बिहार में दैनिक जागरण कर रहा अपने कर्मियों का शोषण, श्रम आयुक्त ने जांच के आदेश दिए

दैनिक जागरण, गया (बिहार) के पत्रकार पंकज कुमार ने श्रम आयुक्त बिहार गोपाल मीणा के यहाँ एक आवेदन दिनांक लगाया था. पिछले महीने 26 जुलाई को दिए गए इस आवेदन में पंकज ने आरोप लगाया था कि गया जिले सहित जागरण के बिहार के सभी चार प्रकाशन केंद्र में श्रम कानून के तहत मीडियाकर्मियों और गैर-मीडियाकर्मियों को कई किस्म का लाभ नहीं दिया जा रहा है. यहां 90 प्रतिशत से अधिक पत्रकार एवं गैर पत्रकारों का प्राविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा, सर्विस बुक सहित कई सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. साथ ही माननीय सर्वोच्च्य न्यायालय द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के तहत सेलरी, पद और ग्रेड की जो घोषणा की जानी थी, उसे भी नहीं नहीं किया गया है.

दिल्ली की श्रम अदालत ने दैनिक जागरण पर ठोंका दो हजार रुपये का जुर्माना

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण पर दो हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। इस जुर्माने के बाद से जागरण प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। बताते हैं कि गुरुवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों के मामले की सुनवाई थी जिन्होंने मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था। इन सभी 15 लोगों को बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया था। गुरुवार को जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील श्री विनोद पाण्डे ने अपनी बात बताई।

मनोझ झा बने दैनिक जागरण दिल्ली-एनसीआर के संपादक

मनोज झा

नोएडा स्थित दैनिक जागरण आफिस से एक बड़े बदलाव की सूचना है. अखबार के दिल्ली-एनसीआर एडिशन का संपादक अब मनोज झा को बना दिया गया है. इसके पहले संपादक बृज बिहारी चौबे हुआ करते थे जो करीब हफ्ते भर से आफिस नहीं आ रहे हैं. चर्चा है कि चौबे को या तो अखबार प्रबंधन ने हटा दिया है. सूचना के मुताबिक नोटबंदी के ऐलान वाले दिन इससे संबंधित खबर एनसीआर के एडिशंस में नहीं छपी जिससे नाराज संजय गुप्ता ने चौबे को नौकरी से निकाल दिया.

दैनिक जागरण ने अब तक नहीं दिया मजीठिया वेज, परंतु कर्मचारियों का शोषण जारी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी जागरण मैनेजमेंट के लोग अब तक कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ तो दूर, सम्मानित वेतन तक नहीं दे रहे। एक ही वेतन में दो कार्य (अखबार के लिए रिपोर्टिंग/एडिटिंग और डिजिटल के लिए ऑनलाइन ब्रेकिंग) लिया जा रहा है। लगातार शोषण से जागरण के कर्मी परेशान है। जागरण मैनेजमेंट झूठ पर झूठ बोल रहा है।

शोषण से त्रस्त सिक्योरिटी गार्डों ने दैनिक जागरण इलाहाबाद को दिया जोरदार सबक

दुनिया भर के लोगों की लड़ाई लड़ने वाले मीडियाकर्मी अपने हक-अधिकार के नाम पर सोए लगते हैं लेकिन कम पढ़े लिखे उन्हीं के आफिस के सिक्योरिटी गार्ड अपने अधिकार को लेकर गजब के सतर्क निकले. इलाहाबाद से खबर है कि दैनिक जागरण प्रबंधन के शोषण से त्रस्त सिक्योरिटी गार्डों ने सेलरी मिलने के बाद अचानक ही आफिस को उसके हाल पर छोड़कर गायब हो गए. कई घंटे बीत जाने के बाद आफिस के लोगों ने गौर किया तो उन्हें समझ में आया कि सिक्योरिटी गार्ड तो गायब हो चुके हैं.

उफ्फ… दैनिक जागरण अलीगढ़ और ईनाडु टीवी हैदराबाद में हुई इन दो मौतों पर पूरी तरह लीपापोती कर दी गई

अलीगढ दैनिक जागरण के मशीन विभाग में कार्यरत एक सदस्य की पिछले दिनों मशीन की चपेट में आकर मृत्यु हो गई. न थाने ने रिपोर्ट लिखा और न ही डीएम ने कुछ कहा. शायद सब के सब जागरण के प्रभाव में हैं. यह वर्कर 2 दिन पहले वहां तैनात किया गया था. उसका भाई वहां पहले से कार्यरत था. पंचनामा जबरन कर लाश को उठवा दिया गया. बताया जाता है कि अलीगढ़ दैनिक जागरण में शाफ्ट टूट कर सिर में लगने से मौत हुई.

जागरण प्रबंधन की नीच हरकत : जानिए क्यों निकाल दिया अपने दो पत्रकारों अरविंद और संजीव को…

Arjun Sharma : टोनी व श्रीवास्तव का जागरण से बाहर होना आज की मीडिया की वास्तविकता… दोस्तों दैनिक जागरण प्रबंधन ने आज अपने दो वरिष्ठ पत्रकारों लुधियाना के ब्यूरो चीफ अरविंद श्रीवास्तव व प्रमुख फोटो जर्नलिस्ट संजीव टोनी से इस जुर्म के बदले त्यागपत्र मांगा क्योंकि एक अकाली पार्षद की गुंडागर्दी के खिलाफ जागरण प्रबंधन के कहने पर ही इन दोनों पत्रकारों ने ये मुद्दा उठाया पर बीते रोज अरविंद केजरीवाल ने लुधियाना दौरे के दौरान जब पत्रकारों के साथ हो रही धक्केशाही का मुद्दा उठा दिया तो इल्जाम ये लगाया कि उन्होंने (इन दोनों पत्रकारों ने) पंजाब में अरविंद केजरीवाल को अकालियों के खिलाफ मुद्दा दे दिया है।

दैनिक जागरण में कितने यादव हैं, सीएम अखिलेश ने सरेआम पूछ लिया (देखें वीडियो)

Mahendra Yadav : मिस्टर दैनिक जागरण ! आप बताते क्यों नहीं कि दैनिक जागरण में कितने यादव हैं? जागरण फोरम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये सवाल किया है तो जवाब तो बनता है न! चलिए, ब्राह्मण कितने हैं, ठाकुरों को कितनी जगह मिली है, कायस्थों को कितनी सीटें मिली हैं, बनियों को कितनी मिली है, कितने अल्पसंख्यक हैं, कितने आदिवासी हैं…कितने ओबीसी हैं..यही बता दीजिए..

कैराना का पलायन और जागरण की पत्रकारिता : इस बेवकूफी भरी रिपोर्टिंग पर ना हंसा जा सकता है ना रोया जा सकता है

Sanjaya Kumar Singh : कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन के आरोप और आरोप लगाने वाले सांसद, उनकी पार्टी की राजनीति के बाद अब देखिए जागरण की पत्रकारिता। “फिलहाल कलेजा थाम कर बैठा है कैराना” – शीर्षक अपनी रपट में अवनीन्द्र कमल, कैराना (शामली) लिखते हैं, “दोपहर की चिलचिलाती धूप में पानीपत रोड पर लकड़ी की गुमटी में अपने कुतुबखाने के सामने बैठे मियां मुस्तकीम मुकद्दस रमजान महीने में रोजे से हैं। पलायन प्रकरण को लेकर उनके जेहन में खदबदाहट है। चाय की चुस्कियों में रह-रहकर चिन्ताएं घुल रही हैं, मुस्तकीम की। कहते हैं मुल्क में कैराना को लेकर जैसी हलचल है, वैसी यहां नहीं। देख लीजिए। यह सब सियासतदां कर रहे हैं। चुनावी आहट है न। धार्मिक आधार पर मतों के ध्रुवीकरण के लिए कैराना को बदनाम किया जा रहा है, क्यों? दल कोई हो, बरी कोई नहीं है। नैतिकताएं रेगिस्तान हो रही हैं। हां गुंडों- अपराधियों ने यहां के माहौल को जरूर बिगाड़ा है, लेकिन अभी गनीमत है।”

मूर्ख पत्रकार अवनींद्र कमल ने मुस्तकीम को रोजे में चाय पीते हुए बताया और इसे दैनिक जागरण ने छाप दिया!

Wasim Akram Tyagi : दैनिक जागरण का एक पत्रकार अवनीन्द्र कमल कैराना पहुंचा. लौटकर अपने हिसाब से ‘बेहतरीन’ रिपोर्ताज लिखा. शीर्षक है- ”फिलहाल कलेजा थामकर बैठा है कैराना”. यह रिपोर्ताज जागरण के 20 जून के शामली संस्करण में प्रकाशित भी हो गया. अब जरा इन महोदय की लफ्फाजी देखिये…

दैनिक जागरण कपूरथला का कारनामा

दैनिक जागरण के कपूरथला के अंक में जसकीरत अपहरण कांड संबधित कवरेज छपी है। यह सारी कवरेज उन्होंने दैनिकमेल.काम से उठाई है और खास बात यह है कि एक शब्द भी खबर में नहीं बदला पूरी की पूरी कापी पेस्ट। दैनिकमेल.डाट काम निखिल शर्मा चला रहे हैं जो दैनिकजागरण में पन्द्रह साल क्राम रिपोर्टर रहे हैं। पिछले साल मजीठिया के खिलाफ आवाज उठाई तो जागरण से उनका पंगा हो गया। निखिल शर्मा ने मजीठिया मामले में जागरण मैनेजमेंट और जालंधर के संपादक विजय गुप्ता के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई हुई है जिसमें विजय गुप्ता थाने में पेश होकर बयान भी देकर आए थे।

दैनिक जागरण ने इलाहाबाद के पूर्व मेयर चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह को जीते जी मार दिया

दैनिक जागरण महान अखबार है. यहां कभी मायावती के लिए गंदी गंदी गालियां छप जाया करती हैं तो कभी जिंदा लोगों को मरा घोषित कर दिया जाता है. ताजा मामला इलाहाबाद एडिशन का है. कल दैनिक जागरण इलाहाबाद में पेज नंबर नौ पर एक छोटी सी खबर छपी है जिसमें बताया गया है कि पूर्व मेयर चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह के निधन के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष निर्मल खत्री ने उनके घर पहुंचे और उन्होंने वहां शोक संतप्त परिवार को सांत्वाना दी.

