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महाराष्ट्र

मीरा भाईंदर महानगरपालिका में पत्रकारों के घुसने पर प्रतिबंध लेकिन बिल्डर, कॉन्ट्रैक्टर व बिचौलियों को खुली छूट

मुंबई। एक महीने में केवल बहत्तर घंटे, आपको सुनकर अजीब लग सकता है लेकिन मुंबई से सटे मीरा भाईंदर के पत्रकारों और आम आदमी के लिए एक महीने का मतलब 72 घंटे ही होता है. जी मीरा भाईंदर महानगरपालिका ने एक ऐसा फरमान जारी कर रखा है जिसकी वजह से पालिका की इमारत में पत्रकार और आम जनता को प्रवेश को लेकर मनाही है. नियम के अनुसार पालिका इमारत में पत्रकार और आम जनता सिर्फ सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 तक ही प्रवेश कर सकती है जबकि बिल्डर, कॉन्ट्रैक्टर और अन्य बिचौलिए किस्म के लोग कभी भी आ जा सकते है.

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मुंबई। एक महीने में केवल बहत्तर घंटे, आपको सुनकर अजीब लग सकता है लेकिन मुंबई से सटे मीरा भाईंदर के पत्रकारों और आम आदमी के लिए एक महीने का मतलब 72 घंटे ही होता है. जी मीरा भाईंदर महानगरपालिका ने एक ऐसा फरमान जारी कर रखा है जिसकी वजह से पालिका की इमारत में पत्रकार और आम जनता को प्रवेश को लेकर मनाही है. नियम के अनुसार पालिका इमारत में पत्रकार और आम जनता सिर्फ सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 तक ही प्रवेश कर सकती है जबकि बिल्डर, कॉन्ट्रैक्टर और अन्य बिचौलिए किस्म के लोग कभी भी आ जा सकते है.

इस बात का सज्ञान लेते हुए नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स- महाराष्ट्र ने इस असंवैधानिक कदम के खिलाफ आवाज उठाने के फैसला किया और दिनांक 18.09.2014 को मीरा भाईंदर महानगरपालिका के आयुक्त सुभाष लाखे से मुलाकात की। यूनियन के प्रवक्ता अमित तिवारी ने बताया की न केवल पत्रकारों बल्कि प्रादेशिक और स्थानीय अखबारों को भी महानगर पालिका परिसर में प्रतिबंधित है और ये लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला है.

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यूनियन के अध्यक्ष उदय जोशी ने कहा की अगर इस असंवैधानिक और गैरकानूनी नियम को जल्द से जल्द नहीं बदला गया तो इसके खिलाफ लोकतान्त्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन करेंगे. इस सन्दर्भ में उदय जोशी ने आयुक्त को एक ज्ञापन भी सौपा। आयुक्त लाखे ने यूनियन को आशवस्त किया है की वे जल्द से जल्द इस मामले की जांच करेंगे और जरुरी कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा की वे इस बात का ध्यान रखेंगे के महानगरपालिका के किसी भी कृत्य से संवैधानिक अधिकारों और मूल्यों का हनन नहीं हो. आपको बता दे की प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष उदय जोशी के साथ उपाध्यक्ष जय सिंह, महासचिव शीतल कार्डेकर, ठाणे अध्यक्ष दीपक ठाणे सचिव अशोक निगम आदि थे.

भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।

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