पांच साल पूर्व जोधपुर भास्कर के एक पत्रकार राजेश त्रिवेदी को जोधपुर प्रेस क्लब का अध्यक्ष चुना गया था और पत्रिका के अचलसिंह मेडतिया महासचिव बने। अब मेडतिया पत्रिका छोड चुके हैं और विश्वविद्यालय के ईएमआरसी में कार्यरत हैं। इधर त्रिवेदी की कार्यकारिणी ने पांच साल कोई काम नहीं करवाया। यहां तक कि चुनाव के बाद शपथ तक नहीं ली गई। त्रिवेदी ने जोधपुर प्रेस क्लब के लेटरपेड पर जरूर 2009 नवंबर में हुए निगम चुनाव में भाजपा से अपनी पत्नी अमिता को पार्षद का टिकट मांगा था। उस आधार उन्हें टिकट भी मिला और चुनाव भी जीतीं।
इसके अलावा पांच साल प्रेस क्लब के भवन के लिए कभी प्रयास नहीं किए। यहां तक भी साधारण सभा की बैठक तक नहीं बुलाई गई जबकि क्लब का दो साल में चुनाव कराना होता है। पांच साल चुनाव नहीं कराने पर प्रेस क्लब के फांउडर सदस्यों सहित क्लब के बड़ी तादाद में सदस्यों ने एकत्रित होकर वर्तमान कार्यकारिणी को भंग करने और नए चुनाव कराने का फैसला लिया। इस बीच में विधिवत सहकारी समिति के रजिस्टार के माध्यम से त्रिवेदी को पत्र भेजकर चुनाव कराने को भी कहा गया। उसके बावजूद कोई जवाब नहीं आने पर साधारण सभा की बैठक में कार्यकारिणी भंग करने का निर्णय लिया गया। 25 जनवरी को चुनाव तय किए गए।
वैधानिक तरीके से नए सदस्य बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर त्रिवेदी, अचलसिंह सहित सभी कार्यकारिणी सदस्यों, पत्रिका, भास्कर, नवज्योति सहित सभी समाचारपत्रों और इलेक्टिोनिक मीडिया के साथियों ने नवीकरण व नए सदस्यों के रूप में फार्म भी भरे। इस दौरान नए सदस्यों की संख्या अधिक होने पर त्रिवेदी अपनी गणित बिगड़ती देखी तो उन्होने अपने गुट के सदस्यों को आगे कर चुनाव समिति पर यह दबाव बनाने का प्रयास किया कि पूर्व में हुए चुनाव के दौरान बने क्लब के 210 सदस्य ही मतदान कर सकेंगे। जबकि पूर्व में हुए चुनाव के दौरान बने नए सदस्यों ने मतदान ही नहीं किया बल्कि चुनाव भी लड़ा था।
इस बार जयपुर प्रेस क्लब की तर्ज पर साप्ताहिक व पाक्ष्कि समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया। प्रक्रिया के तहत करीब 600 सदस्य बन भी गए लेकिन उनमें से 150 से आपत्तियों मांगते हुए एक सूची भी चस्पा कर दी गई। इधर साप्ताहिक समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों को शामिल करने के एतराज के बहाने उन्होंने सदस्यों को भ्रमित करते हुए एक बैठक बुलाई। उसमें भास्कर के राजेश त्रिवेदी, कमल वैष्णव, भंवर जागिड ने सदस्यों को भ्रमित करते हुए नई कार्यकारिणी बनाने का दबाव डाला। उस बैठक में मौजदू भास्कर के विधि संवाददाता अशोक जोशी व पत्रिका के पूर्व विधि संवाददाता देवकीनंदन, अजय अस्थाना, लक्ष्मण मेातीवाल सहित कई सदस्यों ने इस प्रक्रिया को गैर कानूनी बताते हुए सभी सदस्यों की मौजूदगी में कोई निर्णय नहीं करने की बात भी कही लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया।
भास्कर के राजेश त्रिवेदी को अध्यक्ष, महासचिव ललित परिहार, नवज्योति के उपाध्यक्ष जितेंद्र खंडेलवाल बनाने का एलान किया जबकि पिछले चुनाव में खंडलेवाल को ब्लैकमेलर बताते हुए विरोध जताया गया था। बीते दिनों भास्कर में खंडेलवाल के खिलाफ एक खबर भी प्रकाशित की गई थी। इसके अलावा भास्कर के मनोज पुरोहित को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। दूसरे सभी अखबारों के सम्पादकों को सलाहकार मंडल में शामिल किया गया था। हालांकि पत्रिका से चंद लोग ही इस गुट में जुडे हुए है। इस वजह से फोटोग्राफर थापा को ही लिया गया है। इस तरह गैर कानूनी रूप से भास्कर के इन पत्रकारों ने अपने संपादक को अंधेरे में रखते हुए अपने समाचार पत्र का सहारा लेकर गैर कानूनी रूप से नई कार्यकारणी गठित कर ली है। गौरतलब है कि जयपुर में भी इस तरह कि गंदी राजनीति होने की वजह से भास्कर पत्रिका के लोगों को प्रेस क्लब के चुनाव में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन यहां जोधपुर में भास्कर के त्रिवदी गुट ने इतनी गंदगी व राजनीति फैला रखी है कि मैनेजमैंट का उस पर अंकुश तक नहीं है।
जोधपुर से पत्रकार मनीष ललवानी की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]
arvind vyas
March 4, 2015 at 5:38 pm
राजेश त्रिवेदी ने कभी अपनी पत्नी के लिए टिकट नहीँ माँगा चँद्रमोहन कल्ला ने काँग्रेस सरकार मेँ अपने बेटे को डिस्काम मेँ नोकरी लगा दी। काँग्रेस की दलाली करने के कारण कई बार दैनिक नवज्योति से निकाला गया । प्रेस क्लब का अध्यक्ष बनने पर भी दैनिक नवज्योति से निकाल दिया गया । चँद्रमोहन कल्ला की पत्नी के हाथ जोडने पर नवज्योति मेँ रखा गया।