मजीठिया : लेटलतीफी और समय पर जवाब न देने पर जागरण पर लगा 10 हजार रुपये का जुर्माना

नई‍ दिल्‍ली। दिल्‍ली में विश्‍वकर्मा नगर (झिलमिल कालोनी) स्थित उप श्रमायुक्‍त कार्यालय में चल रहे रिकवरी मामले में लेटलतीफी और समय पर जवाब नहीं देने पर दैनिक जागरण पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

जागरण में काम कर चुके दंगाई राष्ट्रवादी पत्रकार डा. अनिल दीक्षित ने फेसबुक पर क्या लिख डाला, पढ़िए

Arun Maheshwari : अगर यह व्यक्ति दैनिक जागरण दैनिक का संपादक है तो कहना होगा, एक बदस्तूर अपराधी व्यक्ति भारत में हिंदी के एक प्रमुख अखबार का संपादक बना हुआ है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की तरह के संपादकों की परंपरा वाली हिंदी भाषा के लिये इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है।

प्रबंधन द्वारा सताए जागरण के सैकड़ों मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से हासिल हुई निराशा

Stupidity of Two Advocates has let down Newspaper Employees

Newspaper employees, in general, and Dainik Jagran employees, in particular, got a jolt in the Supreme Court today because of the foolishness of their two advocates namely; Vinod Pandey and Ashwin Vaish when the Hon’ble Court refused to grant any relief to the employees, who are either victimised or about to be victimised.

बुलंदशहर में महिला डीएम के खिलाफ कुत्सित अभियान चलाने वाले दैनिक जागरण के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़का, फूंका पुतला (देखें तस्वीरें)

बुलंदशहर में महिला आईएएस बी. चंद्रकला के खिलाफ लगातार कुत्सित अभियान चलाने वाले दैनिक जागरण से नाराज होकर लोगों ने अखबार और इसके पदाधिकारियों का पुतला फूंका. डीएम के खिलाफ महिला विरोधी घटिया अभियान चलाने को लेकर लोगों को गुस्सा फूटा. पंद्रह दिनों से रोज फर्जी न्यूज छापकर दैनिक जागरण ब्लैकमेलिंग की अपनी पत्रकारिता पर अडिग है और डीम को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है. रोज चार लड़कों को खड़ा कर प्रदर्शन की फर्जी तस्वीर और नेताओं के झूठे बयान छापने से जनता में भारी नाराजगी है.

दैनिक जागरण और दिलीप अवस्थी का दोगलापन

सर
सादर प्रणाम

सादर अवगत कराना है कि दैनिक जागरण जनपद अमेठी के विकासखंड बाजार शुकुल से मैं बतौर क्षेत्रीय रिपोर्टर पिछले पाँच वर्षों से समाचार लिख रहा था। कुछ माह पूर्व हुए पंचायत चुनाव में मैंने क्षेत्रपंचायत का चुनाव लड़ा। पंचायत चुनाव लड़ने के कारण मुझे दैनिक जागरण से यह कहकर हटा दिया गया कि दैनिक जागरण में चुनाव लड़ने वाले पत्रकारों को सम्पादक दिलीप अवस्थी द्वारा निकालने का आदेश हुआ है।

दैनिक जागरण ने कब्जाई व्यापारी की करोड़ो की जमीन, कोर्ट में केस दर्ज

बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चन्द्रकला के संग जबरन सेल्फी प्रकरण के बाद आरोपी की वकालत में फँसे दैनिक जागरण का नया फर्जीवाड़ा सामने आया है। बी0 चंद्रकला को उनके माता-पिता द्वारा परिवार की सम्पत्ति बँटवारे में मिले एक फ्लैट और तेलंगाना के नक्सल प्रभावित रंगारेड्डी जिले में कृषि योग्य कुछ ज़मीन पर सवाल खड़े करने वाला दैनिक जागरण खुद भूमाफिया है। समाचार-पत्र की आड़ में सरकारी सिस्टम पर हेकड़ी जमाकर दैनिक जागरण ने काली कमाई और अवैध जमीनों की खरीद का एक बड़ा साम्राज्य देश में खड़ा किया है। ताज़ा मामला राजधानी लखनऊ का है। आपको बताते हैं कैसे जागरण ने 50 करोड़ की ज़मीन को फर्जीवाड़ा करके कब्जा रखा है।

किसी राष्ट्रीय अखबार का मोदी भक्ति के लिए इतना गिरना भी ठीक नहीं

खुद को विश्‍व का नबंर वन अखबार होने का दावा करता दैनिक जागरण मोदी भक्ति व संघ विचारधारा के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पत्रकारिता के सारे उसूलों को सिरे से खारिज कर बेहद मूर्खाना व्‍यवहार करने पर तुला है यह संघी अखबार। 14 फरवरी को वेलेटाइन डे के मौके पर संघी, बजरंगी इसे झूठे तौर पर शहीदी दिवस करार देने में जुटे रहे। संघ और बजरंग से जुड़े लोगों का दावा है कि 14 फरवरी को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी, इसलिए वेलेंटाइन डे का आयोजन शहीदों का अपमान है। हालांकि तथ्‍य यह है कि 23 मार्च को इन तीनों शहीदों को फांसी दी गई थी।

नरेंद्र मोदी की शह पाकर दैनिक जागरण के मालिक और सीईओ संजय गुप्‍ता अपराध की राह पर निकल पड़े हैं!

Fourth Pillar : अपराधियों, घोटालेबाजों और तस्‍करों को संरक्षण दे रहे हैं संजय गुप्‍ता… वाहन पर प्रेस लिखा देख कर पुलिस वाले सम्‍मान में वाहन को नहीं रोकते और उसकी जांच करना पत्रकारिता का अपमान समझते हैं। उन्‍हें लगता है कि इस वाहन में कोई गणेश शंकर विद्यार्थी बैठा होगा। पहले कमोवेश यह बात सही भी रही होगी, लेकिन सावधान। दैनिक जागरण के प्रेस लिखे वाहन में कोई अपराधी, घोटालेबाज अथवा तस्‍कर भी हो सकता है।

निकल गयी जागरण की हेकड़ी, रामगोपाल बोले- साथ काम करना है, निपटाओ मामला

पिछले कई दिनों से सरकारी सब्सिडी के अखबारी कागज पर क्रांति की चिंगारी सुलगाने का दावा करने वाले दैनिक जागरण की हेकड़ी गुरूवार को उस वक्त निकल गयी जब मेरठ में प्रोफेसर रामगोपाल पहुँचे थे। सरकार का मुँह टाप रहे जागरणी पत्रकारों को उम्मीद थी कि रामगोपाल यादव उनके कहने भर से डीएम बी0 चन्द्रकला को कालापानी दे देंगे। लेकिन कागज पुर्जे पर ज्ञापन रूपी चार लाइनें लिखकर ज्योंही पत्रकारों ने प्रोफेसर रामगोपाल के सामने पेश की, उन्होने झट से कहा निपटाते क्यों नही..बस छापे जा रहे हो।

जागरण के पत्रकार पर फोन टेपिंग का आरोप, वकील ने थाने में दी तहरीर

बुलंदशहर में डीएम संग जबरन सेल्फी प्रकरण में जागरण की 10 दिन की इम्पोर्टिड पत्रकारिता पर खतरे के बादल मँडरा रहे है। एक वकील ने बुलंदशहर के अनूपशहर थाने में जागरण के ब्यूरो चीफ सुमनलाल कर्ण और उनके संपादकों के खिलाफ साइबर क्राइम के तहत केस दर्ज किये जाने की तहरीर दी है। वकील का आरोप है कि ब्यूरो चीफ सुमनलाल ने बिना बताये डीएम का फोन टेप किया और उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थवश करके उनकी निजता का हनन किया है।

दैनिक जागरण के मालिकानों ने दिखाया अखिलेश सरकार को ठेंगा

नई दिल्ली/ नोएडा। हुआ वही जिसका अंदाजा था। तानाशाह दैनिक जागरण के मालिकानों ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी अखिलेश यादव सरकार को ठेंगा दिखा दिया। अखिलेश सरकार ने गत 25 जनवरी को प्रदेश के मीडियाकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन सेवा का शुभारम्भ किया था। खुद मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सेवा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश के तमाम मीडियाकर्मियों को इस बात का विश्वास दिलाया था कि हेल्पलाइन निश्चित रूप से मीडियाकर्मियों के मसलों को सुलझाएगी और उन्हें इन्साफ दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

दैनिक जागरण की कुत्सित मानसिकता पर बुलंदशहर के सफाईकर्मियों का प्रहार, आफिस को कचरे से पाटा (देखें वीडियो)

बुलंदशहर में डीएम संग जबरन सेल्फी खिचाने वाले आरोपी की वकालत करने वाले दैनिक जागरण को अब समाज के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 5 दिनों से महिला विरोधी मानसिकता से की जा रही पत्रकारिता पर जिले के सफाईकर्मियों ने प्रहार कर दिया है। महिला सम्मान की इज्जत उतारने वाले दैनिक जागरण का आफिस कूड़े से पाट दिया गया है और सफाईकर्मियों ने ऐलान किया है कि अगर अपनी बदतमीजियां जागरण ने बंद नही की तो पूरे शहर का कचरा जागरण के आफिस पर डाला जायेगा।

मानवाधिकारों का हनन कर रहा दैनिक जागरण, अहंकार त्यागने को तैयार नहीं मालिकान

नई दिल्ली/ नोएडा। मानवाधिकारों का हनन और कर्मचारियों का शोषण करने में नंबर एक संस्थान है दैनिक जागरण। ये अखबार खुद को विश्व में सबसे अधिक पढ़े जाने का दावा करता है। लेकिन इसे इस मुकाम तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों का शोषण करने में इसने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। आप अखबार उठाकर देखिये पूरा अखबार सदाचार, संस्कार और नैतिकता के बारे में भाषणों से भरा हुआ मिलेगा।

जागरण कर्मचारियों से सीखो हक़ के लिए लड़ना

नई दिल्ली : मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर दिल्ली-एनसीआर और देश के अन्य राज्यों में विभिन्न प्रिंट मीडिया समूहों में कार्यरत कर्मचारियों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है। देश भर के मीडियाकर्मियों की नजर माननीय अदालत में होने वाली अगली सुनवाई पर है। लेकिन अत्याचारी अखबार मालिकानों से भिड़कर आंदोलन को इस मुकाम तक पहुँचाने वाले दैनिक जागरण के कर्मचारियों की हिम्मत की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है।

आंदोलन के चार माह पूरे, जागरण कर्मचारियों के हौसले बुलंद

नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के आंदोलन को चार माह का समय पूरा हो चुका है। इस दौरान कर्मचारियों ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर से लेकर इंडिया गेट और नोएडा तक अपनी आवाज़ बुलंद की। लेकिन सबका साथ- सबका विकास की बात करने वालों तक उनकी आवाज़ नहीं पहुंची। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि ऐसे लोगों के लिए शायद मेहनतकशों का दर्द कोई मायने नहीं रखता और दूसरा यह कि कर्मचारी जिन दैनिक जागरण के मालिकानों के खिलाफ लड़ रहे हैं उनसे उनकी काफी निकटता है।

