाने के लिए है, अपनी भूमिका निभायें (टाइम्स ऑफ इंडिया) 6) स्वाति मालीवाल के बयान और इनमें एक, राज्यसभा से इस्तीफा नहीं दूंगी 7) कर्नाटक ने प्रज्वल का पासपोर्ट रद्द करने की मांग दोहराई, दादा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा, लौटो या मेरी नाराजगी का सामना करो 8) डबल इंजन वाले उत्तराखंड में पुलिस गाड़ी लेकर अस्पताल के वार्ड में घुस गई, सफाई दी 9) केजरीवाल के प्रति सहानुभूति कम करने की भाजपा की कोशिश 10) दिल्ली के लिए चुनाव प्रचार के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, भारत विरोधी ताकतें मेरे खिलाफ हैं पर मैं झुकूंगा नहीं।
ऊपर बताई गई खास खबरों से आप समझ सकते हैं कि मीडिया को अब समझ में आ गया है कि भाजपा हार भी सकती है और इसलिए वह सबको मौका देने का अपना धर्म निभा रहे हैं। वैसे तो अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी की बातों का असर देश भर के मतदाताओं पर हो सकता था पर पांच चरण के मतदान हो चुके हैं और अब इसका कोई मतलब नहीं है। इसे समझना भी कोई राकेट साइंस नहीं है फिर भी इंटरव्यू है तो रेखांकित करने वाली बात है ही। यह हेडलाइन मैनेजमेंट भाग भी हो सकता है क्योंकि इन खबरों (और इंटरव्यू या प्रचार) के कारण प्रज्वल रेवना का पासपोर्ट अभी तक रद्द नहीं किये जाने की खबर दब गई है। आप जानते हैं कि प्रज्वल रेवन्ना चुनाव लड़ रहा है, भाजपा उसका समर्थन कर रही है और प्रधानमंत्री ने उसके लिए वोट मांगे थे। उसके खिलाफ ढेरों महिलाओं के यौन शोषण का मामला है और एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही पहले कर्नाटक के हसन से सांसद होने के नाते मिले अपने डिप्लोमैटिक पासपोर्ट और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करते हुए विदेश भाग गया है।
भाजपा ने पहले तो उसका बचाव यह कहकर किया गया कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने कार्रवाई नहीं की लेकिन राज्य सरकार ने उसका पासपोर्ट रद्द करने की मांग की (वैसे भी कर दिया जाना चाहिये था) तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। कल मु्ख्यमंत्री ने दूसरी बार चिट्ठी लिखी और आज यह खबर द हिन्दू में लीड है। इसके साथ उपशीर्षक में बताया गया है कि विदेश मंत्रालय अब इसपर कार्रवाई कर रहा है। यह और ऐसी तमाम खबरों से अलग, नवोदय टाइम्स की आज की लीड का शीर्षक है, दिल्ली समेत छठे चरण का चुनाव प्रचार थमा। आज जैसे दिन के लिए वैसे तो यह बहुत सामान्य औऱ आम लीड है। लेकिन मेरे सातों अखबारों में यह लीड आज सिर्फ नवोदय टाइम्स में है न जाने क्यों। यहां तीन कॉलम की एक खबर का शीर्षक है, “कांग्रेस का बस चले तो वह राम-राम कहने वालों को कर ले गिरफ्तार : मोदी”। आज के अखबारों में आधे पन्ने का भाजपा का विज्ञापन है इसलिए खबरें कम हैं। लेकिन स्वाति मालीवाल की खबर पहले पन्ने पर क्यों बनी हुई है और सवाल यह नहीं है कि बिना समय लिये ड्राइंग रूम तक पहुंच जाने के बावजूद जबरन घुसना मुद्दा क्यों नहीं है?
