गोरखपुर और जालंधर के आकाशवाणी केंद्र अब खामोश हो जाएंगे। महानिदेशालय से आए पत्र में गोरखपुर और जालधंर केंद्र को तत्काल प्रभाव से पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया गया है।
महानिदेशालय के पत्र में कहा गया है कि आकाशवाणी के 100 किलोवाट मीडियम वेब ट्रांसमीटर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाए। ट्रांसमीटर में इस्तेमाल कारगर मशीनों का इस्तेमाल महानिदेशालय का ट्रांसमीटर मेंटनेंस विभाग अपने हिसाब से करेगा। बची मशीनों का निस्तारण गोरखपुर आकाशवाणी स्तर पर ही किया जाएगा।
आकाशवाणी गोरखपुर के 100 किलोवाट ट्रांसमीटर की स्थापना दो अक्टूबर 1972 में हुई थी और यहां से पहला प्रसारण छह अक्टूबर 1974 को हुआ। आकाशवाणी लखनऊ के एनांउसर अरुण श्रीवास्तव की गंभीर आवाज में पहली बार गूंजा था- 303.03 मीटर यानी 909 किलोहट्ज पर ये आकाशवाणी का गोरखपुर केंद्र है। इस रेडियो स्टेशन की आवाज की पहुंच का कागजी दायरा यूं तो भटहट स्थित ट्रांसमीटर से हवाई 100 किलोमीटर था लेकिन यह आवाज समूचे उत्तरी भारत के अलावा नेपाल तक गूंजती थी।