संजय गुप्ता यानि स्वतंत्रता का दुश्मन

Shrikant Singh : देश के इस दुश्‍मन को अच्‍छी तरह पहचान लें… दोस्‍तो, देश के दुश्‍मनों से लड़ने से कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण उन्‍हें पहचानना है। सीमापार के दुश्‍मनों से कहीं अधिक खतरनाक दुश्‍मन देश के अंदर हैं। आप उन्‍हें पहचान गए तो समझिए हमारी जीत पक्‍की। हम आपका ध्‍यान देश के एक ऐसे दुश्‍मन की ओर दिलाना चाहते हैं, जो पुलिस, प्रशासन, देश की न्‍यायपालिका और यहां तक कि देश की व्‍यवस्‍था तक को प्रभावित कर अपनी मुनाफाखोरी के जरिये इस देश को लूट रहा है। आप पहचान गए होंगे। हम दैनिक जागरण प्रबंधन की बात कर रहे हैं। आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस। इस दिन एक वाकया याद आ रहा है।

दैनिक जागरण मुरादाबाद में संपादक का आतंक

दैनिक जागरण मुरादाबाद में इस समय आतंक का माहौल है। बताया जाता है कि इस समय संपादकीय के सारे साथी संपादक के रवैये से परेशान हैं। इसी वजह से एक के बाद एक आदमी यहां से कम होता जा रहा है। जब से संपादक धर्मेंद्र किशोर त्रिपाठी यहां कार्यभार ग्रहण किए हैं तब से आधा दर्जन से अधिक लोग अखबार छोडकर जा चुके हैं। सबसे पहले यहां से सब एडिटर लवलेश पांडे संपादक की गाली गलौज से त्रस्त होकर अखबार छोडे। उसके बाद मणिकांत शर्मा ने हिंदुस्तान ज्वाइन कर लिया। इसके बाद डेस्क से सीनीयर साथी रमेश मिश्रा संपादक के रवैये से त्रस्त होकर अखबार छोड गए। इसके बाद अभिषेक आनंद ने अखबार छोडकर हिंदुस्तान हल्द्वानी ज्वाइन कर लिया।

दैनिक जागरण, रांची के आफिस में दो कर्मी आपस में भिड़े, हुई मारपीट

दैनिक जागरण रांची कार्यालय में इस समय अव्यवस्था चरम पर है। यहां मौखिक नियम बनाए जाते हैं और चेहरा देखकर काम कराया जा रहा है। कुछ खास लोगों के लिए खास नियम हैं। इस कारण आए दिन गाली गलौज की घटनाएँ होती रहती हैं। गुरुवार की रात करीब दस बजे इनपुट विभाग के आशीष झा और पेज आपरेटर मनोज ठाकुर के बीच पेज बनाने को लेकर पहले विवाद और फिर जमकर मारपीट हुई।

दैनिक जागरण नोएडा मीडियाकर्मी आंदोलन : जिला प्रशासन मध्यस्थता को आगे आया

नोएडा। दैनिक जागरण अख़बार में तीन महीने से चल रहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलने के लिए जागरण संस्थान द्वारा उठाये जा रहे श्रम विरोधी कदमों को गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने भी गंभीरता से लिया है। प्रशासन ने उप श्रमायुक्त के यहाँ चल रही वार्ता को अब अपनी निगरानी में ले लिया है। सिटी मजिस्ट्रेट श्री बच्चू सिंह अब खुद प्रबंधन और जागरण कर्मचारियों के बीच होने वाली वार्ता को संभालेंगे। एडीएम श्री के पी सिंह और पुलिस के अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहेंगे।

शर्मनाक : गायकी के उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन को दैनिक जागरण ने पाकिस्तानी फ़नकार बताया!

शर्म से डूब मरने की बात है। हिंदी के सबसे बड़े अख़बार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण ने जयपुर की माटी में खिलकर, गायकी के उस्ताद बने अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन को पाकिस्तानी फ़नकार बताया है। यह हाल है पराड़कर जी के शहर वाराणसी की पत्रकारिता का। नाक़ाबिले माफ़ी यह है ग़लती, क्योंकि सवाल किसी वर्तनीदोष या छपाई का नहीं है..इन उस्ताद भाइयों के परिचय में कुछ जोड़ा गया है यानी संपादनकला का परिचय दिया गया है…!

दैनिक जागरण चंदौली में गलत खबर छपने पर संपादक को नोटिस जारी

वर्ष 2012 के अक्टूबर व नवम्बर माह में दैनिक जागरण के चंदौली संस्करण में मुगलसराय से प्रकाशित हुये दो भ्रामक समाचारों की शिकायत को संज्ञान में लेने के बाद भारतीय प्रेस परिषद ने वादी व जागरण के वाराणसी के सम्पादक को सुनवाई के लिये नोटिस जारी किया है। सुनवाई वर्ष 2016 के 5 जनवरी को सुनिश्चित है। विदित हो कि वर्ष 2012 के अक्टूबर माह के 19 तारीख को जागरण के पृष्ठ संख्या 02 पर ”बिजली कटौती के विरोध में क्रमिक अनशन” नामक शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ था जो पूरी तरह गलत था। वादी राजीव कुमार ने स्पष्ट किया था कि दिनांक 17 अक्टूबर को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल किया जायेगा और किया भी गया था। इसका समाचार लगभग सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से 18 अक्टूबर के अंक में प्रकाशित किया था, जागरण को छोड़कर। उसी समाचार को दैनिक जागरण ने 19 अक्टूबर को क्रमिक अनशन के रूप में दिखाया।

जागरण वालों ने अमिताभ ठाकुर की खबर में अमिताभ बच्चन को अवतरित कर दिया

दैनिक जागरण के हल्द्वानी संस्करण में कुछ विद्वान लोगों ने आईपीएस अमिताभ ठाकुर की खबर में अमिताभ बच्चन की फोटो लगाकर अपने हुनर का परिचय दिया है. देखें संबंधित खबर की कटिंग>   इसे भी पढ़ें> गंगा में फूल माला प्रवाहित करने वाले मोदी जुर्माना भरें और माफी मांगें

दीवाली के बाद आंदोलन तेज करेंगे जागरण कर्मचारी

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने पूरी एकजुटता के साथ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है। नोएडा के सेक्टर 62 स्थित पार्क में हुई बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि मजीठिया वेज बोर्ड के लिए चल रहे आंदोलन को और धार दी जायेगी। बैठक में लुधियाना, हिसार, जालंधर और धर्मशाला से आये कर्मचारियों ने भी कहा कि वे जागरण प्रबंधन के अत्याचार ले आगे कतई सिर नहीं झुकाएँगे।

दैनिक जागरण में अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल के एक माह हुए पूरे, कर्मचारियों ने कहा- डटे रहेंगे

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफरिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों की हड़ताल को एक महीना पूरा हो गया है। पिछले डेढ़ वर्ष से अपने हक़ और इंसाफ के लिए आंदोलित कर्मचारी बेहद अनुशासित ढंग से पूरे महीने दिल्ली और नोएडा में प्रदर्शन करते रहे लेकिन जागरण प्रबंधन उनके आंदोलन को कुचलने में अपनी सारी ताकत खर्च करता रहा।

कंजूस-मक्खीचूस और संविधान-कानून विरोधी मालिकों के खिलाफ दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने नोएडा के फिल्म सिटी में किया जोरदार प्रदर्शन

नई दिल्ली। दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे 350 से अधिक कर्मचारियों को निलंबित किये जाने के विरोध में सोमवार को नोएडा स्थित फिल्म सिटी में जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी भी की। कर्मचारियों ने कहा कि वे जागरण प्रबंधन की गुंडागर्दी का मुंहतोड़ जवाब देंगे। कर्मचारियों को नारेबाजी करते देख सभी मीडिया संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी बाहर निकल आये और उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जागरण कर्मचारियों की हौसला अफजाई की।

प्रबंधन के हथकंडों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दैनिक जागरणकर्मी हुए तैयार, देखें बैठक की फोटो

नई दिल्ली। दैनिक जागरण की गुंडागर्दी का कर्मचारी मुंहतोड़ जवाब देंगे। शनिवार को दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने बैठक कर मजीठिया के लिए चल रहे आंदोलन की रणनीति के बारे में चर्चा की। बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि मजीठिया की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को और धार दी जाएगी। कर्मचारियों ने कहा कि प्रबंधन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप कुमार सिंह जी के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठे आरोप लगाकर नीच हरकत कर रहा है।

सनातन धर्मी मानसिकता वाला दैनिक जागरण संकिसा बौद्ध स्तूप को टीला लिखता है ताकि बौद्ध अनुयायी अपमानित हो सकें

: संकिसा बौद्ध महोत्सव की झूठी खबर छापने से बौद्ध अनुयायियों में रोष : फर्रूखाबाद। विश्व प्रसिद्ध संकिसा बौद्ध पर्यटक स्थल पर आयोजित विशाल महोत्सव के बारे में दैनिक जागरण द्वारा झूठी खबर छापे जाने से बौद्ध अनुयायियों में रोष व्याप्त हो गया है। कानपुर से प्रकाशित दैनिक जागरण के फर्रूखाबाद संस्करण के आज 23 अक्टूबर के समाचार पत्र के पेज नम्बर 2 पर (बयानबाजी से संकिसा में माहौल गर्माया शीर्षक) समाचार प्रकाशित किया गया है। खबर धम्मा लोको बुद्ध बिहार के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य के हवाले से प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य एस अश्वघोष 26 अक्टूबर को अशोक स्तम्भ का अनावरण करेंगे।

मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार… पढ़िए एक युवा ने क्यों कर लिया सुसाइड

Vinod Sirohi : जरूर शेयर करें —मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार — आप पर कोई बंदिश नहीं है आप इस मैसेज को बिना पढ़े डिलीट कर सकते हैं। अगर आप पढ़ना चाहें तो पूरा पढ़ें और पढ़ने के बाद 5 लोगों को जरूर भेजें।

मेरा नाम राहुल है। मैं हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना का रहने वाला हूँ। आप भी मेरी तरह इंसान हैं लेकिन आप में और मुझमें फर्क ये है कि आप जिन्दा हैं और मैंने 19 अगस्त, 2015 को रेल के नीचे कटकर आत्महत्या कर ली।

दैनिक जागरण कर्मियों ने अपने मालिक और संपादक संजय गुप्ता के आवास के बाहर प्रदर्शन कर अपना हक मांगा

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने बुधवार को अखबार के मालिक संजय गुप्ता के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने महारानी बाग से लेकर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी तक जुलूस निकाला और संजय गुप्ता के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

बदतमीज और क्रूर जागरण प्रबंधन के खिलाफ जाने-माने वकील परमानंद पांडेय ने पीएम मोदी को पत्र भेजा

Shri Narendra Modi
Hon’ble Prime Minister of India
New Delhi

Sub.: Exploitation, victimization and harassment of the Dainik Jagran employees

Hon’ble Pradhan Mantri ji,

We write to you with pain and anguish over the exploitation and victimization of newspaper employees by their proprietors that has crossed all limits. The saddest part of it is that the Governments- Central as well as the States- have become the mute spectators to this sordid state-of-affairs.

