अब तक सिर्फ दीपावली पर मिठाई का डिब्बा या कभी वो भी नहीं को लेकर संतुष्ठ होने वाले देश भर के पत्रकारों के लिये एक अच्छी खबर आयी है। बोनस पर भी पत्रकारों का हक है । मुंबई के कामगार आयुक्त कार्यालय के राज्य जनमाहिती अधिकारी ने मुंबई के पत्रकार शशिकांत सिंह द्वारा ११ सितंबर २०१५ को आरटीआई के जरिये मांगी गयी एक सूचना पर जो जानकारी उपलब्ध करायी है उसमें यह पुरी संभावना बनती है कि पत्रकारों का भी बोनस पर हक है।
पत्रकार शशिकांत सिंह ने कामगार आयुक्त कार्यालय से पूछा था कि पत्रकारों के लिये बोनस का क्या प्रावधान है इसपर १२ अक्टूबर २०१५ को डिस्पैच किये गये मुबई के कामगार आयुक्त के राज्य जनमाहिती अधिकारी ने सूचना उपलब्ध करायी है कि केन्द्र सरकार के बोनस प्रदान अधिनियम १९६५ में बोनस बावत सभी सूचना उपलब्ध है। कृपया बोनस प्रदान अधिनियम १९६५ के नियमों का अवलोकन करें। केन्द्र सरकार के इस बोनस प्रदान अधिनियम का अध्ययन करने पर जो जानकारी आयी है वह एक अच्छी खबर है। आप भी इस केन्द्र सरकार के इस लिंक का अवलोकन कर सकते हैं जिसकी जानकारी राज्य जनमाहिती अधिकारी ने दी है।
बोनस भुगतान अधिनियम, 1965
बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 उन निश्चित प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को बोनस भुगतान मुहैया कराता है जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, और यह बोनस लाभ के आधार पर अथवा उत्पादन या उत्पादकता तथा संबंधित मामलों के आधार पर होता है। इस अधिनियम की धारा 10 के अंतर्गत प्रत्येक उद्योग एवं संस्थानों द्वारा न्यूनतम 8.33% बोनस देय है। किसी वित्तीय वर्ष में भुगतान किया जाने वाला अधिकतम बोनस जिसमें उत्पादकता से जुडा बोनस भी शामिल होता है, वह इस अधिनियम की धारा 31ए के अंतर्गत किसी कर्मचारी के वेतन/पारिश्रमिक के 20% से अधिक नहीं होगा। बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 के संशोधनों का विस्तृत विवरण।
क्रम : संशोधन वर्ष : पात्रता सीमा (रुपय प्रति माह) : गणना की अन्तिम सीमा (रुपय प्रति माह)
1. 1965 रु. 1600 रु. 750
2. 1985 रु. 2500 रु. 1600
3. 1995 रु. 3500 रु. 2500
4. 2007 रु. 10000 रु. 3500
अधिनियम में अंतिम संशोधन 13 दिसम्बर 2007 को किया गया था।
(रु. 3500/- X 12 =42,000/-) के 8.33% का न्यूनतम बोनस लगभग 3500/- रु. है।
ऊपर दिखाए गए 42,000 रु. का 20% रु. 8400/- होता है। हालांकि, सीमा रु. 8,300 दिया गया है।