सौमित्र रॉय-
भारत में मोदी सरकार के हैक किये 300 से ज़्यादा टेलीफोन नंबरों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नंबर भी शामिल है।
इतना ही नहीं, राहुल के 5 करीबी दोस्तों के भी फ़ोन नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में हैक करवाये।
राहुल को व्हाट्सएप पर पेगासस स्पाईवेयर का लिंक मिला था। उसके बाद उन्होंने कई बार नंबर बदला।
नरेंद्र मोदी सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से माना नहीं है कि वह पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करती है।
लेकिन इस स्पाईवेयर की कंपनी NSO ने साफ किया है कि वह स्पाईवेयर सिर्फ़ सरकारों को ही बेचती है।
मतलब चौकीदार ही जासूस है।
इजरायल ने दुनियाभर में 42 से ज्यादा देशों की सरकारों को आंतकवाद से लड़ने के लिए पेगासस स्पाईवेयर उपलब्ध कराया था।
लेकिन भारत समेत अधिकांश देशों ने इस दुरुपयोग सरकार की नीतियों से असहमत लोगों की जासूसी के लिए किया। यहां तक कि अपने मंत्रियों और नामी उद्योगपतियों तक को नहीं छोड़ा।
भारत में 300 में से अधिकांश (करीब 70 फीसदी) ऐसे फोन हैक हुए, जो ब्लैकबेरी या आईओएस प्लैटफॉर्म पर चलते हैं। यानी नामचीन हस्तियों के।
एंड्रॉइड पर चलने वाले अधिकांश फोन पर जासूसी नहीं हो सकी। राफेल सौदे में दलाली की आशंका जताते हुए 2018 में खबर करने वाले पत्रकार मित्र सुशांत सिंह के आईफोन में बीते महीने तक पेगासस बना रहा।
एंड्रॉइड के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि एक बार अगर इसमें पेगासस घुस जाए तो जासूसी को फोरेंसिक लैब में पकड़ना मुश्किल होता है, क्योंकि एंड्रॉइड प्लैटफॉर्म डेटा सुरक्षित नहीं रखता।
2019 में संसद में बहस के दौरान तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बार-बार इस सवाल को टाला कि क्या भारत भी इजरायली फर्म एनएसओ का ग्राहक है? एनएसओ ही पेगासस की मालिक कंपनी है।
ऐसे में मंत्रीमंडल से निकाले गए रविशंकर का स्नूपगेट कांड से इनकार कोई मायने नहीं रखता।
जिसके फ़ोन को मोदी सरकार ने 2018 और 2019 में हैक करवाया, वह आज IT मंत्री है।
नाम है अश्विनी वैष्णव।
NDTV की खबर- Apart from opposition leaders like Rahul Gandhi and Bengal Chief Minister Mamata Banerjee’s nephew Abhishek Banerjee, the latest reveal, according to The Wire, includes two current Union Ministers, Prahlad Patel and Ashwini Vaishnaw. Mr Vaishnaw, who joined Prime Minister Narendra Modi’s cabinet recently, is IT Minister. He was an MP at the time when the names were targeted – 2018 and 2019.
आज संसद में मंत्रीजी के बांके बोल।
संजय कुमार सिंह-
सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली जिस महिला ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश (और अब राज्य सभा के मनोनीत सदस्य) रंजन गोगोई पर आरोप लगाए थे उसका और उसके परिवार के लोगों के 11 फोन भी टैप किए जाने का अंदेशा है। द वायर ने जितनी जांच की उससे इसपर यकीन करने के पर्याप्त आधार है। इस मामले में दिलचस्प यह भी है कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया था और फिर काम पर रख लिया गया। कोई ढंग की जांच नहीं हुई और जैसे हुई उसमें उसने शामिल होने से इनकार कर दिया था।
यह मामला ऐसे समय में हुआ था जब अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद का फैसला आना था और जिसके बारे में प्रचारित किया गया है कि नरेन्द्र मोदी ने फैसला करवा दिया। जज को ईनाम का उदाहरण पहले से है और अब जज पर आरोप लगाने वाली के फोन टैप करके उसे अपना आरोप सिद्ध नहीं करने देने का मामला तो बनता ही है। जाहिर है जज साब को ब्लैक मेले किए जाने की आशंका बनती है। उधर आरोप गलत थे तो नौकरी से निकाल दिया गया पर वापस क्यों रखा गया? इस मामले में आप जो समझ सकते हैं समझिये।
बावजूद इसके, सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है। मान लीजिए।