दैनिक जागरण के क्रूर उत्पीड़न के शिकार होकर अधनंगे हो चुके इन सैकड़ो मीडियाकर्मियों को आपके समर्थन की जरूरत है

Yashwant Singh : अदभुत वक्त है ये. अदभुत सरकार है ये. ताकतवर लोगों, कट्टर लोगों, पूंजीवादी लोगों, बाहुबली लोगों का राज चल रहा है. सरकार जनता के मसलों पर चुप है. महंगाई पर चुप है, उत्पीड़न पर चुप है, शोषण पर चुप है. बस केवल जो अनर्गल मुद्दे हैं, उनको हवा दी जा रही है, अनर्गल मुद्दों के आधार पर जनता का बंटवारा किया जा रहा है. मोदी से मीडिया वालों को बहुत उम्मीदें थीं. आखिर कांग्रसी अराजकता का दौर जो खत्म हुआ था. लेकिन मोदी ने मीडिया वालों को यूं निराश किया और अराजकता की ऐसी कहानी लिखनी शुरू की है कि सब सकते में है.

दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में बाउंसर लगा दिए गए!

Fourth Pillar : अब इनकी इज्‍जत होगी बाउंसरों के हवाले… इज्‍जत बहुत बड़ी बात होती है। आम आदमी कमाता है इज्‍जत के लिए। कहा जाता है कि आम आदमी की इज्‍जत लाख रुपये की होती है। अखबार मालिकों की तो करोड़ों में आंकी जाएगी। लेकिन दैनिक जागरण प्रबंधन ने पैसे के लिए अपनी इज्‍जत को दांव पर लगा दिया है। अखबार की प्रोफाइल और छवि दोनों खराब हो गई है, फिर भी संजय गुप्‍ता साहब मस्‍त हैं। उन्‍हें शायद यह नहीं पता है कि वह उसी छवि की रोटी खा रहे हैं। कहावत तो वही चरितार्थ हो रही है कि चमड़ी भले ही चली जाए पर दमड़ी न जाए। दमड़ी से आशय मजीठिया वेतनमान से है।

जागरण कर्मियों का आंदोलन जारी, दूसरे दिन भी बैनर-पोस्टर के साथ बैठे धरने पर (देखें तस्वीर)

दैनिक जागरण धर्मशाला यूनिट के आंदोलनकारी जागरणकर्मियों ने दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रखा. मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी देने, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्गत आदेशों को मानने, कर्मचारियों को बहाल करने संबंधी कई मांगों को लेकर दैनिक जागरण धर्मशाला के मीडियाकर्मी इन दिनों हड़ताल पर चल रहे हैं. यह हड़ताल नोएडा से लेकर हिसार, पानीपत, जम्मू, जालंधर, धर्मशाला आदि जगहों पर है. प्रबंधन जैसे तैसे अखबार छाप पा रहा है.

धर्मशाला जिला मुख्यालय में दैनिक जागरण के खिलाफ निकला जुलूस, लगे नारे (देखें तस्वीरें)

धर्मशाला, 15 अक्तूबर। मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतनमान व एरियर की मांग करने पर दैनिक जागरण से सस्पेंड किए गए धर्मशाला यूनिट के कर्मियों ने आज जिला मुख्यालय में रैली निकाल कर दैनिक जागरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जगरण प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने पर सस्पेंड किए गए 18 कर्मियों ने पहले दैनिक जागरण की पठानकोट-मनाली एनएच किनारे शाहपुर के बनोई में स्थित प्रेस के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू किया था। वीरवार को वे जिला मुख्यालय में पहुंचे और यहां दैनिक जागरण के मालिक संजय गुप्ता और प्रबंधन के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां लेकर जमकर नारेबाजी की।

जागरण प्रबंधन ने धर्मशाला यूनिट के 12 मीडियाकर्मियों को किया सस्पेंड

धर्मशाला। दैनिक जागरण ने अपने हक की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों के दमन की नीति पर चलते हुए बनोई स्थित धर्मशाला यूनिट के 12 कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। इन कर्मियों ने उत्तर भारत की बाकी यूनिटों  साथियों के साथ शुक्रवार को काम का बहिष्कार किया था।

दैनिक जागरण नोएडा में दूसरे दिन भी हड़ताल जारी

Pandey Parmanand : Today (03.10.2015) was the second day of the strike of Dainik Jagran employees of NOIDA and they came out in large number at Jantar Mantar to sit on dharna. I marvel at the enthusiasm of the employees who in spite of all threat and intimidation of the Management defied the dictate and struck the work.

अभी भी कुछ कुत्‍ते चाट रहे हैं जागरण मैनेजमेंट के तलवे, सुनिए विष्णु त्रिपाठी के श्रीमुख से

Fourth Pillar : मजीठिया वेतनमान के समर्थन और दैनिक जागरण प्रबंधन के अत्‍याचारों के विरोध में नई दिल्‍ली स्थित जंतर-मंतर से दैनिक जागरण कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन, कैंडल मार्च और हड़ताल का बिुगल तो बजा दिया, लेकिन अभी भी कुछ कुत्‍ते जागरण मैनेजमेंट के तलवे चाट रहे हैं। शायद यही वजह है कि कुछ यूनिटों में दैनिक जागरण छप पाना संभव हो पाया। धर्मशाला, लुधियाना और हिसार यूनिटें पूरी तरह से ठप रहीं। एक ओर तमाम कर्मचारी अपनी नौकरी दांव पर लगाकर आंदोलन में कूद पड़े हैं और मजीठिया वेज बोर्ड इम्लिमिंटेशन संघर्ष समिति, केयूडब्‍ल्‍यूजे, आईएफडब्‍ल्‍यूजे, डीयूजे सहित कई मजदूर संगठन आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ कुत्‍ते टाइप के पत्रकार दैनिक जागरण प्रबंधन के तलवे चाटने में लगे हैं।

IFWJ condemns the atrocities of DJ Management and supports the workers’ strike (देखें दैनिक जागरण कर्मियों के आंदोलन की तस्वीरें)

Thousands of journalists and non-journalists of various newspapers today staged adharna at Jantar Mantar in support of the struggling employees of Dainik Jagran against the atrocities of its Management. The Jagran Management, known for its anti labour trade practices, has unleashed the reign of terror and victimisation of the employees. This newspaper’s Management has firstly obtained signatures of employees by force and fraud on different dates to deny them Majithia Award is now suspending, transferring and terminating the employees so that they do not unionize and raise their voice for their genuine demands.  The shameless Jagran Management has summarily terminated the services of 16 employees of NOIDA without following the due process of law but strangely, the UP government’s Labour department is sitting silent. So much so, the Management is using the state police to oppress the agitation of the employees.

दैनिक जागरण के सैकड़ों मीडियाकर्मी जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे, कई यूनिटों में हड़ताल (देखें वीडियोज)

Yashwant Singh : जंतर मंतर से लौट कर आ रहा हूं. दैनिक जागरण के साथी वहां धरने पर हैं. मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने की मांग को लेकर ये साथी लंबे समय से आंदोलनरत हैं. आज बड़ी संख्या में दैनिक जागरण कर्मियों को जंतर मंतर पर धरने पर बैठे देखकर दिल को बहुत ठंढक पहुंची. काश ऐसे ही हर मीडिया हाउस के लोग एकजुट होते. वहां पहुंचते ही तत्काल फोटो खींचना वीडियो बनाना शुरू किया. वीडियो बनाने के दौरान ही मंच संचालक साथी ने मुझे भाषण देने के लिए बुला लिया. खैर, वहां गया और तीन मिनट तक बोला. उनका उत्साहवर्द्धन किया. यह सब वीडियो अपन के पास है. बाद में जब लौटने लगा तो देखा कि बीएड टीईटी वाले इतनी बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर बैठे हैं लेकिन कहीं कोई मीडिया कवरेज नहीं. मुझसे रहा नहीं गया. मोबाइल को वीडियो मोड में किया और इन्हें रिकार्ड करने लगा.

दैनिक जागरण ने निकाली वैकेंसी, पुराने कर्मचारियों को हटाने की तैयारी!

Fourth Pillar : शोषण के मामले में देश में अग्रणी दैनिक जागरण ने नई भर्ती के लिए बाकायदा डबल कालम में बड़ा सा विज्ञापन निकाला है। उसका सीधा सा मतलब है कि दैनिक जागरण पुराने कर्मचारियों की एकता से पूरी तरह भयभीत हो गया है और नई भर्ती करके पुराने कर्मचारियों से छुट्टी पाने की कवायद में लग गया है। हालांकि यह कवायद अवैध है। एक ओर कंपनी अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान नहीं दे रही है तो दूसरी ओर उसे नए कर्मचारियों की जरूरत आन पड़ी है। खैर। इसका जवाब तो कंपनी को सुप्रीम कोर्ट में देना होगा कि क्‍यों वह शीर्ष अदालत को गुमराह कर रही है।

दैनिक जागरण वाले चोर ही नहीं, बहुत बड़े झुट्ठे भी हैं… देखिए इनका ये थूक कर चाटना

दैनिक जागरण के मालिक किसिम किसिम की चोरियां करते हैं. कभी कर्मचारियों का पैसा मार लेते हैं तो कभी कानूनन जो देय होता है, उसे न देकर फर्जी लिखवा लेते हैं कि सब कुछ ठीक ठाक नियमानुसार दिया लिया जा रहा है. ऐसे भांति भांति के फर्जीवाड़ों और चोरियों का मास्टर दैनिक जागरण समूह अब तो बहुत बड़ा झुट्ठा भी घोषित हो गया है. यही नहीं, जब इसका झूठ पकड़ा गया तो इसे थूक कर चाटने को मजबूर किया गया और इसे ऐसा करना भी पड़ा.

दैनिक जागरण कर्मचारी आर-पार लड़ाई को तैयार

प्रबंधकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ दैनिक जागरण की कर्मचारी यूनियनें एकजुट हो चुकी हैं। इस बार कर्मचारी आर-पार की लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। प्रबंधन भी कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने के लिए कई दमनकारी कदम उठा रहा है। मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन की मांग करने पर दैनिक जागरण प्रबंधन ने कभी जागरण परिवार कहे जाने वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है।

दैनिक जागरण नोएडा के 18 मीडियाकर्मी टर्मिनेट, प्रबंधन ने बाउंसर बुलाया, पुलिस फोर्स तैनात

दैनिक जागरण नोएडा की हालत बेहद खराब है. यहां मीडियाकर्मियों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है और कानून, पुलिस, प्रशासन, श्रम विभाग, श्रम कानून जैसी चीजें धन्नासेठों के कदमों में नतमस्तक हैं. बिना किसी वजह 18 लोगों को टर्मिनेट कर उनका टर्मिनेशन लेटर गेट पर रख दिया गया. साथ ही प्रबंधन ने बाउंसर बुलाकर गेट पर तैनात करा दिया है. भारी पुलिस फोर्स भी गेट पर तैनात है ताकि मीडियाकर्मियों के अंदर घुसने के प्रयास को विफल किया जा सके. टर्मिनेट किए गए लोग कई विभागों के हैं. संपादकीय, पीटीएस से लेकर मशीन, प्रोडक्शन, मार्केटिंग आदि विभागों के लोग टर्मिनेट किए हुए लोगों में शामिल हैं.

दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक, कार्मिक प्रबंधक और मार्केटिंग मैनेजर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज

मीडिया संस्थानों में गजब का खेल है। भले ही लोगों को बाहर से कुछ दिखता हो, लेकिन इसकी हालत आम कारोबार की तरह है। मुनाफा की होड़ में हर तरह के हथकंडे अख्तियार किए जा रहे हैं। देश का नम्बर वन अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण अखबार में भी तरह—तरह के खेल हैं। मामला कार्यस्थल पर सम्मान का है। फिलहाल इस अखबार में सीनियर मार्केटिंग एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत पीड़ित महिला कर्मचारी ने गौतमबुद्ध नगर थाना में दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक नीतेन्द्र श्रीवास्तव, कार्मिक प्रबंधक देवानंद कुमार उर्फ मुन्ना और नोएडा के मार्केटिंग मैनेजर नकुल त्यागी पर भारतीय दंड विधान की धारा 354ए और 504बी के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा कांड संख्या 643/15 के अन्तर्गत दर्ज किया गया है।

दैनिक जागरण नोएडा में यूनियन ने सीजीएम को बता दी औकात, महिला कर्मियों को करना पड़ा बहाल

इसे कहते हैं यूनियन की ताकत. दैनिक जागरण नोएडा के चीफ जनरल मैनेजर नीतेंद्र श्रीवास्तव ने मार्केटिंग से दो महिला कर्मियों को निकाल बाहर किया तो ये महिला कर्मी दैनिक जागरण की नई बनी यूनियन तक पहुंच गईं और अपनी आपबीती सुनाई. यूनियन ने सीधे सीजीएम नीतेंद्र श्रीवास्तव की केबिन पर धावा बोला और नीतेंद्र को घेर कर दोनों कर्मियों को बहाल करने का आदेश जारी करने के लिए मजबूर कर दिया. नीतेंद्र को लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाने के बाद भांति भांति के विशेषणों से नवाजा. बस केवल मारा नहीं. उधर, नीतेंद्र भी कहां बाज आने वाला था. बहाली के अगले रोज दोनों कर्मी जब काम पर आईं तो इन्हें साइन यानि कार्ड पंचिंग करने से रोक दिया गया और इन्हें कैंपस में इंटर नहीं करने दिया गया. इसके बाद यूनियन की पहल पर दोनों कर्मियों ने नोएडा पुलिस स्टेशन और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत करने की तैयारी कर ली है.

राष्ट्रव्यापी शोक के वक्त निर्लज्ज दैनिक जागरण और अमर उजाला ने डॉ.कलाम को बेच खाया

पैसे की भूख से तड़प रहे देश के नामी मीडिया घराने बेखौफ, कैसी-कैसी शर्मनाक हरकतें करने पर आमादा हैं। इन बेशर्मों ने तो पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की लोकप्रिय निष्ठा को भी ऐसे मौके पर बेच दिया, जिस वक्त उनके निधन पर पूरा राष्ट्र गहरे शोक में डूबा हुआ था। ऐसी अक्षम्य निर्लज्जता का प्रदर्शन किया कानपुर में दैनिक जागरण और अमर उजाला ने। 

जागरण के बरेली संस्करण को बसपा विधायक और उनके ब्लाक प्रमुख भाई ने खरीद लिया है?

दैनिक जागरण में जो न हो जाए वो कम है। दैनिक जागरण ने आजकल सभी संस्करण में आपदा प्रबंधन को लेकर मुहिम चला रखी है। बरेली में भी इस पर लिखा जा रहा है। सिविल डिफेंस के साथ ही कुछ छपास रोगी इसमें शामिल किए गए हैं जो जागरण की टीम के साथ रोज किसी स्कूल या फैक्ट्री में जाते हैं और फोटो के साथ कवरेज छापी जाती है। इस मुहिम की कमान संपादक के सबसे खास अंकित कुमार के हाथ में है।

टीवी पत्रकार ने जागरण और हिंदुस्तान को थमाया तीन करोड़ की मानहानि का नोटिस

 आगरा के मून टीवी चैनल के पत्रकार शशिकांत गुप्ता ने एक खबर से अपनी मानहानि होने पर दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान को तीन करोड़ रुपए अदा करने का नोटिस दिया है। शशिकांत गुप्ता के खिलाफ बीते अप्रैल माह में जागरण और हिन्दुस्तान ने एक खबर प्रकाशित की थी। एक खबर, जो 24 अप्रैल को छपी थी, उसमें एक शराबी युवक द्वारा बिजली घर पर तोड़फोड़ का उल्लेख किया गया था। अगले दिन 25 अप्रैल को फिर खबर छपी कि बिजली घर पर तोड़फोड़ करने वाला युवक शशिकांत गुप्ता है, जिसके विरुद्ध थाने में मुकदमा लिखाया गया है।

दैनिक जागरण नोएडा के प्रबंधकों ने गायब कराया डेढ़ लाख रुपये का सामान!

मजीठिया मंच : दैनिक जागरण में चमचागीरी का आसान सा तरीका है मजीठिया वेतनमान का विरोध करो। इसी तरीके को अपना कर कई चमचे प्रबंधन के खास बन गए हैं और दैनिक जागरण को दोनों हाथों से लूट रहे हैं। प्रबंधन उन्‍हें ऐसा करने के लिए मौन सहमति दे रहा है। ताजा मामले की बात करें, तो हाल ही में प्रसार व्‍यवस्‍थापक कप्‍तान ने अखबार वेंडरों को बांटने के लिए डेढ़ लाख रुपये का सामान एक वाहन में लोड करके सोनीपत भेज दिया।

फेडरेशन के बैनर तले एकजुट हों यूनियनें, जय श्रमिक, जय बांस !!

कहा था न कि आप बांस नहीं करोगे तो आपको बांस कर दिया जाएगा। एक कहावत है-फटने लगी तो हर कोई बोला, हाजमोला हाजमोला। हम बात कर रहे हैं यूनियनों के जरिये अखबार प्रबंधन पर दबाव बनाने की। यह एक शुभ संकेत है कि कर्मचारियों की एकता रंग लाई और हाल ही में तीन-तीन यूनियनें चल पड़ी हैं। एक यूपी न्‍यूजपेपर कर्मचारी यूनियन, दूसरी जागरण प्रकाशन लिमिटेड कर्मचारी यूनियन 2015 और तीसरी सहारा कर्मचारियों की यूनियन। लेकिन आपने देखा कि किस प्रकार शांत माहौल होने पर भी सहारा के मुख्‍य द्वार पर भारी पुलिस बल जमा हो गया। कहीं यह कर्मचारियों को भयभीत करने का कुचक्र तो नहीं था।

दैनिक जागरण में जिस भी नेता का आधा पेज इंटरव्यू छपा, उसकी सरकार चली गई

यह महज एक दुर्योग है या कुछ और। पर बात तथ्‍य पर आधारित है। दैनिक जागरण में जब भी किसी मुख्‍यमंत्री का इंटरव्‍यू आधे पेज से अधिक स्‍थान में छपा, उसकी सरकार चली गई। इसी प्रकार का एक और दुर्योग प्रचलित है कि जो भी मुख्‍यमंत्री नोएडा आया, उसकी सरकार चली गई। आखिर ऐसा क्‍यों होता आया है, बात समझ से परे है। फिर भी मैं सोचता हूं कि जो काम जनहित से परे स्‍वार्थ के लिए किया जाता है, उसमें ये दुर्योग जरूर आते हैं।

जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान ने महेंद्र मोहन और संजय गुप्ता के खिलाफ समन नहीं छापा

मुरादाबाद  : दूसरों के बारे में बड़ी बड़ी हांकने वाले प्रमुख मीडिया घराने अपनी करतूतें छापने से कैसे कतराने लगते हैं, इसकी ताजा मिसाल है मुरादाबाद के इंस्पेक्टर विजेंद्र सिंह राना का मामला। कोर्ट में दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्ता और प्रधान संपादक संजय गुप्ता के खिलाफ एक गलत खबर प्रकाशित करने का मामला चल रहा है। गत दिनो जब राना के वकील उस केस का समन प्रकाशित कराने जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान और आज अखबारों के दफ्तर पहुंचे तो चारो ने उसे प्रकाशित करने से साफ मना कर दिया। अंत में सिर्फ दैनिक केसरी ने समन को प्रकाशित किया।   

मुझे दैनिक जागरण के प्रबंधकों के खिलाफ दर्ज करानी है एफआईआर : श्रीकांत सिंह

दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में 7 फरवरी 2015 की रात में हुई हड़ताल के बाद तबादले वापस लिए जाने के आदेश पर मुझे जम्‍मू से वापस बुलाया गया था, लेकिन जब मैं नोएडा कार्यालय पहुंचा तो मुझ पर संस्‍थान के गार्डों से हमला करा दिया गया और मुझसे 36 हजार रुपये छीन लिए गए। 100 नंबर पर फोन कर मैंने पुलिस बुला ली, लेकिन दैनिक जागरण का बोर्ड देखकर पुलिस बैरंग लौट गई। उसके बाद मैं पुलिस चौकी, फेस तीन थाना, सीओ टू आफिस और वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के चक्‍कर लगाता रहा, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दैनिक जागरण बहुत बड़ा बैनर है। उसके किसी भी प्रबंधक के खिलाफ हम एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते, भले ही उन्‍होंने कितना भी बड़ा अपराध क्‍यों न किया हो। तो यह है नोएडा जैसे प्‍लेटिनम शहर की सुरक्षा व्‍यवस्‍था।

हिंदुस्‍तान नोएडा को छोड़ प्रभात और मनोज पहुंचे दैनिक जागरण

हिंदुस्‍तान प्रबंधन की भेदभाव पूर्ण नीतियों और दमनकारी माहौल से खफा होकर दो कर्मियों ने जागरण का दामन थाम लिया है। दैनिक हिंदस्‍तान नोएडा में कार्यरत प्रभात उपाध्‍याय एजुकेशन बीट देखते थे। प्रभात ने स्‍थानीय संपादक के बेहूदापूर्ण व्‍यवहार से नाराज होकर पिछले दिनों दैनिक जागरण का दामन थाम लिया। 

नहीं सम्‍पादक जी, नहीं, ऐसा मत कीजिए

वैसे भी आपकी विश्‍वसनीयता पिछले कई बरसों से बुरी तरह खतरे में हैं, इसके बावजूद अगर आपने अपना रवैया नहीं सुधारा तो अनर्थ ही हो जाएगा। अब देख लीजिए ना, कि आपके संस्‍थान में क्‍या-क्‍या चल रहा है। राजधानी से प्रकाशित अखबारों पर एक नजर डालते ही हर पाठक को साफ पता चल जाता है कि मामला क्‍या है और खेल किस पायदान पर है। 

पत्रकारिता को ताक पर रखने वाले ‘नंबर वन’ अखबार का दहन

तस्वीरों में जो प्रतियां फूंकी जा रही हैं ये देश के एक बड़े अखबार की हैं। उस अखबार की, जो नैतिकता के मापदंडों पर खुद को सबसे खरा और श्रेष्ठ होने की बात करता है, लेकिन प्रतियां फूंकने की वजह अखबार में बढ़ती रिश्वतखोरी और उगाही की प्रवृत्ति है। 

दैनिक जागरण, मुरादाबाद में उथल-पुथल, कई लोग हुए इधर से उधर

दैनिक जागरण, मुरादाबाद में उठापटक मची हुई है. कई लोगों को इधर से उधर कर दिया गया है. कुछ रिपोर्टर संपादक के रवैये से खफा होकर दूसरे अखबरों में नौकरी तलाश रहे हैं. चीफ रिपोटर के पद पर कार्यरत संजय रस्‍तोगी को हटाकर संभल का प्रभारी बना दिया गया है. संभल काफी समय से खाली चल रहा था. उनकी जगह चीफ सब ज्ञानेंद्र और सीनियर सब एडिटर अभिषेक आनंद को तात्‍कालिक तौर पर यह जिम्‍मेदारी दी गई है. 

