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राजस्थान

वसुंधरा राज में मीडिया महारथी बनने को आतुर भू-माफिया

राजस्थान में भाजपा की सरकार पदासीन होते ही भू-कारोबारी और जमीन माफिया के लोग मीडिया महारथी बनने को आतुर नजर आ रहे हैं। जयपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों से जमीनों से जुड़े कारोबारियों का नए अखबारों के प्रकाषन और नये न्यूज चैनलों के साथ मीडिया क्षेत्र में पदार्पण होना इस बात का पर्याप्त सबूत है कि अपने काले कारनामों को छिपाने तथा प्रषासन पर अपनी धौंस जमाने के लिए ही वे ऐसा कर रहे हैं, न कि आमजन के बीच सरोकारी पत्रकारिता करना उनका कोई उद्देष्य है। भू-कारोबारियों के साथ ही वे षिक्षण संस्थान और निजी विष्वविद्यालय भी अखबार-चैनलों के साथ मीडिया जगत में प्रवेष कर चुके हैं, जिनके बारे में अक्सर कोई न कोई नेगेटिव स्टोरी अखबार और चैनलों में दिखाई दे रही थी, लेकिन अब वे भी पत्रकारिता का चोगा पहनकर ‘‘चोर-चोर मौसेरे भाई’’ की कहावत को सिद्ध करने में जुटे हैं।

<p>राजस्थान में भाजपा की सरकार पदासीन होते ही भू-कारोबारी और जमीन माफिया के लोग मीडिया महारथी बनने को आतुर नजर आ रहे हैं। जयपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों से जमीनों से जुड़े कारोबारियों का नए अखबारों के प्रकाषन और नये न्यूज चैनलों के साथ मीडिया क्षेत्र में पदार्पण होना इस बात का पर्याप्त सबूत है कि अपने काले कारनामों को छिपाने तथा प्रषासन पर अपनी धौंस जमाने के लिए ही वे ऐसा कर रहे हैं, न कि आमजन के बीच सरोकारी पत्रकारिता करना उनका कोई उद्देष्य है। भू-कारोबारियों के साथ ही वे षिक्षण संस्थान और निजी विष्वविद्यालय भी अखबार-चैनलों के साथ मीडिया जगत में प्रवेष कर चुके हैं, जिनके बारे में अक्सर कोई न कोई नेगेटिव स्टोरी अखबार और चैनलों में दिखाई दे रही थी, लेकिन अब वे भी पत्रकारिता का चोगा पहनकर ‘‘चोर-चोर मौसेरे भाई’’ की कहावत को सिद्ध करने में जुटे हैं।</p>

राजस्थान में भाजपा की सरकार पदासीन होते ही भू-कारोबारी और जमीन माफिया के लोग मीडिया महारथी बनने को आतुर नजर आ रहे हैं। जयपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों से जमीनों से जुड़े कारोबारियों का नए अखबारों के प्रकाषन और नये न्यूज चैनलों के साथ मीडिया क्षेत्र में पदार्पण होना इस बात का पर्याप्त सबूत है कि अपने काले कारनामों को छिपाने तथा प्रषासन पर अपनी धौंस जमाने के लिए ही वे ऐसा कर रहे हैं, न कि आमजन के बीच सरोकारी पत्रकारिता करना उनका कोई उद्देष्य है। भू-कारोबारियों के साथ ही वे षिक्षण संस्थान और निजी विष्वविद्यालय भी अखबार-चैनलों के साथ मीडिया जगत में प्रवेष कर चुके हैं, जिनके बारे में अक्सर कोई न कोई नेगेटिव स्टोरी अखबार और चैनलों में दिखाई दे रही थी, लेकिन अब वे भी पत्रकारिता का चोगा पहनकर ‘‘चोर-चोर मौसेरे भाई’’ की कहावत को सिद्ध करने में जुटे हैं।

जैसा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री का नाम वसुंधरा राजे है, जिनके नाम का अर्थ ही धरती यानि कि भूमि है, तो भला उनके नाम का उपयोग कर भू-माफिया क्यों न पनपें। विधानसभा चुनावों की आहट होते ही कई मीडिया संस्थान धड़ाधड़ खुलते चले गए और कई ऐसे भी अखबार-चैनल हैं जो चुनावांे के बाद बाजार में उतरे। इनके साथ ही अब भी कई चैनल-अखबार मीडिया के महायुद्ध में उतरने को बेचैन नजर आ रहे हैं। सबसे रोचक तो यह है कि इन मीडिया संस्थानांे के मालिक बड़े बिल्डर और कॉलोनाइजर्स हैं या फिर निजी विष्वविद्यालयों के मालिक।

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राजस्थान की राजधानी जयपुर को ही लें। बरसों पहले भू-कारोबारी व बिल्डर भीमसेन गर्ग ने ‘‘महका भारत’’ अखबार की शुरूआत कर राजस्थान के मीडिया बाजार में भू-कारोबारियों को पैर जमाने का मौका दिया था। उन्हीं की तर्ज पर कई चैनल और समाचार पत्र बाजार में मौजूद हैं, जिन्हें भू-कारोबारी चला रहे हैं। इनमें डूंडलोद से प्रकाषित होने वाले अखबार ‘‘दैनिक अंबर’’ के मालिक शीशराम रणवां, जयपुर से प्रकाशित सांध्यकालीन ‘‘ईवनिंग प्लस’’ और प्रातःकालीन ‘‘मॉर्निग न्यूज’’ अखबारों के मालिक मोहन शर्मा, जयपुर से प्रकाशित साप्ताहिक ‘‘खुशखबर पोस्ट’’ की मालिक कंपनी बालाजीधाम मीडिया प्रा. लि. सहित कई बड़े नाम सम्मिलित हैं।

