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सियासत

इस्लाम नहीं, आप संकट में हैं!

-अभिषेक पाराशर-

ठीक से याद नहीं आ रहा, पर शायद ‘द आर्गुमेंटेटिव इंडियन’ में पढ़ा था. अमर्त्य सेन जिस क्लास में पढ़ते थे, उसमें पढ़ाने वाली शिक्षिका या शिक्षक ने कहा कि भारतीय किसी भी बात पर प्रतिक्रिया जरूर देते हैं.

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यह सुनकर अमर्त्य सेन के मन में ख्याल आया कि इसका जवाब दिया जाए लेकिन उन्होंने सोचा कि अगर इसका जवाब दिया तो वह उस शिक्षक या शिक्षिका की बात को सच कर देंगे. इसलिए उन्होंने चुप रहने का फैसला लिया. उनके चुप रहने से वह सवाल या आरोप सही नहीं हो गया, लेकिन अगर वह बोलते तो वह उस व्यक्ति के मन में बनी एक कृत्रिम अवधारणा को जरूर पक्की कर देते, जिसका सच्चाई से बहुत कम लेना-देना था.

तो जब किसी ने कहा कि इस्लाम संकट में है, वह संकट में है या नहीं इसे तय होना था, लेकिन कृत्रिम ‘उम्मत’ की अवधारणा में वशीभूत आपकी फौरी हरकतों ने यह जरूर साबित कर दिया कि आप संकट में है.

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