यौन शोषण के आरोपी प्रशांत मिश्र को गिरफ्तार करो, गृहमंत्री से गुहार, पत्रकारों ने काले झंडे दिखाए

(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते दैनिक जागरण के मालिकान के साथ सबसे दाएं प्रशांत मिश्र एवं यूनियन का मांग पत्र)


दैनिक जागरण के राजनैतिक संपादक प्रशांत मिश्र पर यौन शोषण के आरोप का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कहीं पर उनकी गिरफ्तारी और मामले की निष्‍पक्ष न्‍यायिक जांच की मांग की जा रही है तो कहीं पर उन्‍हें काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। पटना से खबर मिली है कि प्रशांत मिश्र दैनिक जागरण कार्यालय भवन के उद्घाटन अवसर पर पटना पहुंचे तो उन पर लगे आरोपों से पत्रकारों में इतना रोष रहा कि वहां उन्‍हें काले झंडे दिखाए गए और उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई।

Dainik Jagran Remains Top Publication With 16.6M Readership, ToI Tops English Dailies: IRS

The Indian Readership Survey 2014 is out and it shows that even in the age of Internet and mobile, the readership of physical dailies and magazines is still on the rise. Although, Internet as a news consumption medium is showing rapid growth, the physical paper still remains a popular with Indians. The Indian Readership Survey is the largest and most widely accepted platform to understand how Indian readers consume their news and through which channels. Let us look at some of the key findings of the report.

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)

Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.

पत्रकार ने जीएम / एडिटर को पत्र लिखा- आपकी एक छोटी-सी हरकत औद्योगिक अशांति पैदा कर सकती है, जो संस्थान पर बहुत भारी पड़ेगी

श्री अभि‍मन्यु शर्मा जी,

महाप्रबंधक / संपादक

दैनिक जागरण, जम्मू।

महोदय,

मुझे आज फोन पर सूचना मिली है कि मेरे 50 हजार रुपये के लोन के संदर्भ में आप गारंटी लेने वाले मेरे सहयोगियों को प्रताडि़त कर रहे हैं। आपने उनसे यह झूठ भी बोला है कि लोन के संदर्भ में मुझे नोटिस जारी हो चुका है, जबकि उस संदर्भ में मुझे कोई नोटिस नहीं मिला है। इस संदर्भ में आपका ध्यान निम्न बातो पर दिलाना चाहता हूं।

(पत्र लेखक पत्रकार श्रीकांत सिंह की फाइल फोटो)

दस-दस हजार रुपये लेकर अमर उजाला और दैनिक जागरण के रिपोर्टरों ने छपवाई झूठी खबर!

एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!

प्रदीप श्रीवास्तव और विनोद शील का विरोध करने के कारण मैं निशीकांत ठाकुर का चहेता बन गया

: दैनिक जागरण के चिंटू, मिंटू और चिंदीचोर : अवधी की एक कहावत है-केका कही छोटी जनी, केका कही बड़ी जनी। घरा लै गईं दूनौ जनी। अर्थात किसे छोटी बहू कहूं और किसे बड़ी बहू कहूं। घर तो दोनों बहुओं ने बर्बाद किया है। यह बात दैनिक जागरण पर सटीक बैठती है। 1995 की बात है, जब टीवी चैनलों की धूम मची थी। अखबार इस बात से डर गए थे कि कहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया उन्हें निगल न जाए। ऐसे समय में मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से काम छोड़ कर दैनिक जागरण में नौकरी के लिए आ गया था।

पत्रकार श्रीकांत सिंह ने जागरण वालों पर यूं मारी पिचकारी, देखें वीडियो

दैनिक जागरण नोएडा से जुड़े हुए वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत सिंह काफी समय से बगावती मूड में हैं. इन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से अपना एरियर व सेलरी पाने के लिए मुहिम छेड़ रखी है. साथ ही दर्जनों कर्मचारियों को इस मुहिम से जोड़ रखा है. पिछले दिनों नाराज प्रबंधन ने श्रीकांत का तबादला जम्मू कर दिया. बाद में वे नोएडा बुलाए गए लेकिन उन्हें आफिस में नहीं घुसने दिया गया. साथ ही जागरण के गार्डों ने उनसे मारपीट व छिनैती की. इस पूरे मामले को लेकर वे लेबर आफिस गए लेकिन उनका आरोप है कि अफसर ने सेटिंग करके रिपोर्ट जागरण के पक्ष में दे दी है.

दैनिक जागरण के महाप्रबंधक समेत चार के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा

पटना से एक बड़ी खबर आ रही है. दैनिक जागरण के महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी समेत चार लोगों के खिलाफ पटना कोतवाली में यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया गया है. ये मुकदमा दैनिक जागरण में कार्यरत एक महिला पत्रकार ने दर्ज कराया है. 24 फरवरी को दर्ज मुकदमें में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी की धाराएं 341, 354, 506, 509, 504, 34 लगाई गई हैं.

विष्णु त्रिपाठी का खेल, दैनिक जागरण की बन गई रेल

दैनिक जागरण में संपादक पद की शोभा बढ़ाने वाला स्वनामधन्य विष्णु त्रिपाठी किस प्रकार गेम करके अखबार को क्षति पहुंचा रहा है उसकी एक बानगी हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। मजीठिया मामले में मालिकों से बुरी तरह लताड़े जाने के बाद अब मालिकों के बीच अपनी छवि चमकाने के लिए विष्णु त्रिपाठी रोज नई नई चालें चल रहे हैं।पिछले दिनों रेल बजट और आम बजट के दौरान सेंट्रल डेस्‍क को नीचा दिखाने और अपनी वाहवाही करवाने की अपने गुर्गों के सहारे चली चालें उल्‍टी पड़ गई लगती हैं। प्‍लान ये था कि बजट और रेल बजट से सेंट्रल डेस्‍क को अलग कर यह दिखाया जाए कि इन महत्‍वपूर्ण अवसरों पर सेंट्रल डेस्‍क की भूमिका न के बराबर है। और इस तरह सेंट्रल डेस्‍क पर अपने चपाटियों के हवाले करने की साजिश कुछ इस तरह रची गई।

जागरण के पत्रकार ने नोएडा के उप श्रमायुक्त की श्रम सचिव और श्रमायुक्त से की लिखित शिकायत

मजीठिया मामले में अपने को पूरी तरह से घ‍िरा पाकर दैनिक जागरण प्रबंधन इतना बौखला गया है कि अब वह हमला कराने, घूसखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने पर उतर आया है। इस बात के संकेत उस जांच रिपोर्ट से मिल रहे हैं, जिसके लिए जागरण के पत्रकार श्रीकांत सिंह ने उप श्रम आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था। जांच के लिए पिछले 21 फरवरी 2015 को श्रम प्रवर्तन अध‍िकारी राधे श्याम सिंह भेजे गए थे। यह अफसर इतना घूसखोर निकला कि उसने पूरी जांच रिपोर्ट ही फर्जी तथ्यों के आधार पर बना दी। उसने जांच रिपोर्ट में बतौर गवाह जिन लोगों के नाम शामिल किए हैं, उनमें से कोई भी घटना के मौके पर मौजूद नहीं था।

मजीठिया संघर्ष : जागरण प्रबंधन ने तबादला किया तो श्रीकांत ने मैनेजमेंट को भेजा नोटिस

दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय से जम्मू स्थानांतरित मुख्य उपसंपादक श्रीकांत सिंह ने जागरण प्रबंधन को दिया नोटिस. कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत ने श्रम प्रवर्तन अध‍िकारी राधे श्याम सिंह को दिए थे भ्रामक, गुमराह करने वाले और अपूर्ण बयान. जागरण प्रबंधन की दुर्भावनापूर्ण नीतियों के कारण श्रीकांत सिंह को ड्यूटी करने में पहुंचाई जा रही है बाधा. प्रबंधन की हठधर्मिता के विरोध में श्रीकांत सिंह लेंगे अदालत की शरण. पढ़ें, नोटिस में क्या लिखा गया है… 

भारतीय टीवी न्यूज इंडस्ट्री में बड़ा और नया प्रयोग करने जा रहे हैं दीपक शर्मा समेत दस बड़े पत्रकार

(आजतक न्यूज चैनल को अलविदा कहने के बाद एक नए प्रयोग में जुटे हैं दीपक शर्मा)


भारतीय मीडिया ओवरआल पूंजी की रखैल है, इसीलिए इसे अब कारपोरेट और करप्ट मीडिया कहते हैं. जन सरोकार और सत्ता पर अंकुश के नाम संचालित होने वाली मीडिया असलियत में जन विरोधी और सत्ता के दलाल के रूप में पतित हो जाती है. यही कारण है कि रजत शर्मा हों या अरुण पुरी, अवीक सरकार हों या सुभाष चंद्रा, संजय गुप्ता हों या रमेश चंद्र अग्रवाल, टीओआई वाले जैन बंधु हों या एचटी वाली शोभना भरतिया, ये सब या इनके पिता-दादा देखते ही देखते खाकपति से खरबपति बन गए हैं, क्योंकि इन लोगों ने और इनके पुरखों ने मीडिया को मनी मेकिंग मीडियम में तब्दील कर दिया है. इन लोगों ने अंबानी और अडानी से डील कर लिया. इन लोगों ने सत्ता के सुप्रीम खलनायकों को बचाते हुए उन्हें संरक्षित करना शुरू कर दिया.

दैनिक जागरण पटना के संपादक सदगुरु शरण पर महिला ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप

एक बड़ी खबर पटना से आ रही है. दैनिक जागरण के संपादक सदगुरु शरण पर एक तलाकशुदा महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. महिला ने कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखित तहरीर दी है. महिला का आरोप है कि अवस्थी ने अपने चेंबर में उसके साथ गलत हरकत की. महिला किसी तरह अपनी आबरू बचाकर भागी.

मीडियाकर्मियों को अपनी कमर कसकर रहना होगा, मालिकान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय करीब आ रहा है…

Abhishek Srivastava : रात साढ़े दस बजे जब मैं शनि बाज़ार में सब्‍ज़ी खरीद रहा था, कि अचानक मोबाइल पर Yashwant Singh का नाम चमका। हलो बोलने के बाद बिना किसी औपचारिकता के उधर से आवाज़ आई, ”जागरण में हड़ताल हो गई है। दो सौ लोग सड़क पर हैं। पहुंचिए।” मैंने Sandeep Rauzi को फोन मिलाया, तो वे दफ्तर में थे। वे बोले कि घर पहुंचकर और बाइक लेकर मेरे यहां कुछ देर में पहुंच रहे हैं। फिर मैंने Pankaj भाई को एसएमएस किया। संयोग देखिए कि आंदोलन के बीचोबीच हम सभी मौके पर घंटे भर बाद मौजूद थे। पंकज भाई के साथ वरिष्‍ठ पत्रकार प्रशांत टंडन भी आंदोलनरत कर्मचारियों को समर्थन देने रात एक बजे पहुंचे। तीन चैनलों के पत्रकारों के वहां कैमरा टीम के साथ पहुंचने से आंदोलन को और बल मिला।

(दैनिक जागरण के महाप्रबंधक का घेराव और कर्मचारियों के साथ सड़क पर समझौते की वार्ता.)

संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर

बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.

लिखित आश्‍वासन के बाद काम पर लौटे हड़ताली जागरणकर्मी

(दैनिक जागरण, नोएडा के कर्मियों द्वारा हड़ताल की जानकारी मिलने पर जनपक्षधर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव कैमरे समेत मौके पर पहुंचे और फोटोग्राफी में जुट गए)


अरसे से अपने पत्रकारों, कर्मचारियों को अपना दास समझने वाले दैनिक जागरण समूह के मालिकों पहली बार सामूहिक शक्ति के सामने झुकना पड़ा है. दैनिक जागरण के मीडिया कर्मचारी इस मीडिया हाउस के समूह संपादक व सीर्इओ संजय गुप्‍ता के लिखित आश्‍वासन के बाद ही हड़ताल समाप्‍त करने को राजी हुए और काम पर वापस लौटे. मैनेजर टाइप लोगों के लालीपाप थमाकर हड़ताल खत्म कराने के तमाम प्रयास फेल होने के बाद संजय गुप्‍ता को मजबूरी में लिखित आश्‍वासन देकर मामला सुलझाना पड़ा. बताया जा रहा है कि दिल्‍ली चुनाव के चलते गुप्‍ता एंड कंपनी ने तात्‍कालिक तौर पर यह रास्‍ता अपनाया है और किसी को परेशान न करने का लिखित वादा किया है.  

दैनिक जागरण, नोएडा के हड़ताल की आंच हिसार तक पहुंची

दैनिक जागरण, नोएडा में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. प्रबंधन की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का सालों से दबा गुस्‍सा अब छलक कर बाहर आ गया है. मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर एक संपादकीय कर्मचारी का तबादला किए जाने के बाद सारे विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए हैं. मौके पर प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए हैं, लेकिन कर्मचारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को बुला लिया है, लेकिन प्रबंधन के शह पर सही गलत करने वाली नोएडा पुलिस की हिम्‍मत भी कर्मचारियों से उलझने की नहीं हो रही है. 

दैनिक जागरण, नोएडा में हड़ताल, सैकड़ों मीडियाकर्मी काम बंद कर आफिस से बाहर निकले

मीडिया जगत की एक बहुत बड़ी खबर भड़ास के पास आई है. दैनिक जागरण नोएडा के करीब तीन सौ कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है और आफिस से बाहर आ गए हैं. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिए जाने और सेलरी को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक हड़ताल की शुरुआत मशीन यानि प्रिंटिंग विभाग से जुड़े लोगों ने की और धीरे-धीरे इसमें सारे विभागों के लोग शामिल होते गए. सिर्फ संपादक विष्णु त्रिपाठी और इनके शिष्यों को छोड़कर बाकी सारे लोग हड़ताल के हिस्से बन गए हैं.

एडिटोरियल के शांतिभूषण ने मार्केटिंग के बिभूति के मुंह पर पेपर दे मारा!

दैनिक जागरण सोनीपत से खबर है कि मार्केटिंग डिपार्टमेंट के सीनियर एग्जीक्यूटिव बिभूति मोहन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि एडिटोरियल के शांतिभूषण ने उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की है. सूत्रों ने बताया कि ठाकुर ने प्रबंधन को इस बारे में शिकायती पत्र भेजा है. पत्र में एडिटोरियल के इंचार्ज शांतिभूषण पर आरोप लगाया गया है कि जब बिभूति मोहन ठाकुर ने शांतिभूषण से जब कहा  कि वे एक आर्टिकल को देख लें ताकि उसमें कोई गलती न रहे. इसके बाद शांतिभूषण ने उस पेपर को फाड़कर बिभूति के मुंह पर मारा और माँ बहन की गालियां दी. जान से मारने की धमकी देने का आभी आरोप है.

पाठकों से खुलेआम चीटिंग : सीबीएसई का नाम लेकर एक निजी इंस्टीट्यूट की वेबसाइट को प्रमोट कर रहा है दैनिक जागरण

आदरणीय यशवंत जी, एक ओर दैनिक जागरण खुद को देश का नंबर एक अखबार होने का दावा करता है दूसरी ओर जागरण के संपादक व कार्यकारी अधिकारी समाचार पत्र को उतनी गंभीरता से नही लेते। इसकी बानगी 20 जनवरी 2015 के जागरण के बागपत संस्करण में देखने को मिली। हालाकि दी गई खबर मेरठ के एक पत्रकार ने लिखी है तो जाहिर है कि खबर मेरठ यूनिट के अन्य संस्करणों में भी गई होगी।

मजीठिया के हिसाब से पैसा मिलते ही रजनीश रोहिल्ला ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली (देखें कोर्ट आर्डर)

आरोप लगा सकते हैं कि रजनीश रोहिल्ला ने सबकी लड़ाई नहीं लड़ी, अपने तक सीमित रहे और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से दैनिक भास्कर से पैसे मिलते ही सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली. ज्यादा अच्छा होता अगर रजनीश रोहिल्ला सबकी लड़ाई लड़ते और सारे पत्रकारों को मजीठिया के हिसाब से पैसा दिला देते. लेकिन हम कायर रीढ़विहीन लोग अपेक्षाएं बहुत करते हैं. खुद कुछ न करना पड़े. दूसरा लड़ाई लड़ दे, दूसरा नौकरी दिला दे, दूसरा संघर्ष कर दे, दूसरा तनख्वाह दिला दे. खुद कुछ न करना पड़े. न लड़ना पड़े. न संघर्ष करना पड़े. न मेहनत करनी पड़े.

जागरण के वकील ने कोर्ट से कहा- 708 कर्मचारियों ने मजीठिया मसले पर प्रबंधन से समझौता कर लिया है

जब पीपी राव हुए निरुत्तर…  मजीठिया वेज बोर्ड पर सुनवाई… नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट । कोर्ट नंबर 9 । आइटम नंबर 42 । जैसे ही दैनिक जागरण प्रबंधन के खिलाफ यह मामला सुनवाई के लिए सामने आया न्याययमूर्ति रंजन गोगोई ने दैनिक जागरण प्रबंधन के वकील से सीधे पूछ लिया कि क्या आपने अपने यहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू किया। इस पर दैनिक जागरण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्री पीपी राव पहली बार तो कुछ नहीं बोले लेकिन जब न्याययमूर्ति गोगोई ने दोबारा यही सवाल किया तो श्री राव ने कहा कि उन्हें अदालत का नोटिस नहीं मिला है।

दैनिक जागरण के मालिकों ने नरेंद्र मोदी से की मुलाकात, जागरणकर्मियों का चेहरा हुआ उदास

खबर है कि दैनिक जागरण के मालिकों की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें पीएम राहत कोष के लिए चार करोड़ रुपये का चेक सौंपा. साथ ही सबने प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवाई. दैनिक जागरण के CMD महेंद मोहन गुप्त, प्रधान संपादक और CEO संजय गुप्त समेत कई गुप्ताज और इनके वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत मिश्र तस्वीर में दिख रहे हैं, मुस्कराते. पर निराशा जागरण कर्मियों के चेहरे पर छा गई है.

सिर्फ 5000 रुपये में काम कर रहे हैं दैनिक जागरण, लखीमपुर के रिपोर्टर

दैनिक जागरण लखीमपुर ब्‍यूरो आफिस में इन दिनों संवाददाताओं / रिपोर्टरों का जमकर शोषण हो रहा है… बेहद कम पैसे में ये लोग काम करने पर मजबूर हैं.. प्रबंधन की तरफ से वेतनमान बढाने का झांसा काफी समय से दिया जा रहा है… बार वादा हर बार वादा ही साबित हो रहा है… बेरोजगारी के कारण रिपोर्टर चुपचाप मुंह बंद कर काम कर रहे हैं.. कोई आवाज नहीं उठाता क्योंकि इससे उन्हें जो कुछ मिल रहा है, वह भी मिलना बंद हो जाएगा…

श्रवण गर्ग और नई दुनिया संबंधी मेरी अपील पर एक साथी इतनी तीखी प्रतिक्रिया देंगे, यह कल्पना न की थी : अवधेश कुमार

: यह पत्रकारिता के व्यापक हित के लिए लिखा गया : मेरी एक सार्थक और सकारात्मक अपील पर, जिसकी आम पत्रकारों ने और स्वयं जागरण एवं नई दुनिया के पत्रकारों ने स्वागत किया, हमारे एक साथी के अंदर इतनी तीखी प्रतिक्रिया पैदा हो जाएगी (जो भड़ास पर प्रकाशित है), यह मेरे कल्पना से परे था। लेकिन उनको अपनी प्रतिक्रिया देने की आजादी है। जीवंत समाज में इस तरह बहस होनी भी चाहिए।  पर यहां निजी स्तर की कोई बात न थीं, न है। यह पत्रकारिता के व्यापक हित को ध्यान में रखकर लिखा गया है। इसमें तो सभी खासकर हिन्दी और भाषायी पत्रकारों को प्रसन्न होना चाहिए था।

अवधेश कुमार जी, खुद के घर जब शीशे के हों तो दूसरों पर पत्थर नहीं मारते

अवधेश कुमार जी आजकल एक दुविधा में पड़े हैं। प्रतिष्ठत अखबार दैनिक जागरण से संबद्ध नई दुनिया को लेकर। उनकी परेशानी यह है कि जागरण में छपे संपादकीय लेख नई दुनिया में भी छापे जा रहे हैं। पर इसमें कोई गलती इसलिए नहीं कही जा सकती है क्योंकि दोनों ग्रुप एक ही हैं। इसलिए आपस में खबरों आलेखों का आदान प्रदान कर सकते हैं। जैसे आजतक न्यूज चैनल अपने रीजनल चैनल दिल्ली आजतक पर कई बार वही स्टोरी चलाता है जो पहले आजतक पर चल चुकी होती हैं।

जागरण प्रबंधन से अपील, श्रवण गर्ग के बाद नई दुनिया के संपदाकीय पृष्ठ को भी मुक्ति दिलाये

Awadhesh Kumar : आजकल मैं यह देखकर आश्चर्य में पड़ रहा हूं कि आखिर नई दुनिया में जागरण के छपे लेख क्यों छप रहे हैं। जागरण इस समय देश का सबसे बड़ा अखबार है। उसका अपना राष्ट्रीय संस्करण भी है। जागरण प्रबंधन ने नई दुनिया को जबसे अपने हाथों में लिया उसका भी एक राष्ट्रीय संस्करण निकाला जो रणनीति की दृष्टि से अच्छा निर्णय था। पर उस अखबार को जागरण से अलग दिखना चाहिए।

दैनिक जागरण, हिसार के वरिष्ठ समाचार संपादक विनोद शील ने पीसी ज्वैलर्स के लकी ड्रॉ में कार जीती!

: पत्रकार को इनाम देकर कहीं उसका ईमान तो नहीं खरीदा जा रहा! : ये दीवाली का इनाम है या हरियाणा विधानसभा चुनाव का? यह सवाल है। इस सवाल का उठना भी लाजिमी है क्योंकि यह इनाम किसी आम आदमी को नहीं, किसी खास को मिला है। खास इसलिए कि पुरस्कार पाने वाले दैनिक जागरण, हिसार में बतौर वरिष्ठ समाचार संपादक कार्यरत हैं। नाम है विनोद शील। नोएडा से लेकर कानपुर तक में दैनिक जागरण की सेवा करते-करते हिसार आ गए हैं। इन्हीं के बारे में अभी-अभी खबर मिली है कि विनोद शील यानि दैनिक जागरण, हिसार के वरिष्ठ समाचार संपादक ने पीसी ज्वैलर्स के लकी ड्रॉ में कार जीती है।

Dainik Jagran is guilty of the contempt of the Apex Court

The Supreme Court of India has taken cognizance of the contempt petition filed by the Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) on behalf of the employees against Shri Sanjay Gupta, the CEO of Jagran Prakashan Limited. The bench of Justices Ranjan Gogoi and Rohinton Fali Nariman directed the Management of Jagran Prakashan Limited on 13th October to comply with the order of the court for the implementations of the Majithia Wage Boards recommendations within two month, if the same has already not been done. 

‘दैनिक जागरण मुर्दाबाद’ क्यों है!

उपर जो तस्वीर है, उसे अयोध्या में रहने वाले Yugal Kishore Saran Shastri ने अपने फेसबुक वॉल पर ‘दैनिक जागरण मुर्दाबाद’ लिखते हुए प्रकाशित किया है. सिर्फ तस्वीर और ‘दैनिक जागरण मुर्दाबाद’ लिखे होने से पूरा माजरा समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ये लोग दैनिक जागरण से इतना गुस्सा क्यों हैं. प्रकरण को समझने के लिए मैंने इस तस्वीर को अपने वॉल पर शेयर किया और लिखा कि ….

दैनिक जागरण कानपुर में यौन शोषण प्रकरण : पीड़िता बीना शुक्ला ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करा दिया बयान, सभी आरोपियों का नाम लिया

दैनिक जागरण, कानपुर में जिस महिला बीना शुक्ला का यौन शोषण किया गया, उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करा दिया है. उसने इस मामले के सभी आरोपियों का नाम लिया और इन पर आरोपों को दुहराया. इस कवायद से पुलिस द्वारा कई आरोपियों को बचाने और मामले की लीपापोती करने के अभियान पर ठंढा पानी पड़ गया है. माना जा रहा है कि अगर सब कुछ निष्पक्ष तरीके से हुआ और मामले की सुनवाई बिना दबाव के की गई तो सारे आरोपी जेल में होंगे.

जागरण के पत्रकार राकेश श्रीवास्‍तव को धमकी देने वाला गिरफ्तार

शाहजहांपुर : दैनिक जागरण के पत्रकार राकेश श्रीवास्तव को परिवार समेत खत्म करने की धमकी देने वाले आरोपी को पुलिस ने शुक्रवार की रात गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के पास से धमकी देने में प्रयुक्‍त सैमसंग मोबाइल व सिम बरामद किया है। 72 घंटे में गुनहगार को ढूंढ निकालने वाले पुलिस दल के लिए डीआईजी आरकेएस राठौर ने 10 हजार रुपये इनाम की घोषणा की है।

जागरण, शाहजहांपुर के रिपोर्टर नरेंद्र पर जानलेवा हमला, राकेश को धमकी

शाहजहांपुर। ऑफिस बंद कर घर जाने की तैयारी कर रहे दैनिक जागरण संवाददाता नरेंद्र यादव पर बुधवार रात जानलेवा हमला किया गया। एक बदमाश ने हंसिया से उनका गला काट दिया और बाइक सवार साथी के साथ भाग निकला। घायल संवाददाता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। श्री यादव की हालत अब खतरे से बाहर है।

हिंदी की औकात : टाइम्स आफ इंडिया और दैनिक जागरण के बीच के अंतर को जान लीजिए

Muni Shankar : मेरी हिन्दी सामान्य रुप से अच्छी है। अवधी और भोजपुरी भी ठीक-ठाक बोल लेता हूँ लेकिन ये रोजगार परक नहीं है। विश्व का सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार (संख्या की दृष्टि से) दैनिक जागरण है। लेकिन उसकी आय केवल दिल्ली एनसीआर में बिकने वाले टाइम्स आँफ इण्डिया के आय (लाभ) से कम है। इसी से दोनों अखबारों में कार्ररत पत्रकारों की हैसियत का अन्दाजा लगाया जा सकता है।

दैनिक जागरण मैनेजमेंट इस घटिया और अपमानजनक रिपोर्ट को अपने पोर्टल से तुरंत हटाए

Mohammad Anas : दैनिक जागरण के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कुंठित वेब टीम की खोज. इस अखबार के पोर्टल पर उन अभिनेत्रियों की तस्वीर दिखाई जा रही है जो शादी से पहले प्रेग्नेंट हो गईं. हिट्स और लगातार हाइप में बने रहने के लिए पोर्टल्स में जिस तेजी से गिरावट आ रही है वह चिंताजनक है. न्यूज़ चैनल्स और अखबार की दुनिया में पोर्टल्स एक क्रांतिकारी पहल है जो खबरों को सुलभ और सहजता से हम तक पहुंचाता है लेकिन इसकी आड़ में ‘सॉफ्ट पोर्न’ परोसने वाले लोग निजता और सम्मान के प्रति न तो जवाबदेह हैं और न ही गंभीर.

दैनिक जागरण के रिपोर्टर ने सूखी नदी में ला दिया बाढ़

Arun Sathi : बेशर्म पत्रकार की शर्मनाक खबर … सूखी नदी में ला दिया बाढ़…. नालंदा में बांध टूटा, दो जिलों से संपर्क भंग हेडिंग की खबर को रविवार को दैनिक जागरण, नालंदा अखबार के मुख्य पृष्ठ पर देख कर मैं चौंक गया। मैं शनिवार को इसी गांव में खबर के लिए गया हुआ था जहाँ ग्रामीण सड़क के बाढ़ में बह जाने के बाद किसी अधिकारी के देखने नहीं आने की शिकायत कर रहे थे. यहाँ की नदियाँ सूखी हुई थीं और गाँव वालों ने अपने मेहनत से रोड को बना कर आवागमन चालू किया था।

वाह रे दैनिक जागरण का रिपोर्टर… इन महोदय को रोस्टिंग और शेड्यूल में फर्क ही नहीं पता

खुद को देश का सर्वाधिक प्रसारित दैनिक समाचार पत्र कहने वाले दैनिक जागरण का कानपुर में ही हाल बेहाल है। यहां संपादक राघवेंद्र चड्ढा व लोकल चीफ प्रवीन शर्मा की जोड़ी संपादकीय का बंटाधार करने में लगी है। दोनों के अपने कुछ प्रिय रिपोर्टर हैं। जो चाहे जो कुछ लिखें, वही महत्व के साथ छपेगा। १० अगस्त के कानपुर महानगर संस्करण के पेज ७ में प्रकाशित बाटम स्टोरी को पढ़ कर पाठकों से अपना सिर थाम लिया।

इतनी बड़ी खबर को क्यों पी गया दैनिक जागरण? इतनी बड़ी खबर को क्यों अंडरप्ले किया अमर उजाला और हिंदुस्तान ने?

: क्या बिका हुआ है भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ? : चंदौली (यूपी) :11 अक्टूबर, 2001 को ऋचा सिंह नाम की एक वर्षीय बच्ची को बुख़ार की वजह से अलीनगर, मुग़लसराय के जे.जे. नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. यहाँ इलाज़ शुरू हुआ. बच्ची के पैर में ड्रिप लगाकर दवा चढ़ाई गई. कुछ ही देर में पैर में सूजन हो गया. तब डॉक्टर ने अपनी गलती को भांप बच्ची को बी.एच.यू. भेज दिया. बी.एच.यू. के डॉक्टरों ने परिवार वालों को बताया कि गलत दवा ड्रिप के माध्यम से चढ़ा दी गयी है. बच्ची की ज़िन्दगी बचाने के लिए पैर काटना ही एक मात्र विकल्प है. इसके बाद पिता बच्ची को ले कर इस उम्मीद के साथ मुंबई चले गए की शायद बच्ची का पैर बचाया जा सके.

जागरण वालों के दुर्व्यवहार के कारण पत्रकार सौरभ शर्मा की हालत गंभीर, दिल्ली रेफर

दैनिक जागरण, मेरठ में कार्यरत पत्रकार सौरभ शर्मा के साथ दैनिक जागरण वालों ने दुर्व्यवहार करते हुए जिस तरह इस्तीफा देने को मजबूर किया, उसके कारण सौरभ डिप्रेशन में चले गए और उनकी हालत गंभीर होती चली गई. मेरठ के डाक्टरों ने जवाब दे दिया और दिल्ली ले जाने को कहा. उन्हें दिल्ली के किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दरअसल सौरभ को लीवर से जुड़ी कुछ समस्याएं थी. जांडिस हो जाने के कारण वे लगातार अवकाश पर चल रहे थे. इसी बीच किसी ने उनके साथ शरारत की और उनके फेसबुक पेज पर उन्हें दैनिक जागरण का प्रधान संपादक लिख दिया.