नयी दिल्ली के हिन्दुस्तान टाईम्स एडिशन से निकाले गये २७२ कर्मचारियो को वापस काम पर रखे जाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीमकोर्ट से हार का सामना कर चुकी हिन्दुस्तान टाईम्स अब अपना ३२ साल से चल रहा पटना एडिशन सोमवार से बंद कर रहा है। इस एडिशन में कार्यरत उपसंपादक या उससे उपर के लोगों को देश के दुसरे हिस्सों में ट्रांसफर लेटर थमा दिया गया है। इस खबर की पुष्टी खुद कई कर्मचारियों ने की है।
बताते हैं कि नयी दिल्ली के बाद हिन्दुस्तान टाईम्स ने अपना पटना एडिशन वर्ष १९८६ में शुरु किया था । ५ दिसंबर को नयी दिल्ली से कंपनी की कार्मिक विभाग की हेड मोनिका अग्रवाल पटना पहुंची और उन उपसंपादकोंया उससे उपर के कर्मचारियोंको जो वेज बोर्ड में नहीं हैं. उन्हे एक एक कर केबिन में बुलाया और उनका ट्रांसफर लेटर थमाकर साफ कह दिया कि हम १० दिसंबर से हिन्दुस्तान टाईम्स का पटना एडिशन बंद कर रहे हैं।
इस पटना एडिशन में पहले १५० से ज्यादा लोग काम करते थे मगर बाद में यह संख्या कम होती गयी और नयी भर्ती ना के बराबर हुयी जिसके बाद बाकी बचे लोगों को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता , बरेली आदि जगहों पर ट्रांसफर का लेटर थमा दिया गया। नाम ना छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि हिन्दुस्तान टाइम्स मेंअपनी पुरी जिंदगी खपा देने वाले उन ल ोगों को जिन्होने हमेशा डेस्क पर काम किया और उनकी उम्र पचास साल हो गयी है उन्हे कंपनी ने रिर्पोटिंग में लगा दिया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स के जिन लोगों का पटना एडिशन से ट्रांसफर किया गया हैउन्हे नयी जगह पर १३ दिसंबर तक ज्वाईन करने का फरमान भी सुना दिया गया है। हालांकि यह भी साफ कर दूं कि कंपनी नेअभी अपने स्टाफ रिर्पोटरों का ट्रांसफर नहीं किया है मगर रिर्पोटरों के चेहरे पर भी हवाईयां उड़ रही हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स के पटना संस्करण बंद करने की खबर से देश भर के पत्रकारों में हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ गुस्से का माहौल है। सुत्रों की माने तो सोमवार से हिन्दुस्तान टाईम्स का पटना पेज दिल्ली से बनकर आयेगा। जिन लोगों का कंपनी ने देश के दुसरे हिस्सो में ट्रांसफर किया है उनमें सिनीयर न्यूज एडिटर, डिप्युटी न्यूज एडिटर , सब एडिटर और रांचि डेस्क इंचार्ज सहित अन्य लोग हैं। जिन लोगों का ट्रांसफर किया गया हैएक कांट्रेक्ट कर्मचारी है जबकि अन्य सीटीसी पर रखे गये कर्मचारी हैं।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
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