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राजस्थान

जोधपुर में कई साहित्यकारों और पत्रकारों को किया गया सम्मानित

: राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह-2015 : सामंतवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का – न्यायाधीश माथुर : जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने कहा है कि सामन्तवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का है। आज का साहित्य लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ रहा और साहित्य में युवा रचनाकारों की भागीदारी बहुत कम होती जा रही है, यह चिंता की बात है। दूसरी तरफ अच्छा लेखन भी हो रहा है, लेकिन साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं और उत्कृष्ट सृजन का प्रचार-प्रसार अभी भी आम पाठक से दूर है। ऐसे में साहित्य के प्रति सचेतन रहना समाज की जिम्मेदारी है। न्यायाधीश माथुर शनिवार को कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।

<p>: <strong>राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह-2015 : सामंतवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का - न्यायाधीश माथुर</strong> : जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने कहा है कि सामन्तवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का है। आज का साहित्य लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ रहा और साहित्य में युवा रचनाकारों की भागीदारी बहुत कम होती जा रही है, यह चिंता की बात है। दूसरी तरफ अच्छा लेखन भी हो रहा है, लेकिन साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं और उत्कृष्ट सृजन का प्रचार-प्रसार अभी भी आम पाठक से दूर है। ऐसे में साहित्य के प्रति सचेतन रहना समाज की जिम्मेदारी है। न्यायाधीश माथुर शनिवार को कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।</p>

: राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह-2015 : सामंतवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का – न्यायाधीश माथुर : जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने कहा है कि सामन्तवादी और जातिवादी संस्कारों के खिलाफ चेतना जगाने का मूलभूत दायित्व साहित्यकारों का है। आज का साहित्य लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ रहा और साहित्य में युवा रचनाकारों की भागीदारी बहुत कम होती जा रही है, यह चिंता की बात है। दूसरी तरफ अच्छा लेखन भी हो रहा है, लेकिन साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं और उत्कृष्ट सृजन का प्रचार-प्रसार अभी भी आम पाठक से दूर है। ऐसे में साहित्य के प्रति सचेतन रहना समाज की जिम्मेदारी है। न्यायाधीश माथुर शनिवार को कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामन्ती मानसिकता गहरे रूप में पैठी हुई है। वर्तमान में यह बदले हुए रूप में सामने आ रही है, जिससे यहां बड़ी संख्या में लड़कियां पीडि़त हैं, जो चिंताजनक है। ऐसे सामन्ती और जातिवादी आडम्बरों के विरूद्ध साहित्यकार को खड़ा होना पड़ेगा। उन्होंने कथा संस्थान के अलंकरणों के लिए चयनित सृजनशील साहित्यकारों, पत्रकारों और छायाकारों के साथ निष्पक्ष निर्णायक मण्डल की प्रशंसा की।

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प्रख्यात साहित्यकार नन्द भारद्वाज ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि नागरिकों और आम पाठकों में सांस्कृतिक मूल्य चेतना और लोकतांत्रिक दायित्व बोध जगाने का जज्बा पैदा करना लेखक का बुनियादी काम है। एक लेखक अपनी लेखनी से वातावरण का निर्माण करता है, जिससे जनतांत्रिक मूल्य विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि जिन बड़े व महान् रचनाकारों ने अपने लेखन से साहित्य जगत में राजस्थान की कीर्ति पताका पहराई, उनके नाम से सम्मान अलंकरण देना कथा संस्थान की एक स्वस्थ परम्परा है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। इसके साथ ही सम्मान अर्पण की इस प्रक्रिया में उन संस्थानों और संगठनों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, जो अच्छे रचनात्मक कार्यों के लिए साहित्यकारों को सम्मानित करते हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि यह साहित्यिक संस्थान और सम्मान प्रदान करने वाले घटक अपने सम्मानित लेखक के सुरक्षा और उनके सम्मान का कितना मान रख पाते हैं, जब उनकी अभिव्यक्ति के सामने गंभीर चुनौतियां उठ खड़ी होती है।

उन्होंने लेखकों पर हिंसा और उनके साथ निर्मम व्यवहार के समय साहित्य से जुड़े स्वायत्तशासी सरकारी प्रतिष्ठानों के मूक बने रहने पर चिंता दर्शाते हुए हिंसा और असहिष्णुता के वातावरण को नियंत्रित करने के प्रयास में आगे आने की जरूरत बताई। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात व्यंग्यकार एवं राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष फारूक आफरीदी ने कहा कि यह सम्मान ऐसे नहीं है, जिन्हें लौटाना पड़े, क्योंकि इनमें जिन रचनाकारों को समादृत किया जा रहा है वे समाज की चेतना के प्रति गहरे सरोकार रखने वाले हैं और अपने दायित्व के निर्वहन को भली भांति समझते हैं। यह उल्लेखनीय है कि यह सम्मान ऐसे पुरोधा लेखकों, पत्रकारों और छायाकारों के नाम पर दिये जा रहे हैं, जिनकी सामाजिक प्रतिबद्धता असंदिग्ध है। राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व महासचिव एवं जाने माने कवि प्रेमचन्द गांधी ने प्रदेश के उन स्मृतिशेष पुरोधा साहित्यकारों, पत्रकारों एवं छायाकार का परिचय दिया, जिनके नाम से यह अलंकरण प्रदान किए गए हैं।

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समारोह में इस वर्ष मुम्बई के हिन्दी कथाकार धीरेन्द्र अस्थाना को पंडित चन्द्रधर गुलेरी कथा सम्मान प्रदान किया गया, जो उनकी अनुपस्थिति में उनके भ्राता मुकेश अस्थाना ने ग्रहण किया, जबकि नाथद्वारा के हिन्दी कथाकार माधव नागदा को रघुनंदन त्रिवेदी कथा सम्मान, जयपुर के हिन्दी कवि सवाई सिंह शेखावत को नंद चतुर्वेदी कविता सम्मान से अलंकृत किया गया। समारोह में सांवर दइया कथा सम्मान से बीकानेर के राजस्थानी कथाकार मालचन्द तिवाड़ी, सत्यप्रकाश जोशी कविता सम्मान से परलीका हनुमानगढ के राजस्थानी कवि विनोद स्वामी, प्रकाश जैन ‘लहर’ साहित्यकार पत्रकारिता सम्मान से ‘कुरजां संदेश’ जयपुर के सम्पादक ईशमधु तलवार, गोवद्र्धन हेड़ाऊ पत्रकारिता सम्मान से पत्रकार मनोज वर्मा तथा सूरज एन शर्मा फोटो पत्रकारिता सम्मान से छायाकार रामजी व्यास को सम्मान स्वरूप श्रीफल, साहित्य, शॉल और सम्मान पत्र देकर अलंकृत किया गया।

इस अवसर पर वरिष्ठ छायाकार रविन्द्र कुमार नाथ को भी उनके रचनात्मक कार्यों एवं उल्लेखनीय योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। समारोह के स्वागत अध्यक्ष एवं अधिवक्ता सुखदेव व्यास ने कहा कि शब्द शक्ति ही मनुष्य को बड़ा बनाती है और तमाम वैज्ञानिक विकास कार्यों के पीछे भी साहित्य की कल्पनाशील दृष्टि छुपी हुई है। कथा के संस्थापक सचिव मीठेश निर्मोही ने सम्मानित होने वाले सभी लेखकों, पत्रकारों आदि के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं उनके सामाजिक सरोकारों को रेखांकित करते हुए उनका परिचय दिया। समारोह में साहित्य के क्षेत्र में 6 एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में 2 पत्रकारों को अलंकृत किया गया। कथा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. जहूर खान मेहर ने आभार ज्ञापित किया। संस्थान के निदेशक चैनसिंह परिहार, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण ,कथाकार हबीब कैफी, कवियित्री पद्मजा शर्मा और कथाकार हरिदास व्यास ने प्रशस्ति पत्रों का वाचन किया। समारोह में प्रमुख शायर शीन काफ निजाम, मुरलीधर वैष्णव, डॉ. सोहनदान चारण, डॉ. आईदानसिंह भाटी, पूर्व विधायक जुगल काबरा सहित शहर के अनेक गणमान्य लेखक, पत्रकार एवं रंगकर्मी उपस्थित थे।

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