दैनिक अंबर के मालिक शीशराम रणवां भू-कारोबारी होने के साथ ही शेखावाटी इंजीनियरिंग कॉलेज एण्ड यूनिवर्सिटी के नाम से निजी विष्वविद्यालय संचालित कर रहे हैं। हाल ही में राजस्थान के प्रमुख बिल्डर्स समूह मंगलम ग्रुप के मालिक एन.के. गुप्ता ने कोटा से प्रकाषित होने वाले अखबार ‘‘जन नायक’’ को खरीद लिया है और अब इसका प्रकाषन जयपुर से भी प्रारंभ हुआ है। इसी प्रकार कॉलोनाइजर्स संजीवनी ग्रुप के मालिक राजेष मीणा जयपुर से प्रकाषित ‘‘संजीवनी टुडे’’ अखबार से साथ मीडिया क्षेत्र में उतरे हैं। जयपुर के ही दैनिक अखबार ‘‘मेट्रो बाइट्स’’ के मालिक कुणाल डीडवाणियां भी जमीनों के कारोबार से जुड़े हैं। बिल्डर कंपनी बालाजीधाम मीडिया प्रा. लि. ने साप्ताहिक टेबलॉयड अखबार ‘‘खुशखबर पोस्ट’’ छापना शुरू किया है। भू-कारोबारी प्रमोद तातेड़ ने भी ‘‘4रीयल न्यूज’’, ‘‘टीवी24’’ आदि न्यूज चैनलों की फ्रैन्चाइजी ले रखी है।

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राजस्थान से शुरू हुए सेटेलाइट न्यूज चैनल ‘‘फर्स्ट इण्डिया’’ के मालिक वीरेन्द्र चौधरी बलदेवराम मिर्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नामक एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित कर रहे हैं। फर्स्ट इण्डिया के साथ राजस्थान पत्रिका के नेशनल हैड तथा एनडीटीवी के साथ पारी खेल चुके पत्रकार विजय त्रिवेदी भी लॉन्चिंग के समय से ही जुड़े लेकिन गैर पेशेवर वातावरण के चलते उन्होंने फर्स्ट इण्डिया छोड़कर न्यूज नेशन ज्वाइन कर लिया। जयपुर-दिल्ली राजमार्ग स्थित निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी संचालित करने वाले बी.एस. तोमर और उनकी पत्नी डॉ. शोभा तोमर ने भी सैटेलाइट चैनल ‘‘न्यूज इण्डिया राजस्थान’’ प्रारंभ किया है। उल्लेखनीय है कि इन लोगों ने रामगढ़ बांध के प्रमुख जलस्त्रोत बाणगंगा नदी के समूचे प्रवाह क्षेत्र को ही अपने गैर कानूनी कब्जे में लेकर यूनिवर्सिटी के कई विभागों के लिए बहुमंजिला परिसरों का निर्माण कर लिया था।

राजस्थान हाईकोर्ट के आदेषों पर जब जयपुर विकास प्राधिकरण ने तोड़फोड़ की कार्रवाही प्रारंभ कर दी तो उन्हांेने नौकरषाही पर धौंस जमाने के लिए न्यूज चैनल ही खोल लिया। दिल्ली रोड स्थित एमजेआरपी यूनिवर्सिटी के मालिक निर्मल पंवार ने भी ‘‘राज वैभव’’ के नाम से दैनिक अखबार चला रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत का नजदीकी रिष्तेदार होने के कारण उन्होंने बेजा फायदा उठाया और जमीनों के धंधे में भी काफी निवेष किया। ये महाषय भी एमजेआरपी यूनिवर्सिटी में काम करने वाली महिलाओं के यौन शोषण की खबरों को लेकर सुर्खियों में रहते थे, लेकिन अब अखबार शुरू कर औरों की खबरें लेने में जुटे रहते हैं। बिल्डर्स कंपनी एकेआईईसी ग्रुप भी जयपुर से सैटेलाइट चैनल ‘‘टीवी 10’’ लॉन्च करने जा रहा है। राजस्थान पत्रिका के इवेंट डिपार्टमेन्ट के नेषनल हैड रहे चुके डॉ. अजय कुलश्रेष्ठ को इसी लॉन्चिंग की जिम्मेदारी दी गई है। कुल मिलाकर राजस्थान का मीडिया बाजार अब भू-माफियाओं और निजी विष्वविद्यालयों के संचालकों के कब्जे में है। इसका सीधा असर यह होगा कि प्रशासन पर मीडिया की ताकत का इस्तेमाल वे अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए करेंगे और आमजन के हितों की पुरजोर वकालत करने वाले मीडिया के हाथों ही आम जनता के हितों पर कुठाराघात किए जाने का वातावरण तैयार हो चुका है।

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जयपुर से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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