एक अध्ययनशील पत्रकार जब लेखक की भूमिका में आता है तो तथ्य,अनुभव और विश्लेषण का सहज संयोजन सामने आता है । राष्ट्रीय सहारा को वरिष्ठ पत्रकार सतीश वर्मा की नई पुस्तक “कश्मीर – एक अंतहीन जंग” भी इसका अच्छा उदाहरण है । कई वर्षों से जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो चीफ के रूप में काम कर रहे सतीश वर्मा की यह दूसरी पुस्तक है । उनकी पहली पुस्तक “पाकिस्तान की हकीकत से रूबरू” पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर की हकीकत तक ले जाती है तो वहीं दूसरी पुस्तक तमाम कश्मीर की कहानी है । कश्मीर के इतिहास से लेकर वर्तमान तक सतीश वर्मा तथ्यों,उद्धरणों और स्वंय की पत्रकारिता के अनुभवों को प्रस्तुत करते हैं । लगभग किस्सागोई की शैली में लिखी गई पुस्तक इन तत्वों के कारण आम पाठक के लिए काफी रोचक और पठनीय है। कश्मीर जैसे विवादित विषय पर बिना किसी पूर्वाग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुए लिखी गई यह पुस्तक जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित करती है। यह कश्मीर के विषय में आम लोगों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उपयुक्त पुस्तक है जिसे एक पत्रकार ने अपने अध्ययन और अनुभव की गई सच्चाई के साथ लिखा है।
सतीश वर्मा की यह पुस्तक ऐसे समय में आई है जब भारत पाकिस्तान के बीच एक बार फिर इसी मुद्दे के कारण संवादहीनता की स्थिति बनी है और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं । कश्मीर के मसले को देखने – समझने वाली एक पीढी अब लगभग समाप्त हो चुकी है तब नई पीढी के लिए इस वक्त में इस किताब का आना काफी प्रासंगिक है । पत्रकार लेखक वर्मा ने कश्मीर के दिवंगत महाराजा हरिसिंह के बेटे कर्ण सिंह की आत्मकथा सहित अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया है और विषय को प्रमाणिकता के साथ लिखने के लिए इनसे कई उद्धरण भी लिए हैं । लेखक ने सिर्फ किताबों का ही नहीं बल्कि कश्मीर के संदर्भ में कई सरकारी रिपोर्टस और देशी –विदेशी पत्रकारों के विश्लेषणात्मक लेखों का भी हवाला दिया है । भारत के राजनयिकों,विद्वानों सहित पाकिस्तानी मीडिया या पत्रकारों की राय भी अलग अलग हिस्से में शामिल की गई है ।1948 में कश्मीर को बचाने की जंग में ब्रिगेडियर उस्मान खान की शहादत,अंतर्राष्ट्रीय साजिशों के तथ्यों के साथ साथ कश्मीर घाटी में आतंकवाद के पनपने और सैय्यद सलाउद्दीन और अब्दुल माजिद डार की आतंकी बनने की कहानी जैसे अनेक हिस्से पुस्तक में काफी रोचक एवं महत्वपूर्ण हैं ।
पुस्तक में सतीश वर्मा के पत्रकार के रूप में संजोए गए अनेक महत्वपूर्ण अनुभव भी शामिल किए गए हैं जो कश्मीर के दर्द के साथ कई अहम मसलों की तरफ भी संकेत करते हैं । भूलवश पाकिस्तान से सरहदपार पहुंचे आमिर की कहानी हो या फिर उस जैसे दो और मासूमों की दास्तान, सभी इंसानियत के लिहाज से पाठक को द्रवित करने का माद्दा रखती हैं। लश्कर के आतंकी लियाकत के साक्षात्कार जैसे अनुभव रोमांचित करते हैं तो वहीं कई भयानक सच्चाइयों को उजागर भी करते हैं । अपने अनुभवों को लिखते समय लेखक ने स्वंय को कहानी के हीरो के रूप में पेश ना करते हुए साक्षी भाव से मुख्य मुद्दे के इर्द गिर्द रखा है । यह विशेषता बहुत अनुभवी लेखकों में भी अक्सर नहीं मिलती है ।
पुस्तक- “कश्मीर- एक अंतहीन जंग”
लेखक- श्री सतीश वर्मा
प्रकाशक – डायमंड पॉकेट बुक्स
मूल्य – 250 रुपये मात्र
Comments on “पुस्तक समीक्षा : सतीश वर्मा की नई पुस्तक “कश्मीर – एक अंतहीन जंग””
बहुत अच्छा उदाहरण दिया आशीष …….. अति सुंदर सराहनीय पहल
सतीश जी को व्यकितगत तौर से जानता हूँ। वे जितने बेहतरीन इंसान है उससे कहीं ज्यादा उम्दा पत्रकार………. मुद्दों को गहराई से समझने और तह में जाने की उनकी समझ निराली है। एक पत्रकार के तौर पर निडरता और निष्पक्षता को हमने करीब से देखा है और अपने पेशे में यही उनकी पहचान भी है। सतीश जी की पहली पुस्तक “पाकिस्तान की हक़ीक़त से रू ब रू” जो उन्होंने अपनी पाकिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर यात्रा के अनुभवों पर लिखी थी को कई बार पढ़ा है यह पुस्तक वाकई अपने नाम के अनुरूप एक दस्तावेज है। हाल ही में प्रकाशित किताब “कश्मीर: एक अंतहीन जंग” में उन्होंने जिस सहजता से कश्मीर व उससे जुड़ी बातों को पेश किया है वह सतीश वर्मा जैसे परिपक्व लेखक की कलम से ही संभव है। आज की युवा पीढ़ी जो कश्मीर व उसकी जड़ में छिपे विवादों से अंजान है उसके लिए सुझाव है की वह इस पुस्तक को जरूर पढ़े। बिना किसी उलझन के यह किताब किसी भी पाठक को कश्मीर से लेकर उसके विवाद तक से परिचित करा देगी। सतीश जी एक और बेहतरीन किताब लिखने के लिए बधाई।
े‘कश्मीर एक अंतहीन जंग’ में लेखक ने कश्मीर से जुड़े विभिन्न ऐतिहासिक, राजनीतिक तथा सामाजिक तथ्यों को जिस प्रकार से एक कथानक के रूप में पिरोकर पाठकों के समक्ष पस्तुत कया है वह अपने आप में अदभुत लेखन शैली का एक जीवंत उदाहरण है।
एक वरिष्ठ पत्रकार की किस्सागोई शैली में रची गई रचना पाठकों को बांधकर रखने में सफल रही है।
रिसर्च पर आधरित इस पुस्तक को लिखने के लिए लेखक द्वारा किए अनुसंधान कार्याें की झलक पुस्तक के हर पन्ने पर दिखाई देती है तथा परत दर परत खुलते इन तथ्यों को कहानी के रूप में संजोए जाने के चलते पुस्तक अंतिम पृष्ठ तक कुछ न कुछ नया अपने आप में समेटे हुए है जो इसकी एक अन्य विशेषता है।
समय की परतों के नीचे दफन होकर धुंधले पड़ चुके कश्मीर से जुड़े कई ऐसे तथ्यों तथा सच्चाईयों को लेखक ने अपनी पुस्तक में उकेरकर एक बार फिर से चर्चाओं में लाने में सफलता हासिल की है जिनसे आम जनमानस, विशेषकर युवा पीढ़ी अब तक अभिनिज्ञ थी।
गंभीर पत्रकारिता की नब्ज पर अपनी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतीश वर्मा जी इस शीर्षक के साथ संपूर्ण न्याय करने में सफल रहे हैं।
–अरूण बाली
संपादक,
दैनिक व्यूज़ टुडे
जम्मू, जे एंड के
ये book मेरे दिल के बहुत क़रीब है। क्योकि जब इस पुस्तक को लिखने की सोच रहे थे मेरे बड़े भाई सतीश जी तब हम दोनो बहुत बुरे दौर से गुज़र रहे थे….सहारा मे थी…. कुछ कुते लोगों की वजह से हम दोनो को परेशान किया रहा था…लेकिन भगवान करता है अच्छे लोगों के साथ अच्छा ही करता है..वही हमारे साथ हुआ….हमें एक नाई दिश मिली भाई किताब लिख रहे थे तो हम काई विषय पर बाते करते थे…ज़्यादा तार कश्मीर और पाकिस्तान के उपर…मुझे बहुत सी बातों के बारे मे पता चला मै ख़ुश क़िस्मत हुँ कि इस किताब को मैंने अपने सामने लिखते हुऐ देख है….मेरी शुभकामनाएँ है बड़े भाई को
किसी मूक को गुड़ खिलाने पर स्वाद तो अनुभव होता है किन्तु वह उसे व्यक्त नहीं कर सकता। सतीश जी की यह किताब भी एक गंभीर पाठक के लिए वैसी ही स्थिति उत्पन्न कर देती है। महापंडित माने जाने वाले चाणक्य ने एक मर्तबा कहा था कि ऐसा व्यक्ति जो केवल किताबो के सहारे ज्ञान अजिर्त करे वह उस महिला की भान्ति होता है जो बिना विवाह के गर्भवती हो जाती है। एक लिहाज से यह सही भी है किन्तु यह पुस्तक ‘कश्मीर एक अंतहीन जंग’ इसका अपवाद है। मेरी यह प्रतिक्रिया स्वाभिवक है और वास्तविक भी। ईश्वर ऐसे महानुभव को प्रेरित करे ताकि वह निकट भविष्य में उन तमाम ज्वलंत मुद्दों पर मार्गदर्शक बने जो समाज और राष्ट्र के लिए चुनौती बन चुके हैं। कश्मीर समस्या जगविदित है लेकिन इसकी वास्तविकता जो किसी पूर्वाभास से ग्रस्त कतई नहीं है, इस किताब के अध्यन के उपरांत बेहतर ढंग से समझ में आती है।
