Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

भड़ास पर पोल खुलने के बाद चौकन्ने हुए फैजाबाद के फोटोग्राफर

‘फैजाबाद के प्रेस छायाकर फोटो लगवाने का ठेका लेते है, अच्छा कमा लेते है’ नामक शीर्षक से भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबर ने फैजाबाद में फोटोग्राफरों के साथ दलाली करने वाले पत्रकारों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं। खबर के प्रकाशन के बाद से ही मीडिया जगत सहित प्रेस फोटोग्राफरो के गैंग में हडकम्प मचा हुआ है। सभी एक दूसरे को शक भरी निगाहों से देख रहे हैं। हालाकि सभी को पता चल गया है कि खबर के केन्द्र में कौन है। इस खबर को लेकर मीडिया के साथ ही राजनैतिक हलकों में भी चर्चा आम हो गयी है।

<p>'फैजाबाद के प्रेस छायाकर फोटो लगवाने का ठेका लेते है, अच्छा कमा लेते है' नामक शीर्षक से भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबर ने फैजाबाद में फोटोग्राफरों के साथ दलाली करने वाले पत्रकारों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं। खबर के प्रकाशन के बाद से ही मीडिया जगत सहित प्रेस फोटोग्राफरो के गैंग में हडकम्प मचा हुआ है। सभी एक दूसरे को शक भरी निगाहों से देख रहे हैं। हालाकि सभी को पता चल गया है कि खबर के केन्द्र में कौन है। इस खबर को लेकर मीडिया के साथ ही राजनैतिक हलकों में भी चर्चा आम हो गयी है।</p>

‘फैजाबाद के प्रेस छायाकर फोटो लगवाने का ठेका लेते है, अच्छा कमा लेते है’ नामक शीर्षक से भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित खबर ने फैजाबाद में फोटोग्राफरों के साथ दलाली करने वाले पत्रकारों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं। खबर के प्रकाशन के बाद से ही मीडिया जगत सहित प्रेस फोटोग्राफरो के गैंग में हडकम्प मचा हुआ है। सभी एक दूसरे को शक भरी निगाहों से देख रहे हैं। हालाकि सभी को पता चल गया है कि खबर के केन्द्र में कौन है। इस खबर को लेकर मीडिया के साथ ही राजनैतिक हलकों में भी चर्चा आम हो गयी है।

अभी तक जो फोटोग्राफर सभा सम्मेलनों, प्रेस वार्ताओं, या अन्य आयोजनों में आयोजकों का कलर पकड़ कर रूपया उनकी जेब से निकाल लेते थे वह इस खबर से सहमें-सहमें से नज़र आ रहें है। हालांकि इनकी आदत छूटी नहीं है बस थोड़ा डरे हैं कि कहीं भड़ास पर उनकी पोल न खुल जाये। खबर प्रकाशन की बात पूरे मीडिया जगत में जंगल की आग की तरह फैल चुकी है। बस अब दलाली को अपना माई-बाप मान चुके इन फोटोग्राफरो की कहानी यहीं नहीं खत्म हो जाती है। कहानी तो ये रोज लिख रहे है बस बात वहां फंस जाती है की इनकी गैंग इतनी सशक्त है कि भीतर की खबर बाहर आते देर लग जाती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर भी खबरो का क्या वो तो आयेंगी ही। बताते है कि इस खबर के बाद प्रेस फोटोग्राफरो ने किसी गुप्त स्थान पर मीटिंग की और इस रिर्पोट को भेजने वाले का पता लगाना शुरू किया है। हालांकि अभी तक वो सफल नहीं हो पाये है फिर भी कोशिश का क्या वो तो चलेंगी ही लेकिन उन्हें रिर्पोट भेजने वाले से ज्यादा जरूरी हो गया है उस प्रवृत्ति पर लगाम लगाना जिसकी वजह से फैजाबाद की पत्रकारिता बदनाम हो रही है। प्रेस फोटोग्राफरो का कहना है कि हमारा क्या लखनऊ वाले लोग सब जानते है कि हम क्या करते है हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। उनका तो यह भी कहना है कि जब हमें पर्याप्त वेतन नहीं मिलेगा तो हम यही करेंगें।

हालांकि अपने आपको बड़ा कहने वाले अखबारो के प्रेस फोटोग्राफरो ने जब इस नाजायज धन्धे को शुरू किया तो सोचने को लिए मजबूर होना पड़ता है। हालात तो इस कदर बिगड़ गये हैं कि ये तथाकथित प्रेस फोटोग्राफर तो दुर्घटना होने, आग लगने, या किसी भी प्रकार की दुखद घटना होने पर भी दो चार सौ बिना लिए नहीं हटते हैं। एक दूसरे नम्बर के लीडिंग समाचार पत्र का दावा करने वाले अखबार के प्रेस फोटोग्राफर ने तो बीते बर्ष दीपावली में जब एलसीडी टीवी जिसकी कीमत लगभग 4० हजार थी अपने कार्यालय में लेकर आया तो उनके साथी पत्रकारो के साथ अखबार के ब्यूरो चीफ तक का चेहरा देखने लायक था। फिर भी क्या करते मन मसोस कर रह गये बेचारे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इतना ही नहीं फैजाबाद के पत्रकारों के पास भले ही लाइसेंसी रिवाल्वर या पिस्टल न हो पर यहां के लगभग आधा दर्जन दलाल किस्म के प्रेस फोटोग्राफरों ने अपनी अवैध कमाई के बल पर हथियार हासिल कर लिया है। जिसका प्रदर्शन भी वे अक्सर गाहे बेगाहे करते रहते हैं। जिनके पास अभी तक नहीं हैं वह भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर हथियार लेने के होड़ में लगे है। इनके रहन सहन को देखने पर आप अंदाजा नही लगा सकेंगें की ब्राण्डेड कपड़ों, मंहगे जूतों, गले में मोटी सोने की चेन और आंखो पर रे-बैन का चश्मा लगाये फर्राटा भरने वाले ये प्रेस फोटोग्राफर हैं या कोई ठेकेदार। जो भी हो इन प्रेस फोटोग्राफरो ने फैजाबाद की पत्रकारिता को जिस तरह बट्टा लगाया है कि सोच कर भी घिन आती है कि हम इन्ही के साथ रहते है।

आज इन्ही की वजह से भ्रष्टाचार में डूबे लोगों ने पत्रकारों की औकात हजार पांच सौ नहीं बल्कि दारू की बोतल और एक खुराक खाना समझ लिया है। फैजाबाद की पत्रकारिता का यह काला अध्ययाय आगे भी जारी रहेगा आज बस इतना ही।

Advertisement. Scroll to continue reading.

 

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मूल ख़बरः

फैजाबाद के प्रेस छायाकार फोटो लगवाने का ठेका लेते हैं, अच्छा कमा लेते हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement