Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारों के योगदान को याद किया आकाशवाणी ने

रूपक श्रृंखला ‘कलम की जय बोल’ में दी श्रद्धांजलि

आजादी के अमृत महोत्सव में जहां देश में क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया गया तथा विभिन्न समारोहों एवं माध्यमों से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई वहीं आकाशवाणी के लखनऊ केन्द्र ने संपादकों और पत्रकारों के योगदान का भी स्मरण करते हुए रूपक श्रृंखला ‘कलम की जय बोल’ का प्रसारण किया है। इसकी विभिन्न कड़ियों में कलम के अस्त्र से स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा किए गए संघर्ष का श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

केन्द्र की कार्यक्रम प्रमुख सुश्री मीनू खरे ने बताया कि माह में दो बार प्रसारित होने वाले इस श्रृंखला की अब तक 11 कड़ियां प्रसारित की जा चुकी हैं जिनमें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महामना मदन मोहन मालवीय, अंबिका प्रसाद वाजपेयी, बाबूराव विष्णु पराड़कर, लक्ष्मण नारायण गर्दे, गणेश शंकर विद्यार्थी, दशरथ प्रसाद द्विवेदी का स्मरण किया गया है।

इसके साथ ही भारतेन्दु युग के पत्रकारों, साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं, ‘रणभेरी’ सहित विभिन्न भूमिगत पत्रों, कालाकांकर से प्रकाशित ‘हिन्दोस्थान’ पर आधारित कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए हैं। इस श्रृंखला में शोध और आलेख जहां पत्रकार एवं समीक्षक आलोक पराड़कर का है वहीं इसके प्रस्तुतकर्ता कार्यक्रम अधिशासी अतिश श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ उद्घोषक सत्यानंद वर्मा ने किया है। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, प्रसिद्ध पत्रकार सर्वश्री के.विक्रम राव, नवीन जोशी, पद्मपति शर्मा, अरुण कुमार त्रिपाठी, रतन मणि लाल, प्रदीप श्रीवास्तव, काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री अत्रि भारद्वाज, वर्धा स्थित महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे, वाराणसी स्थित उदय प्रताप कालेज के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रामसुधार सिंह, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर सदानंद प्रसाद गुप्त, वाराणसी स्थित महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो.ओमप्रकाश सिंह, संस्कृतिकर्मी श्री प्रवीण शेखर, लखनऊ विश्वविद्यालय की हिन्दी विभाग की डॉक्टर श्रुति, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के डॉक्टर प्रत्यूष दुबे, विद्यान्त कॉलेज की डॉक्टर नीतू सिंह सहित उन पत्रकारों के परिवारीजनों के विचारों को भी शामिल किया गया है जिन पर कड़ियां केन्द्रित रही हैं। संपादकों एवं पत्रकारों पर आधारित यह श्रृंखला अभी भी जारी है।

सुश्री खरे ने बताया कि इस श्रृंखला को श्रोताओं का भरपूर स्नेह मिला। देश के कई भागों से इस संबंध बहुत सारे पत्र और ईमेल केंद्र को प्राप्त हुए जिनके जवाब पत्र के लिए धन्यवाद कार्यक्रम में दिए गए ।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement