नहीं मालूम आगरा के अन्य अख़बारों ने कैसे कवर किया लेकिन जनसंदेश टाइम्ज़ ने पूरे प्रकरण को बेहद संजीदगी के साथ प्रकाशित किया। य
ये अख़बारी रिपोर्ट और पत्रकार गौरव अग्रवाल उर्फ़ गौरव बंसल के काँपते हाथों वाली वीडियो अपराधी पुलिस वालों को जेल भिजवाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर अभियान शुरू हो चुका है। नपुंसक एडिटर्ज़ गिल्ड और चिरकुट प्रेस कौंसिल आफ इंडिया सोए पड़े हैं। सारे मीडिया संगठन भांग खाए पड़े हैं। पर आम पत्रकार सक्रिय हो चुका है।
नीचे तीन लिंक हैं ट्वीटर के। उन्हें रीट्वीट करें और अपने दायित्व का निर्वाह करें!
सच बोलने लिखने वाले आगरा के पत्रकार के लिए कहीं से कोई आवाज़ नहीं उठ रही है। अब न एडिटर जगेंगे और न अन्य मीडिया संगठन। पत्रकार की पिटाई और टार्चर के दोषी पुलिस वालों की बर्ख़ास्तगी की मुहिम शुरू होनी चाहिए। आपका एक एक लाइक share रीट्वीट फ़ॉर्वर्ड क़ीमती है। तीन लिंक हैं ट्विटर के। सबको रेट्वीट करें।
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