पत्रकारों के संगठन इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) से कुछ ही दिनों पहले निकाले गए पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव की मुसीबतें कम होने का नाम नही ले रही हैं। आईएफडब्लूजे के इस बहिष्कृत गुट ने बीते ही महीने कनार्टक के बंगलोर में सम्मेलन कर कामरेड परमानंद पांडेय की जगह जे मदनगौड़ा को राष्ट्रीय महासिचव बनाने का एलान किया था। बंगलोर सम्मेलन के एक महीने भी नही बीते थे कि ३१ मार्च को मदनगौड़ा ने विक्रम राव को एक पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दे दिया है।
मदन गौड़ा ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। मदन गौड़ा किस बात से आहत हैं इसका तो खुलासा नही किया है पर उन्होंने आईएफडब्लूजे के सभी पदों से इस्तीफा दे डाला है और केवल सक्रिय पत्रकारिता में बने रहने की बात कही है। हालांकि मदन गौड़ा के इस्तीफे के तुरंत बाद ही एक अप्रैल को विक्रम राव ने पत्र लिख कर इस्तीफे के पत्र पर जुलाई में चेन्नई में होने वाली वर्किंग कमेटी की बैठक में चर्चा की बात कही है। मदन गौड़ा ने इस्तीफे को वापस लेने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की है।
गौरतलब है कि आईएफडब्लूजे की मथुरा में बीते साल नवंबर में हुयी बैठक के बाद वर्किंग कमेटी ने बहुमत से विक्रम राव को अध्यक्ष पद से हटा दिया था। आईएफडब्लूजे वर्किंग कमेटी ने फरवरी में दिल्ली में हुए सम्मेलन में राव को हटाने की पुष्टि करते हुए उन पर लगे वित्तीय अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए वरिष्ठ पत्रकार जयंत वर्मा का अध्यक्षता में एक कमेटी भी बना दी थी।
विक्रम राव को मार्च की शुरुआत में ही लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष सिद्धार्थ कलहंस ने सात सालों के लिए संगठन से निकाल दिया था। हालांकि आईएफडब्लूजे से हर तरह का नाता खत्म हो जाने के बाद भी हठधर्मिता पर उतारु विक्रम राव ने बंगलोर में सम्मेलन कर कुछ बचे खुचे लोगों के साथ मिल कर एक तथाकथित राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर डाला और मदनगौड़ा को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया था। विक्रम राव के इस कदम के चंद दिन बाद ही मदनगौड़ा ने इस्तीफा देकर सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.