आज की मेरी इस रिपोर्ट को पढ़कर आप यह नहीं समझ पायेंगे कि मार-पीट का आरोप लगाने वाली स्वाति मालीवाल को सिर्फ खरोंच आने की मेडिकल रिपोर्ट पर भी मामला इतने दिनों तक पहले पन्ने पर कैसे है। दरअसल स्वाति मालीवाल और पुलिस मामले को जिन्दा रखे हुए हैं। खबरों के अनुसार, स्वाति मालीवाल का आरोप है कि जब उनकी कथित पिटाई हुई तो अरविन्द केजरीवाल घर में थे पर बचाने नहीं आये। इस खबर के साथ भी यह नहीं बताया गया है कि वे समय लिये बिना गई थीं पर उनका आरोप शीर्षक है। अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट करके और वैसे भी कहा था कि दिल्ली पुलिस उनके बूढ़े माता पिता से पूछताछ करने जायेगी। दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री होते हुए भी उनके नियंत्रण में नहीं है क्योंकि भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मुद्दा छोड़ दिया है। पिछली बार भाजपा ने दिल्ली की सातो सीटें जीती थी और अब सब संकट में है तभी सारे उम्मीदवार नये हैं और जो पुराने हैं उन्हें जिसके लिए रखा गया था उसी का जवाब कन्हैया कुमार हैं। संकट यह कि भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौड़ कन्हैया का प्रचार कर रही हैं जो मनोज तिवारी के गानों की अश्लीलता और महिला विरोधी होना बताती रही हैं।
स्वाति मालीवाल और दूसरे कारणों से केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को मिल रही सहानुभूति का मुकाबला भाजपा की जवाबी राजनीति और मजबूरी है। इसके केंद्र में आम आदमी पार्टी की ओर से राज्य सभा में भेजने और नहीं भेजना का पुराना विवाद भी है और वह अलग मुद्दा है। ऐसे में (सोशल मीडिया पर) यह प्रचारित किया गया कि पुलिस पूछताछ के लिए नहीं गई और केजरीवाल राजनीति कर रहे हैं आदि आदि। आज टाइम्स ऑफ इंडिया में उपरोक्त खबर के साथ एक अलग खबर में यह भी कहा गया है कि केजरीवाल अपने माता-पिता के साथ पुलिस का इंतजार करते रहे पर कोई नहीं आया। आज की खबर के अनुसार पुलिस ने फोन कर पूछताछ के लिए समय मांगा था। पर यह नहीं बताया वे कब आयेंगे। खबर के अनुसार केजरीवाल ने दोपहर में वीडियो जारी कर यह बात सार्वजनिक की। शाम को एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिये प्रधानमंत्री को भी संबोधित किया। कुल मिलाकर, मामला ऐसा नहीं है केजरीवाल बिना बात हंगामा मचा रहे हैं। फिर भी जो है वह सामान्य नहीं है और विपक्ष के एक मुख्यमंत्री को अगर इस तरह परेशान किया जा सकता है तो लोकतंत्र खतरे में है, हिन्दू तो सब हैं।
आज अमर उजाला की लीड का शीर्षक है, “जब तक जिन्दा हूं, गरीबों व वंचितों का आरक्षण कोई नहीं छीन सकता : मोदी”। यहां मुझे उनके कार्यकाल में आरक्षण की स्थिति (नौकरी ही नहीं है तो कैसा अरक्षण के बावजूद जो नौकरियां मिली या दी गईं में और उसमें और आरक्षण पर बयान आदि) की याद आ रही है। यहीं नहीं कल कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के साथ उनकी खबर या प्रतिक्रिया याद कीजिये और अगर उनकी इस प्रतिक्रिया को सिर्फ मुसलमानों या ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के खिलाफ मान लिया जाये तो क्या मुसलमानों में गरीब या वंचित नहीं हैं? मुझे लगता है और बहुत सारे लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री अब क्या बोलते हैं समझना मुश्किल है। आरक्षण के अलावा, जनता के लिए काम करने की बात करूं तो कल ही खबर थी कि दिल्ली के सभी सांसदों ने सांसद निधि के अपने पैसों का उपयोग नहीं किया है और उसका बड़ा हिस्सा लैप्स हो जाने दिया गया है। हालांकि वह भी अलग मुद्दा है। मेरा मानना है कि ऐसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते हुए उनकी बातों को खूब महत्व दिया गया है और इसमें यह भी छपा है, गाय ने दूध दिया नहीं घी के लिए लड़ाई शुरू। इसमें कहा गया है, एक तरफ आपका सेवक मोदी है दूसरी तरफ कौन है ये किसी को नहीं पता।
कहने की जरूरत नहीं है कि यह दावा या आश्वासन भी संविधान विरोधी है। जब चुनाव आयोग प्रधानमंत्री के चुने हुए लोगों से बना है, उसका काम हम देख रहे हैं, ईवीएम पर पर्याप्त शंकाओं का जवाब नहीं है तो प्रधानमंत्री द्वारा बहुमत का दावा करने के अपने मायने हैं। उसमें प्रधानमंत्री बनने का भरोसा या आश्वासन और वह भी तब जब टेलीविजन के राम और आतंकवादी को बिरयानी खिलाने का झूठा आरोप लगाने वाले को टिकट देकर चुनाव लड़ाया जा रहा है। अश्लील गाने वाले को ही रखा गया बाकी को न जाने क्यों बदल दिया गया। इसमें भी बहुमत पाने वाला दल अपना नेता चुनेगा और उसका सोनिया गांधी का जैसा विरोध हुआ था वैसा नहीं हुआ तभी वह प्रधानमंत्री बन पायेगा। इसलिए इंडिया गठबंधन नहीं बता सकता है कि प्रधानमंत्री कौन होगा, जीतने के बाद यह व्यवस्था हो सकती है कि पांच साल में पांच प्रधानमंत्री बने यह जीतने वालों का निर्णय़ होगा पर इसमें मजाक बनाने वाली कोई बात नहीं है और न यह दावा उचित है कि मेरी पार्टी जीती तो मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा। यह लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं और नियमों व विवेक के खिलाफ है। फिर भी प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी का दावा है तो है। अखबार तो खबर छापेंगे ही। समर्थन करने का लोकतांत्रिक अधिकार उन्हें है। हालांकि, समर्थक मीडिया ने नोटबंदी की सच्चाई बताई होती तो उसके बाद उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार नहीं बनती। पर वह भी अलग मुद्दा है। अब अलग-अलग अखबारों के पहले पन्ने की खबरें –
इंडियन एक्सप्रेस
आज की लीड दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का आज का इंटरव्यू है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है और यह भाजपा के लिए चिन्ता का बड़ा कारण है। ऐसे में अखबारों में प्रधानमंत्री समेत भाजपा के कई नेताओं के इंटरव्यू छप चुके हैं और आज अरविन्द केजरीवाल का इंटरव्यू छपना अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस इंटरव्यू का शीर्षक है, अगर मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दूं तो अगला नंबर ममता बनर्जी और पिनयारी विजयन की सरकारों का होगा – अरविन्द केजरीवाल। अखबार ने उनके एक जवाब को फ्लैग शीर्षक बनाया है, जेल से सरकार चलाने के लिए कोर्ट जाउंगा। इससे पहले वे कह चुके हैं, अगर लोकतंत्र को जेल में बंद करेंगे तो मैं जेल से लोकतंत्र चलाउंगा। जनादेश उने साथ है। यह संविधान की परीक्षा और पालन का मुद्दा है और इसके लिए जरूरी है कि संवैधानिक संस्थाएं स्वतंत्र हों। पर वह बाद की बात है। इस इंटरव्यू का इंट्रो है, संस्थाओं को नष्ट किया जा रहा है, न्यायपालिका को खुलकर धमकाया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया
अखबार के पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर लीड के अनुसार, मतदान का प्रतिशत ही नहीं, 88 सीटों में कुल मतदान भी पांच साल पहले के मुकाबले कम हुआ है। यह अभी तक हो चुके 409 सीटों के मतदान के आंकड़ों से पता चलता है। इनकी तुलना 2019 के चुनाव के आंकड़ों से की गई तो पता चला कि कम से कम दो तिहाई (258) चुनाव क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम हुआ है। लेकिन 88 (पांच में एक से ज्यादा) में मतदान करने वालों की गिनती भी कम हो गई है। चुनाव की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण खबर है लेकिन दूसरे अखबारों में इतनी प्रमुखता से नहीं है। कुछ खास खबरें इस प्रकार हैं
– केजरीवाल घर पर थे जब उनके सहायक ने मुझे बुरी तरह पीटा – मालीवाल
– नकद नहीं मिलना पहली नजर में इस बात का सबूत नहीं है कि रिश्वत नहीं ली गई : सिसोदिया पर हाईकोर्ट
हिन्दुस्तान टाइम्स
पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने की लीड का शीर्षक है, “भाजपा अपने ही नकारात्मक प्रचार की शिकार है …. उत्तर प्रदेश में हारेगी : अखिलेश यादव”।
– मालीवाल ने आप पर हमला बोला, कहा पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए तैयार हैं। मुख्य लीड आरबीआई के लाभांश पर, ऊपर खास खबरों में लिखा है।
द हिन्दू
पहले पन्ने पर दो ही खबरें हैं। दोनों का जिक्र ऊपर हो चुका है
द टेलीग्राफ
पहले पन्ने की दो खबरों का जिक्र ऊपर हो चुका है। तीसरी खबर चुनाव आयोग के बारे में है। मतदान से संबंधित डाटा देने में हिचक पर सवाल किये गये हैं। शीर्षक है, विपक्ष ने शाम छह बजे के बाद वोट बढ़ने पर चुनाव आयोग से सवाल किये।
संकर्षण ठाकुर ने हार्टलैंड पल्स (हृदयस्थल की नब्ज) में समस्तीपुर डेटलाइन से लिखा है, इस बार का चुनाव 2019 जैसा बिल्कुल नहीं है। …. हवा नरेन्द्र मोदी को जिताने की नहीं है, यह नरेन्द्र मोदी को हटाने की भी नहीं है। यह नरेन्द्र मोदी को घटाने की हवा हो सकती है। हाजीपुर और समस्तीपुर के बीच इस चौराहे पर मैं पांच साल पहले रुका था। इसे भगवंतपुर कहा जाता है लेकिन स्थानीय लोग भी इसे भगवंतपुर नहीं कहते हैं। यहां के मशहूर पेड़ा के नाम पर इसे पेड़ा चौक कहा जाता है। तब (पुलवामा और बालाकोट के बाद) मोदी का दावा था, घर में घुसकर मारेंगे। और उस चुनाव प्रचार के समय ऐसे ही एक अभियान के तहत मेरी मुलाकात भगवंतपुर के अपना पेड़ा भंडार के मालिक बिनोद ठाकुर से हुई थी। वह बहुत उत्साहित लग रहे थे, शायद इसलिए कि नरेन्द्र मोदी पास ही में कहीं रैली करने वाले थे, मुझे ठीक से याद नहीं है। मैंने पूछा था कि मोदी का उनके लिए क्या मतलब है, पांच साल तक प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने उन्हें क्या दिया?
“ज्यादा नहीं, वास्तव में कुछ भी नहीं,” उन्होंने मुझसे कहा था। उनकी झोपड़ीनुमा दुकान ऐसी लग रही थी जैसे वह किसी भी समय ढह जाएगी। वे खुद फटे हुए शॉर्ट्स, रबर चप्पल जिसके तलवों में छेद था, और एक पुराना सा बनियान पहने हुए थे। फिर भी वे मोदी को वोट देंगे? “एकदम”, उनका झन्नाटेदार जवाब था, “नमक-रोटी खाएंगे, मोदी को जिताएंगे।” आज दोपहर को मैं फिर भगवंतपुर गया और अपना पेड़ा भंडार में बिनोद ठाकुर मिल गये। मेरी उनसे पिछली मुलाकात के पांच साल और मोदी के प्रधान मंत्री रहने दस साल हो गए हैं। ठाकुर और उनकी झोपड़ी पहले की तरह ही अस्त-व्यस्त थी, इतने दिन में क्षरण के कारण थोड़ी खराब ही हुई थी। उनसे संबंधित बदलाव बहुत कम था। मैंने थोड़ा व्यंग्यात्मक ढंग से उनसे कहा, “और तब?” मैंने पूछा, “क्या मोदीजी ने आपकी रोटी पर कोई सब्जी डाली है या यह अभी भी नमक-रोटी है?” वे शर्माते हुए मुस्कुराये, इतने शर्मिंदा लगे कि मुझे अफसोस हुआ कि क्या पूछ लिया। उन्होंने कहा, “अब क्या करें, मोदीजी हमको माला पहना कर घर थोड़ी ले जायेंगे, यही है अपना घर-संसार….।”