जगदीप सिंह
सपांदक
दैनिक सवेरा जम्मू कश्मीर
‘कश्मीर एक अंतहीन जंग’ की समीक्षा भड़ास पर पढ़ी तो मेरे मन में यह ख्याल आया कि अभी तक मैं ऐसी पुस्तक को पढ़ने से वंचित कैसे रह गया, जिसमें कश्मीर के उन अनछुए पहलुओं का जिक्र है जो कि शायद पत्रकारिता के क्षेत्र में रहते हुए भी मुङो कुछ और वर्ष जानने का अवसर न मिलता। लेकिन सतीश जी की इससे पहली किताब ‘पाकिस्तान की हकीकत से रुबरु’ को मैंने पढ़ा था और उसमें जिस लेखन शैली का वर्मा जी द्वारा प्रयोग किया था उसे देखकर मुङो यह किताब पढ़ने की प्रबल जिज्ञासा हो रही है और मैं वर्मा जी को उनकी इस नई पुस्तक ‘कश्मीर एक अंतहीन जंग’ के लिए बधाई देता हूं कि वह अपनी पुस्तकों में उन हकीकतों का ज्ञान कराने की कोशिश की है जिसको लेकर अनगणित लोग अनभिज्ञ हैं।
अश्विनी गुप्ता, प्रमुख संवाददाता, दैनिक सवेरा टाइम्स, जम्मू व कश्मीर।
am also read satish verma first book pakistan ki haqiqat se rubrru …..after published KASHMIR: EK ANTHEEN JUNG fineshe reading just now……it,s a very awesome book. fact of regarding kashmir not read any hindi book on kasmir subject……satish ji i suggest u next time u will try any other big publisher for publish u,r next book……again congrats for written a good book
सतीश भाई को एक और नायाब किताब लिखने के लिए बधाई……. पहली पुस्तक “पाकिस्तान की हक़ीक़त से रू ब रू” में जिस तरह आपने पाकिस्तन और उसके कब्जे वाले कश्मीर के इतिहास से लेकर उसकी कथनी और और करनी का खुलासा किया था ठीक उसी तरह आपने केवल 300 पन्नों की हाल ही में प्रकाशित किताब “कश्मीर: एक अंतहीन जंग” में भारत के सबसे खूबसूरत सूबे कश्मीर के हर पहलू पर निष्पक्षता से कलम चलाई है……… किताब में आपने जिस साफगोई से सूबे को लेकर खड़े विवाद का उद्धरण देकर कलम चलाई है वह आज तक कश्मीर को लेकर लिखी गई किसी भी किताब में देखने को नहीं मिली। ………… हालाँकि कश्मीर को लेकर देश और दुनिया के कई इतिहासकारों तथा विद्वान लोगों ने बड़ी – बड़ी किताबें लिखी है इनमें से अधिकांश मैंनेपढ़ी भी है लेकिन मैंने अब तक यही पाया कि वे पुस्तकें या तो पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर लिखी गई या किसी को खुश करने के लिए ……… उन पुस्तकों में निष्पक्षता का आभाव साफ़ दिखा लेकिन आपने तटस्थ रहकर जिस तरह एक सुन्दर किताब लिखी उसके लिए दिल से बधाई …………… मेरा मानना है की कश्मीर जैसे मसले से अंजान युवा पीढ़ी को अगर इस मुद्दे पर कोई जानकारी देनी है तो इस किताब को देश के सभी स्कूल कॉलेजों के पुस्तकालयों में रखवाने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए……… आपके बारे में जितना जानता हूँ उसके हिसाब से आप अपनी अगली पुस्तक लिखने में फिर से मशरूफ हो गए होंगे …… जाहिर है कि विषय भी जटिल होगा …………. चलिए अगली पुस्तक और ज्यादा लोकप्रिय हो इसके लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
सतीश जी आपकी नई पुस्तक “कश्मीर: एक अंतहीन जंग” पढ़ी बेहद उम्दा किताब है …… प्रशंशा के लिए उचित शब्द नहीं है बस इतना ही कहूँगा सच को निष्पक्षता और निडरता से लिखने का जज्बा कभी मरने मत देना। …….
