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दैनिक जागरण के मालिकानों ने दिखाया अखिलेश सरकार को ठेंगा

नई दिल्ली/ नोएडा। हुआ वही जिसका अंदाजा था। तानाशाह दैनिक जागरण के मालिकानों ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी अखिलेश यादव सरकार को ठेंगा दिखा दिया। अखिलेश सरकार ने गत 25 जनवरी को प्रदेश के मीडियाकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन सेवा का शुभारम्भ किया था। खुद मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सेवा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश के तमाम मीडियाकर्मियों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि हेल्पलाइन निश्चित रूप से मीडियाकर्मियों के मसलों को सुलझाएगी और उन्हें इन्साफ दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

<p>नई दिल्ली/ नोएडा। हुआ वही जिसका अंदाजा था। तानाशाह दैनिक जागरण के मालिकानों ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी अखिलेश यादव सरकार को ठेंगा दिखा दिया। अखिलेश सरकार ने गत 25 जनवरी को प्रदेश के मीडियाकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन सेवा का शुभारम्भ किया था। खुद मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सेवा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश के तमाम मीडियाकर्मियों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि हेल्पलाइन निश्चित रूप से मीडियाकर्मियों के मसलों को सुलझाएगी और उन्हें इन्साफ दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।</p>

नई दिल्ली/ नोएडा। हुआ वही जिसका अंदाजा था। तानाशाह दैनिक जागरण के मालिकानों ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी अखिलेश यादव सरकार को ठेंगा दिखा दिया। अखिलेश सरकार ने गत 25 जनवरी को प्रदेश के मीडियाकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन सेवा का शुभारम्भ किया था। खुद मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सेवा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश के तमाम मीडियाकर्मियों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि हेल्पलाइन निश्चित रूप से मीडियाकर्मियों के मसलों को सुलझाएगी और उन्हें इन्साफ दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

इससे उत्साहित मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के आंदोलित कर्मचारियों ने भी इस सेवा के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई। शासन के सीधे हस्तक्षेप के बाद 5 फरवरी को वार्ता की तिथि निश्चित हुई। लेकिन दैनिक जागरण के मालिकानों के इशारे पर वार्ता के लिए आये प्रतिनिधियों ने वार्ता करने से ही इनकार कर दिया। जागरण के प्रतिनिधियों ने वर्षों से संस्थान में सेवा दे रहे कर्मचारियों को कर्मचारी मानने से ही इनकार कर दिया।

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बता दें कि आंदोलित कर्मचारियों ने ही शासन से दैनिक जागरण के तानाशाह रवैये की शिकायत की थी। लेकिन गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वार्ता से बचा नहीं जा सकता। जागरण प्रतिनिधियों के इस तानाशाही रवैये से वहां मौजूद आंदोलित कर्मचारी व जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी बेहद नाराज दिखे। ऐसे में यह तो स्पष्ट है कि जागरण के मालिकानों ने मुख्यमंत्री की इस योजना का मजाक बना दिया। वार्ता के दौरान दैनिक जागरण के कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने कर्मचारियों के मसलों को रखा जिन पर जागरण के प्रतिनिधि जवाब देने में पूरी तरह विफल रहे।

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