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भूमि कारोबारी रविन्द्र कुमार बने जनसंदेश टाइम्स, बनारस के संपादक

अरबों के एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र अखबार जनसंदेश टाइम्‍स में अंदरखाने का खेल निराला है। परत दर परत धोखाधड़ी की बुनियाद पर खड़े बनारस में इस अखबार की प्रिंट लाइन में 21 दिसंबर को संपादक और मुद्रण का विवरण बदल गया। पहले अखबार की प्रिंट लाइन में संपादक के रूप में एके लारी और मुद्रण स्थान बून एक्जिम प्रा. लि., जीटी रोड, रोहनिया था। प्रिंट लाइन में नये संपादक के रूप में शहर के भूमि कारोबारी रविन्‍द्र कुमार का नाम दर्ज हो गया है।

<p>अरबों के एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र अखबार जनसंदेश टाइम्‍स में अंदरखाने का खेल निराला है। परत दर परत धोखाधड़ी की बुनियाद पर खड़े बनारस में इस अखबार की प्रिंट लाइन में 21 दिसंबर को संपादक और मुद्रण का विवरण बदल गया। पहले अखबार की प्रिंट लाइन में संपादक के रूप में एके लारी और मुद्रण स्थान बून एक्जिम प्रा. लि., जीटी रोड, रोहनिया था। प्रिंट लाइन में नये संपादक के रूप में शहर के भूमि कारोबारी रविन्‍द्र कुमार का नाम दर्ज हो गया है।</p>

अरबों के एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र अखबार जनसंदेश टाइम्‍स में अंदरखाने का खेल निराला है। परत दर परत धोखाधड़ी की बुनियाद पर खड़े बनारस में इस अखबार की प्रिंट लाइन में 21 दिसंबर को संपादक और मुद्रण का विवरण बदल गया। पहले अखबार की प्रिंट लाइन में संपादक के रूप में एके लारी और मुद्रण स्थान बून एक्जिम प्रा. लि., जीटी रोड, रोहनिया था। प्रिंट लाइन में नये संपादक के रूप में शहर के भूमि कारोबारी रविन्‍द्र कुमार का नाम दर्ज हो गया है।

रविन्‍द्र कुमार ऐसे शख्‍स हैं जो संपादकीय का ककहरा सीखे बिना संपादक की कुर्सी पर बैठ गये। अब ये जनाब जमीन की धंधेबाजी का नुख्‍सा जनसंदेश टाइम्‍स की संपादकीय में चलाएंगे। इसे देखकर लगता है कि अगर अकबर इलाहाबादी आज जिन्‍दा होते तो अपने शेर की लाइने……. ‘जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो’ को बदल देते ….. ‘जब काला धन सफेद करना हो तो अखबार निकालो।‘

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वैसे प्रिंट लाइन में संपादक के रूप में अब तक दर्ज रहे एके लारी लोक सभा चुनाव के समय से ही अखबार छोड़ चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान जनसंदेश प्रबंधन कांग्रेस प्रत्‍याशी अजय राय के साथ था। खबरों में भी अजय राय को मोदी पर भारी दिखाना चाह रहा था। ऐसी पीत पत्रकारिता करने से एके लारी ने अपने बतौर संपादक रहते करने से इनकार कर दिया। प्रबंधन का ज्‍यादा दबाव पड़ा तो पत्रकारिता के उसुलों से समझौता करने के बजाय छुट्टी लेकर घर बैठना मुनासिब समझा। प्रबंधन को संपादक की ये हेकड़ी खराब लगी और लारी को बर्खास्‍त कर दिया गया।

इसके बावजूद जनसंदेश प्रबंधन एके लारी की साख को अपनी प्रिंट लाइन में उनका नाम बतौर संपादक दर्ज कर बेचता रहा। वहीं तीन नवंबर से अखबार मोतीलाल स्‍टेट, मड़ौली, वाराणसी से मुद्रित हो रहा है, जबकि प्रिंट लाइन में बीस दिसंबर तक बून एक्जिम प्रा. लि. रोहनिया, जीटी रोड, वाराणसी से मुद्रित होने की गलत जानकारी दी जा रही थी। प्रबंधन की इस धोखाधड़ी की ‍शिकायत कुछ दिनों पूर्व डीएम से लगायत राष्ट्रपति तक की गयी। जिस पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच और कार्रवाई की जिम्‍मेदारी 22 दिसंबर 2014 को (PRSEC/E/2014/15526) सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव अनुराग श्रीवासतव को सौंपी गयी।

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अखबार में पीएफ, वेतन आदि घोटालों के साथ ही कर्मचारियों के उत्‍पीड़न मामले में मानवाधिकार आयोग के कार्रवाई के निर्देश आदि तेजी से लगता है कि जल्‍द ही जनसंदेश प्रबंधन अपनी धोखाधड़ी के एक नये जाल में फंसेगा। गौरतलब है कि अखबार में हुई विभिन्‍न अनियमितताओं को लेकर प्रशासन का डंडा चल रहा है। कर्मचारियों के उत्‍पीड़न मामले में जहां मानवाधिकार आयोग ने कार्रवाई का ि‍नर्देश दिया है, वहीं केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए राज्‍य सरकार से कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है। कर्मचारियों के पीएफ नहीं जमा करने और वेजबोर्ड के नियमों के विपरित मनमाने तरीके से सेलरी का निर्धारण कर उस हिसाब से पीएफ काटने पर केन्‍द्र सरकार के निर्देश पर 7ए की कार्रवाई की जा रही है।

जनसंदेश टाइम्स, बनारस में काम कर चुके एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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