सतीश जी की पुस्तक ‘कश्मीर-एक अंतहीन जंग’ एक हकीकत से पूरिपूर्ण किताब है। पुस्तक में कश्मीर के बारे में जो हकीकत बयां की गई है, वह पूरी तरह से सत्य हैं। सतीश जी की पुस्तक से उन स्कॉलरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो कश्मीर और शोध कर रहे हैं। साथ ही युवा पीढ़ी के लिए किताब एक मार्गदर्शक साबित होगा।
कमल राणा, विशेष संवाददाता, दैनिक सवेरा जम्मू
satish sir ke kitab kashmir ek antheen jung padkar mujhe bahut acha laga aur apne riyasat ke bare mein bahut kuch jankari bhi hasil hue mein apne riyasat ke yuvaoon se iss kitab ko padne ke appeal karuga aur satish sir ko iss kitab ke mere aur se bahut bahut shubkamnia.
सतीश जी की पुस्तक कश्मीर.एक अंतहीन जंग एक हकीकत से पूरिपूर्ण किताब है। जोकि कश्मीर के बारे में जो हकीकत है वह पूरी तरह से सत्य है। सतीश जी की पुस्तक से उन स्कॉलरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैए जो कश्मीर और शोध कर रहे हैं। इस किताब के माध्यम से युवा पीढ़ी के लिए किताब एक मार्गदर्शक साबित होगा। कश्मीर राष्ट्रीय स्तर पर तो दशको से मुद्दा रहा ही है अलबत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक ज्वलंत समस्या रहा है। ऐसे में कश्मीर को आइने की सूरत में पाठकों तक पहुंचाना और जमीनी हकीकत को जिस तरीके से उन्होने कागज पर उकेरा है वह निश्चित तौर पर अतुलनीय है।
अविनाश भगत वरिष्ठ संवाददाता दैनिक सवेरा जम्मू कश्मीर
book contains information about jk issues and problems and is written in a impressive style. it will catter need of a person e
who wants to understand jammu and kashmir.it is impressive worth reading.
वर्मा जी की किताब कश्मीर एक अंतहीन जंग सही मायने में जम्मू कश्मीर का आईना है और इसमें लिखी एक एक बात पूरी तरह से सच को उजागर करती है। मैं सतीश वर्मा जी को उनकी इस किताब के लिए बधाई देता हूं और चाहता हूं कि युवा पीढ़ी जम्मू कश्मीर के सच को जानने के लिए इस किताब को जरूर पढ़े।
सरबजीत सिंह
क्राइम रिपोर्टर, जम्मू।
सराहनीय प्रयास |
आज के इस कठिनाई भरे दौर में ऐसे लेखकों की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता इस समाज को व देश को है | जो जड़ से जुड़कर लिखते हैं | सामाजिक विषयों को बहुत ही गहराई के साथ गहन अध्ययन करने के बाद लिखते हैं | सतीश वर्मा जी को उनके इस प्रयास के लिए ढेरों बधाइयां |
अनिल कुमार गुप्ता
कवि, लेखक , शायर, एवं एक पाठक