लखनऊ : वरिष्ठ पत्रकार भगवत शरण का आज निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे और एक हफ्ते से बीमार थे। उनके परिवार में तीन बेटे और एक बेटी है। शरण चार दशक तक हिन्दी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र दैनिक जागरण से जुडे थे और लखनउ तथा मेरठ संस्करणों के संपादक रह चुके थे। वह नेशनल यूनियन आफ जर्नालिस्ट्स के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे और पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए कई अवसरों पर सम्मानित किये गये थे।
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श्री भगवत शरण एक बेहद सरल व सुलझे हुए इंसान थे! उनका कहना था कि “हम मनुष्य बनकर रहेंगे तो मानवता से जुड़ा कोई भी कार्य सही ढंग से किया जा सकता है!” उनके इसी कथन को मैंने अपने जीवन-कर्म की गाँठ के रूप में अपने मन-मस्तिष्क में रखा है! भगवत शरण जी को हालाँकि मैंने प्रत्यक्षत: 1985-86 में तब जाना जब मैं अपने सक्रिय विद्यार्थी जीवन में 1985 के अक्टूबर में ‘नवांक’ का सम्पादक हुआ! यह साप्ताहिक अख़बार तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से 1982 में इलाहाबाद से प्रकाशित होना आरम्भ हुआ था! संस्थापक-सम्पादक श्री परमानन्द मिश्र के विशेष आग्रह पर भगवत शरण जी ने ‘नवांक’ के लखनऊ में न्यू मार्केट, कैसरबाग स्थित ब्यूरो को मार्गदर्शन देना स्वीकार किया था! इसमें उनके पुत्र आलोक जी भी पहले नियमित लेखन किया करते थे! 1986 में इलाहाबाद में स्नातकोत्तर अध्ययन पूरा होने के साथ ही मैं पारिवारिक-पृष्ठभूमि के कारण अंग्रेजी साहित्य की उच्चतर पढ़ाई के लिए जबलपुर चला गया! इस वज़ह से भगवत शरण जी से वर्षों मिलना नहीं हो सका! 1992 में राष्ट्रीय सहारा का प्रकाशन लखनऊ से शुरू होने के बाद जब मैं दिल्ली से नवाबों की नगरी कहे जाने वाले इस शहर में आया तो यह भगवत शरण जी ही थे जिन्होंने समय-असमय अपनी दर्ज़नों मुलाकातों में मुझे लखनऊ में राजनीतिक क्षेत्र की नब्ज़ को टटोलने की सीख दी थी! उन्हें विनत् श्रद्धाञ्जलि! उनकी दिवंगत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो!