Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

डर लगे तो पाकिस्तान जाओ, गुस्सा आए तो खबर ही नहीं है !!

मशहूर अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने समकालीन भारत की स्थिति बताते हुए अपनी चिन्ता जाहिर की है। छोटे से उनके वीडियो को शांति की पहल, “कारवां ए मोहब्ब्त” ने अपलोड किया है। यह किसी भी तरह से बेजरूरत या अप्रत्याशित नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया पर इसका पोस्टमॉटर्म कल ही शुरू हो गया था। आज कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ ने इसे लीड बनाया है।

शीर्षक है, अगर कोई भीड़ मेरे बच्चों से उनका धर्म पूछेगी …. : शाह। वीडियो देखे बिना मैं समझ रहा था कि इसके लिए नसीरूद्दीन शाह की पूजा की जाएगी। मेरा इसे देखने का कोई इरादा नहीं था और ना ही इसका समर्थन या विरोध करने वालों को पढ़ने का पर आज सुबह टेलीग्राफ के इस शीर्षक को पढ़ने के बाद लगा कि यह तो मेरा ही सवाल है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
द टेलीग्राफ की आज की लीड छह कॉलम में।  

धर्म और जाति को हवा देने की राजनीति शुरू होने के बाद से ही मैं यह सोचता रहा हूं कि इस माहौल में उन बच्चों या लोगों का क्या दोष जिनके माता-पिता ने अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह किया हो और वे इस सवाल को कैसे हैंडल करते होंगे। मेरा मानना रहा है कि ऐसे लोग इस टुच्ची राजनीति में पड़ेंगे ही नहीं और उन्हें इस सवाल का सामना नहीं करना पड़ेगा। पर भीड़ पूछे तो? यह तो मैंने सोचा ही नहीं था।

आइए देखें आज के अखबारों ने नसीरूद्दीन शाह की इस गंभीर चिन्ता को कैसे प्रस्तुत किया है। अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर इसकी कोई चर्चा नहीं है। अंदर भी नहीं दिखी। छोटी कहीं छपी हो तो नहीं कह सकता। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने पर दो कॉलम में है। शीर्षक है, “गोहत्या अब पुलिस वाले की हत्या से ज्यादा महत्वपूर्ण : नसीर”। यह खबर अंदर विस्तार से है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर नहीं है।

हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने इसे पहले पन्ने पर दो कॉलम में छापा है। शीर्षक है, “आज पुलिस अफसर की हत्या से ज्यादा गाय की मौत को तवज्जो: नसीरुद्दीन”। उपशीर्षक है, डर लगता है कहीं भीड़ मेरे बच्चों को घेर कर उनसे धर्म न पूछे। इस खबर के साथ सिंगल कॉलम में एक और खबर है, शाह बोले – बच्चों को मजहबी तालीम नहीं दी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने पर फास्टन्यूज में इस खबर का शीर्षक है, नसीरुद्दीन बोले, गाय की जान इंसान से ज्यादा। बताया गया है कि यह खबर पेज 15 पर है। हालांकि वहां भी यह खबर सिंगल कॉलम में ही है। शीर्षक है, नसीर बोले, देश का मौजूदा माहौल बेहद जहरीला। हिन्दुस्तान में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। न ही इसके अंदर होने की कोई सूचना है। नवोदय टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर सिंगल कॉलम में छोटी सी छपी है। शीर्षक है, अब नसीर को भी डर।

यहां खास बात यह है कि नसीरुद्दीन शाह ने कहा है, “इन बातों से मुझे डर नहीं लगता, ग़ुस्सा आता है। और सही सोचने वाले हर इंसान को (हालात पर) ग़ुस्सा आना चाहिए, डर नहीं लगना चाहिए।” इसके बावजूद शीर्षक में डर है। जबकि शाह ने यह भी कहा है, “हमारा घर है। हमें कौन निकाल सकता है यहाँ से?”

Advertisement. Scroll to continue reading.

अखबार ने इसे अपने सिटी टाइम्स वाले हिस्से में विस्तार से छापा है जो मुख्य रूप से फिल्मी खबरों वाला हिस्सा है। और यहां इस खबर का शीर्षक कोई फिल्मी नहीं है वही है जो आज के माहौल में चिन्ता का मुख्य कारण है। शीर्षक है, ‘मुझे अपने बच्चों की फिक्र कल को भीड़ ने घेर लिया तो’। अमर उजाला में यह खबर पहले पेज पर एक कॉलम में छोटी सी है। शीर्षक है, इंस्पेक्टर से ज्यादा गाय की फिक्र : नसीरुद्दीन।

दैनिक जागरण ने इसे पहले पेज पर दो कॉलम में छापा है। शीर्षक है, नसीरुद्दीन शाह को बेटों के लिए भारत में लगता है डर। उपशीर्षक है, पाक जेल से लौटे हामिद की मां के लिए मेरा भारत महान। कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें दो खबरें एक साथ पेश की गई हैं। संबंधित खबर अंदर होने की सूचना है। इसका शीर्षक है, नसीर के बहाने भाजपा पर कांग्रेस – राकांपा का निशाना।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस खबर के साथ आलोचना शीर्षक से दो बिन्दु हाइलाइट किए हुए हैं। इनमें पहला है, सोशल मी़डिया पर खूब ट्रोल हुए फिल्म सरफरोश के गुलफाम हसन और दूसरा है, यूजर ने लिखा अपराधियों और भ्रष्ट लोगों को भारत में डरना होगा (अखबार ने यह नहीं बताया है कि अगर यह नसीरुद्दीन शाह के बारे में है तो वे कैसे अपराधी या भ्रष्ट अथवा दोनों हैं)। ना ही यह बताया है कि वह इस राय से सहमत है अथवा असहमत। राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पन्ने पर है ही नहीं।

हो सकता है कई अखबारों की ही तरह आपको भी यह खबर महत्वपूर्ण नहीं लगे और इसे पहले पेज पर नहीं लेने, छोटा कर देने या गलत शीर्षक लगाने आदि में आपकी दिलचस्पी न हो। अगर ऐसा है तो देखिए कि आपके अखबार ने क्या राहुल गांधी का यह बयान छापा है कि अब ग्रैंड स्टुपिड थॉट लागू कर रहे मोदी। जीएसटी पर राहुल गांधी के इस बयान को नवोदय टाइम्स ने आज पहले पेज पर चार कॉलम में छापा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके साथ केंद्रीय वित्त मंत्री का ट्वीट भी है, “यूपीए ने ज्यादातर उत्पादों पर 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर की विरासत छोड़ी थी। जीएसटी 334 उत्पादों पर पहले ही 12 से 18 प्रतिशत के स्लैब तक कम किया जा चुका है 31 प्रतिशत टैक्स दमनकारी स्टुपिड विचार नहीं था।”

अगर आपने कल की मेरी पोस्ट पढ़ी हो तो इन दोनों बातों से आप समझ सकते हैं कि राहुल गांधी कुछ और कह रहे हैं जेटली की सफाई कुछ और है। हालांकि, मैं आपसे यह देखने के लिए कहना चाहता हूं कि राहुल के इस आरोप को क्या जेटली के जवाब के साथ भी आपके अखबार ने छापा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement